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US से भारत तक समुद्र में मेटा बिछाएगा 50,000 किलोमीटर लंबी केबल, 'प्रोजेक्ट वॉटरवर्थ' से देश में शुरू होगा डिजिटल इंडिया का नया युग

13 फरवरी को मेटा ने 'प्रोजेक्ट वॉटरवर्थ' की घोषणा की, जिसके तहत भारत और अमेरिका को समुद्र के अंदर से 50,000 किलोमीटर लंबी केबल से जोड़ा जाएगा. इस परियोजना का केंद्र हिंद महासागर होगा.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी10:38 AM IST, 16 Feb 2025NDTV Profit हिंदी
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भारत और अमेरिका डिजिटल वर्ल्ड में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है. दरअसल फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप की पेरेंट कंपनी मेटा ने भारत और अमेरिका को 50,000 किलोमीटर लंबी केबल से जोड़ने के लिए अंडरसी केबल परियोजना की घोषणा की है, कंपनी ने इस परियोजना का नाम 'प्रोजेक्ट वॉटरवर्थ' रखा है. इसके तहत दोनों देशों के बीच समुद्र के अंदर से 50,000 किलोमीटर लंबी केबल बिछाई जाएगी.

इस प्रोजेक्ट के बाद दोनों देशों के बीच हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी का नया दौर शुरू होगा. माना जा रहा है की इससे भारत की डिजिटल इकोनॉमी में क्रांतिकारी बदलाव आने की उम्मीद है. इससे देश के डिजिटल इंडिया मंत्र को भी बेजोड़ मजबूती मिलेगी.

भारत के लिए क्यों अहम है 'प्रोजेक्ट वॉटरवर्थ'

भारत जनसंख्या के लिहाज से 'मेटा' के लिए एक बहुत बड़ा बाजार है. क्योंकि यहां फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के यूजर्स की तादाद 100 करोड़ के भी पार है. भारत में इंटरनेट का विस्तार तेजी से हो रहा है, और यही वजह है की हमेशा से IT कंपनियां भारत को एक सुनहरे मौके के तौर पर देखती आई हैं. यहां हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी की मांग तेजी से बढ़ी है. और इसलिए मेटा भी भारत को अपने सबसे बड़े उपभोक्ता के तौर पर देख रहा है, इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद देश की डिजिटल इकोनॉमी और इनोवेशन को नई ऊंचाईयां हासिल होंगी, और मेटा के लिए भी कमाई के नए रास्ते खुलेंगे.

भारत में बड़ा निवेश करेगी 'मेटा'

13 फरवरी को मेटा ने 'प्रोजेक्ट वॉटरवर्थ' की घोषणा की, जिसके तहत भारत और अमेरिका को समुद्र के अंदर से 50,000 किलोमीटर लंबी केबल से जोड़ा जाएगा. इस परियोजना का केंद्र हिंद महासागर होगा. ये निवेश इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्यों टेलीकॉम कंपनियां डेटा ट्रैफिक लोड को कम करने और ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने के लिए नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में योगदान देने के लिए मेटा जैसी कई बड़ी कंपनियों से टेक्नोलॉजी की मांग लंबे समय से कर रहे थीं.

'प्रोजेक्ट वॉटरवर्थ' पर मेटा का बयान

मेटा के प्रवक्ता ने कहा कि, 'भारत में डिजिटल सेवाओं की बढ़ती मांग से प्रेरित होकर से निवेश आर्थिक विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल समावेशन के प्रति कंपनी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. और ये भारत के संपन्न डिजिटल परिदृश्य का समर्थन करता है और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देता है'

मेटा ने प्रोजेक्ट वाटरवर्थ पर एक ब्लॉग में कहा कि कंपनी अपनी तरह की पहली रूटिंग का उपयोग कर रही है, जिसके तहत 7,000 मीटर तक की गहराई पर गहरे पानी में केबल बिछाई जाएगी इसके अलावा जहाज के लंगरों और अन्य खतरों से होने वाले नुकसान से बचने के लिए उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों, जैसे कि तट के पास उथले पानी में दफन तकनीक का उपयोग किया जाएगा.

भारत-अमेरिका के संबंधों को मिलेगी मजबूती

मेटा ने 13 फरवरी के इस प्रोजेक्ट का ऐलान ऐसे समय में किया जब प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका के दौरे पर थे. PM मोदी की यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए जिसके बाद भारत-अमेरिका की आर्थिक, व्यापारिक और तकनीकी रिश्ते और भी मजबूत हुए हैं.

कब तक पूरा होगा ये प्रोजेक्ट

कंपनी के मुताबिक ये बहु-अरब डॉलर का निवेश पांच महाद्वीपों को जोड़ेगा. इससे ग्लोबल डिजिटल हाइवेज के पैमानों और विश्वसनीयता में बढ़ोतरी होगी. ये प्रोजेक्ट इस दशक के अंत तक यानी 2030 तक पूरा हो सकता है.

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