साल 2005 में मुकेश और अनिल अंबानी में रिलायंस इंडस्ट्रीज में बंटवारे पर सहमति बनी. इस बंटवारे में मुकेश के खाते में आई RIL और अनिल को मिला कम्युनिकेशन और इंफ्रा बिजनेस. इसके बाद 2008 में मुकेश ने अनिल के टेलीकॉम फर्म के शेयर्स पर जताया हक था. नतीजतन R-Com और MTN में मर्जर पर नहीं बनी थी बात.
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जून 2009 में गैस सप्लाई पर अंबानी भाई आमने-सामने आए, जिसके बाद कोर्ट ने मुकेश के पक्ष में फैसला लिया था. इसके बाद 2013 में मुकेश और अनिल अंबानी में समझौता हुआ और 200 मिलियन डॉलर की टेलीकॉम डील पर सहमति बनी.
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2014 में अनिल अंबानी की पावर और इंफ्रा कंपनियों पर बड़ा कर्ज चढ़ा गया था. इसके बाद 2015-2017 के बीच रिलायंस डिफेंस और रिलायंस नेवल इंजीनियरिंग पर दिवालिया प्रक्रिया चली. 2017 में कर्ज के चलते R-Com ने देना बैंक से ₹250 करोड़ का कर्ज लिया था, जो 4 साल बाद भी चुकाया नहीं जा सका.
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2018 में R-Com ने ₹25,000 करोड़ की टेलीकॉम संपत्तियां बेचने का फैसला किया था. इसके बाद 2019 में अनिल अंबानी कई कानूनी लड़ाइयों में फंसे, जैसे एरिक्सन AB का उधार ना चुकाने पर जेल जाने की भी आशंका बनी और चाइनीज बैंकों ने भी लोन डिफॉल्ट के लिए कोर्ट में घसीटा. फिर 2021 में रिलायंस कैपिटल ने बैंकरप्सी के लिए आवेदन किया था.
फरवरी 2022 में SEBI ने अनिल अंबानी के खिलाफ एक अंतरिम आदेश जारी किया था. हाल ही में 23 अगस्त 2024 को ग्रुप कंपनियों को फ्रॉड स्कीम से 8,800 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने का आरोप लगा. जिसके बाद SEBI ने अनिल अंबानी पर ₹25 करोड़ का जुर्माना लगाया और अनिल अंबानी सहित 24 और एंटिटीज को शेयर बाजार से भी बैन किया.
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