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Explainer: सैटेलाइट ब्रॉडबैंड क्या है और कैसे काम करता है; समझिए इसके फायदे और नुकसान

सैटेलाइट ब्रॉडबैंड इस तरह काम करता है कि एक यूजर की डिश और अंतरिक्ष में स्थित उपग्रहों के बीच सिग्नल आते-जाते हैं. ये उपग्रह पृथ्वी से बहुत ऊपर होते हैं.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी02:46 PM IST, 10 Feb 2024NDTV Profit हिंदी
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1. सैटेलाइट ब्रॉडबैंड क्या है?

सैटेलाइट ब्रॉडबैंड (Satellite Broadband) एक तरह का इंटरनेट कनेक्शन है जो उपग्रहों का उपयोग करता है न कि केबल्स या फोन लाइनों जैसे सामान्य तरीकों का. इसमें पृथ्वी की कक्षा में मौजूद उपग्रह और यूजर के घर पर लगा डिश आपस में बातचीत करते हैं. ये तकनीक दूर-दराज और ग्रामीण इलाकों में भी इंटरनेट पहुंच मुहैया कराती है, जहां सामान्य ब्रॉडबैंड सेवाएं नहीं होतीं या भरोसेमंद नहीं होतीं.

2. सैटेलाइट ब्रॉडबैंड कैसे काम करता है?

सैटेलाइट ब्रॉडबैंड इस तरह काम करता है कि एक यूजर की डिश और अंतरिक्ष में स्थित उपग्रहों के बीच सिग्नल आते-जाते हैं. ये उपग्रह पृथ्वी से बहुत ऊपर होते हैं. जब कोई डेटा मांगता है तो सिग्नल डिश से उपग्रह तक जाता है, और फिर वहां से जमीन पर स्थित एक स्टेशन तक पहुंचता है. इस स्टेशन से डेटा इंटरनेट पर भेजा जाता है. जब यूजर डेटा इंटरनेट पर वापस भेजता है तो यही प्रक्रिया उल्टी दिशा में होती है.

3. सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के क्या लाभ हैं?

इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह हर जगह उपलब्ध है. सैटेलाइट ब्रॉडबैंड उन जगहों पर भी इंटरनेट पहुंचा सकता है जहां सामान्य ब्रॉडबैंड नहीं पहुंचता. जैसे दूर-दराज़ या पहुँच में कठिन इलाके. इसे लगाना भी जल्दी और आसान होता है. इसके लिए सिर्फ एक डिश और मॉडेम की जरूरत होती है.

4. सैटेलाइट ब्रॉडबैंड की क्या कमियां हैं?

सैटेलाइट ब्रॉडबैंड में कुछ नुकसान भी हैं, जैसे, देरी- इसमें डेटा भेजने और पाने में समय लगता है जिससे ऑनलाइन गेमिंग या वीडियो कॉलिंग जैसी चीजें करने में परेशानी हो सकती है. महंगाई: उपग्रह ब्रॉडबैंड की लागत आम ब्रॉडबैंड से ज्यादा होती है.

डेटा सीमा: इसमें हर महीने इस्तेमाल करने के लिए एक सीमित मात्रा में डेटा होता है. अगर आप इस सीमा को पार करते हैं तो अतिरिक्त शुल्क लग सकता है.

5. सैटेलाइट ब्रॉडबैंड फाइबर, DSL, या केबल इंटरनेट की तुलना में कैसा है?

सैटेलाइट ब्रॉडबैंड फाइबर, DSL या केबल की तुलना में आमतौर पर धीमा और महंगा होता है. लेकिन, जहां सामान्य ब्रॉडबैंड की सुविधा नहीं होती वहां यह एकमात्र विकल्प हो सकता है. फाइबर इंटरनेट सबसे तेज़ होता है लेकिन हर जगह उपलब्ध नहीं होता. DSL और केबल इंटरनेट गति और कीमत में एक बेहतर संतुलन देते हैं, लेकिन इनकी पहुंच भी सीमित होती है.

6. क्या मौसम सैटेलाइट ब्रॉडबैंड को प्रभावित कर सकता है?

हां, मौसम की स्थितियां सैटेलाइट ब्रॉडबैंड को प्रभावित कर सकती हैं. भारी बारिश, बर्फबारी, या घने बादलों का कवर सिग्नल में बाधा डाल सकता है. इससे गति धीमी हो सकती है या अस्थायी रूप से नेटवर्क बंद हो सकता है. इस घटना को 'बारिश की वजह से सिग्नल का कमजोर होना' कहा जाता है.

7. क्या उपग्रह ब्रॉडबैंड सुरक्षित है?

सैटेलाइट ब्रॉडबैंड ज्यादातर सुरक्षित होता है, लेकिन अन्य इंटरनेट कनेक्शनों की तरह इसमें भी कुछ जोखिम होते हैं. इसे सुरक्षित रखने के लिए डेटा एन्क्रिप्शन और सुरक्षित नेटवर्क तकनीकें जरूरी हैं. इसके अलावा डिश और मॉडेम की भौतिक सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इनके क्षतिग्रस्त होने या गलत स्थिति में होने से सेवा में बाधा आ सकती है.

8. क्या सैटेलाइट ब्रॉडबैंड तकनीक में कोई नई तरक्की हो रही है?

हां, इसमें नई प्रगति हो रही है. कंपनियां अब निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) के उपग्रह लॉन्च कर रही हैं जो पुराने उपग्रहों से ज़्यादा पृथ्वी के पास होते हैं. इससे डेटा भेजने में देरी कम होती है और इंटरनेट की गति और कनेक्शन बेहतर हो सकता है.

9. सैटेलाइट ब्रॉडबैंड लेने से पहले लोगों को क्या सोचना चाहिए?

अगर आप सैटेलाइट ब्रॉडबैंड लेने की सोच रहे हैं तो पहले अपनी इंटरनेट की जरूरतों और सैटेलाइट ब्रॉडबैंड की सीमाओं जैसे कि डेटा में देरी, डेटा की सीमा और कीमत पर विचार करें. अलग-अलग सैटेलाइट ब्रॉडबैंड प्रोवाइडर्स और उनकी योजनाओं के बारे में भी जानकारी इकट्ठी करें ताकि आप अपनी जरूरत और बजट के अनुसार सही विकल्प चुन सकें.

10. क्या सैटेलाइट ब्रॉडबैंड से वीडियो स्ट्रीमिंग या गेमिंग करना संभव है?

सैटेलाइट ब्रॉडबैंड से वीडियो स्ट्रीमिंग और गेमिंग करना संभव है लेकिन इसमें कुछ दिक्कतें हो सकती हैं, जैसे कि इंटरनेट में देरी और डेटा की सीमा. कम रेजोल्यूशन पर वीडियो स्ट्रीमिंग करना और ऐसे गेम्स खेलना जिनमें देरी से ज्यादा फर्क न पड़े, बेहतर अनुभव दे सकता है.

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