शनिवार को एक भीषण सौर तूफान (Solar Storm) पृथ्वी से टकराया है. जिसकी वजह से यूरोप से लेकर दक्षिण अमेरिका के अलबामा तक के आसमान में लाइट का शानदार रंग बिरंगा नजारा देखा जा रहा है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, आसमान में इस तरह के नजारे को अरोरा (Aurora) या नॉर्दर्न लाइट्स (Northern Lights) भी कहते हैं. लेकिन इस खगोलीय घटना की वजह से दुनियाभर में पावर ग्रिड फेल होने और सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम बाधित होने का भी खतरा मंडराने लगा है.
इस घटना की शुरुआत इस सप्ताह के शुरुआत में तब हुई जब एक बड़े सनस्पॉट से एक के बाद एक 5 कोरोनल मास इजेक्शन हुए. इसे G5 नाम दिया गया है. ये एक दुर्लभ घटना है. पृथ्वी से टकराने वाली सूर्य की ऊर्जा 5 लेयर में है.
अमेरिका के स्पेस वेदर डिपार्टमेंट (US Space Weather Prediction Center) ने कहा है कि शाम 6:54 बजे पृथ्वी की चुंबकीय कक्षा से सूर्य की जबरदस्त ऊर्जा टकराई है, जिस कारण एक तेज भू-चुंबकीय तूफान (Geomagnetic Storm) बन गया है.
इसके पहले इस तरह का तूफान अक्टूबर 2003 में आया था. जिसके कारण स्वीडन में बिजली गुल हो गई थी और दक्षिण अफ्रीका में कई ट्रांसफार्मर खराब हो गए थे.
इस G5 तूफान की वजह से पावर ग्रिड और सैटेलाइट्स फेल हो सकते हैं. जिस वजह से दुनियाभर के नेविगेशन सिस्टम में तबाही मच सकती है. एलन मस्क ने X पर पोस्ट करते हुए बताया है कि इस जबरदस्त सौर तूफान की वजह से SpaceX के सैटेलाइट काफी प्रेशर में है.
सबसे बड़ा खतरा ये है कि ये तूफान बिजली के AC ट्रांसमिशन लाइनों में DC करंट का फ्लो कर सकता है. साथ ही रेलवे ट्रैक और पाइपलाइनों में लो पल्स वाली बिजली दौड़ने लग सकती है.
यूरोप, एशिया और उत्तरी अमेरिका के बीच ट्रांस-पोलर यानी पृथ्वी के ध्रुवों के आस पास से जाने वाली उड़ानों के रूट को बदला जाएगा. जिससे फ्लाइट में सवार लोगों को बढ़े हुए रेडिएशन से बचाया जा सके.
अमेरिका के स्पेस वेदर डिपार्टमेंट ने बताया है कि क्लस्टर लगभग हर छह से 12 घंटों में कोरोनल मास इजेक्शन या प्लाज्मा के बादल उगल रहा है. आखिरी विस्फोट न्यूयॉर्क समय के अनुसार लगभग 3 बजे हुआ था. इस सौर तूफान का अगले सप्ताह तक रह सकता है.
तूफान की असली ताकत तब पता चलेगी जब ये पृथ्वी की कक्षा में खड़े सैटेलाइट्स से टकराएगा, जोकि पृथ्वी से लगभग 1 मिलियन मील यानी 1.6 मिलियन किलोमीटर दूर हैं.
इसका कारण सूर्य के डिस्क के दाहिनी तरफ मौजूद एक सनस्पॉट क्लस्टर है. ये क्लस्टर पृथ्वी से 16 गुना बड़ा है. इस क्लस्टर में सनस्पॉट की संख्या बढ़ती और घटती रहती है. बढ़ने और घटने का ये साइकिल 11 साल की होती है. दिसंबर 2019 में बढ़ना शुरू हुआ ये सनस्पॉट अब अपने चरम पर पहुंच रहा है.