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हाल में हुए एक सर्वे के मुताबिक बार-बार मीटिंग से केवल कर्मचारी ही नहीं, बॉस भी दुःखी ही हैं. कर्मचारियों को लगता है कि हफ्ते में औसतन 25 घंटे की ऑनलाइन मीटिंग, प्रोजेक्ट अपडेट्स हटा दें तो भी कंपनी पर कोई निगेटिव असर नहीं पड़ेगा.
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सेल्सफोर्स की रिसर्च फर्म फ्यूचर फोरम ने 10,000 डेस्क वर्कर्स से मिले डेटा के आधार पर ये जानकारी दी है.
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सर्वे के अनुसार, नॉन-एग्जीक्यूटिव कर्मचारी हफ्ते के 10.6 घंटे मीटिंग में गुजारते हैं. इनमें 43% कर्मचारी मानते हैं कि इन मीटिंग को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है.
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कुछ हफ्ते पहले ही कनाडा के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म शॉपिफाई एक साल में करीब 3.20 लाख घंटे की मीटिंग्स बंद करने के ट्रैक पर है. कंपनी 2 लोगों की मीटिंग को बंद करने, ज्यादा लोगों की मीटिंग को सीमित करने पर फोकस करेगी.
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एनालिटिक्स फर्म Vyopta के सर्वे से पता चला कि 2020 में 17% वन-टू-वन होने वाली मीटिंग 2022 में 42% तक हो गईं. ये एक संकेत है कि कंपनियां मीटिंग में शामिल लोगों की संख्या पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही हैं.
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