BQ Explainer: 'ग्‍लोबल बायोफ्यूल अलायंस' क्‍या है, G20 समिट में PM मोदी ने की जिसकी घोषणा; क्‍यों है महत्‍वपूर्ण?

PM मोदी ने ग्‍लोबल लीडर्स से कहा, 'हम ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस लॉन्च कर रहे हैं. भारत आप सबको इससे जुड़ने के लिए आमंत्रित करता है.

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G20 शिखर सम्मेलन में कई अहम फैसले लिए गए हैं, जिनमें से एक है- ग्‍लोबल बायोफ्यूल अलायंस (Global Biofuels Alliance) की घोषणा. G20 समिट के पहले दिन शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी घोषणा करते हुए दुनिया के सामने कुछ सुझाव रखे.

PM मोदी ने कहा, 'ये समय की मांग है कि सभी देश फ्यूल ब्लेंडिंग को लेकर साथ मिलकर काम करें. हमारा प्रस्ताव है कि ग्लोबल लेवल पर पेट्रोल में एथेनॉल ब्लेंडिंग को 20% तक ले जाने के लिए पहल की जाए. या फिर 'ग्लोबल गुड' के लिए हम किसी और 'ब्लेंडिंग मिक्स' पर काम करें, जिससे एनर्जी सप्लाई निर्बाध बनी रहे और पर्यावरण भी सुरिक्षत रहे.'

इसके बाद उन्होंने कहा, 'आज हम इस संदर्भ में, ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस लॉन्च कर रहे हैं. भारत आप सबको इससे जुड़ने के लिए आमंत्रित करता है.'

दुनिया की भलाई के लिए हम वैकल्पिक रूप से एक और फ्यूल ब्लेंडिंग डेवलप करने पर काम कर सकते हैं, जो फिक्स्ड एनर्जी सप्लाई सुनिश्चित करने के साथ क्लाइमेट सुरक्षा में भी योगदान दे.
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
Source: Ministry of petroleum and Natural Gas

'वन अर्थ' सेशन के दौरान उन्होंने ग्लोबल नेताओं से ग्रीन क्रेडिट पहल पर काम शुरू करने का भी आग्रह किया.

पहले ही दिया था संकेत

PM मोदी ने पहले ही संकेत दिया था कि G20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत बायोफ्यूल पर ग्लोबल अलायंस की आधिकारिक शुरुआत कर सकता है. भारत पहले से ही इस दिशा में काम कर रहा था.

केंद्र सरकार ने इस साल फरवरी में कहा था कि भारत, अमेरिका और ब्राजील मिलकर इस तरह का अलायंस तैयार करेंगे. ये तीनों देश दुनिया के प्रमुख बायोफ्यूल उत्पादकों में शामिल हैं.

बायोफ्यूल होता क्या है?

जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि बायोफ्यूल, जैविक ईंधन है. इसका मतलब पेड़-पौधों, अनाज, शैवाल, भूसी या फूड वेस्ट से बनने वाला ईंधन है.

बायोफ्यूल्स को कई तरह के बायोमास से निकाला जाता है. इसकी खासियत है कि इसमें कार्बन की मात्रा बेहद कम होती है.

इसका इस्तेमाल बढ़ने पर पेट्रोल-डीजल-CNG जैसे पारंपरिक ईंधनों पर दुनिया की निर्भरता कम होगी और इससे पर्यावरण प्रदूषण भी कम होगा.

अलायंस से जुड़े 11 देश

भारत के अलावा अमेरिका और ब्राजील ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस के फाउंडिंग मेंबर हैं. अलायंस के लॉन्च होने के बाद तीनों फाउंडिंग मेंबर्स समेत अर्जेंटीना और इटली जैसे कुल 11 देश इससे जुड़ चुके हैं.

क्या है अलायंस का उद्देश्य?

ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस का उद्देश्य बायोफ्यूल के मामले में ग्लोबल भागीदारी को मजबूत बनाना और उनके इस्तेमाल को बढ़ावा देना है.

इस अलायंस बनाने का उद्देश्य टिकाऊ बायोफ्यूल का इस्तेमाल बढ़ाना है. साथ ही इसका उद्देश्य बायोफ्यूल मार्केट को मजबूत करना, ग्लोबल बायोफ्यूल कारोबार को सुविधाजनक बनाना और इसके लिए तकनीकी सहायता प्रदान करने पर जोर देना है.

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बायोफ्यूल से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारियां

  • पहली बार साल 1890 में रुडोल्फ डीजल ने खेती के लिए इंटरनल कंबशन इंजन (Internal combustion engine) को चलाने के लिए वेजिटेबल ऑयल का इस्तेमाल किया था.

  • साल 2022 में दुनिया में सबसे ज्यादा एथेनॉल बनाने वाले देश अमेरिका और ब्राजील हैं.

  • अमेरिका ने 57.5 अरब लीटर और ब्राजील ने 35.6 अरब लीटर एथेनॉल बनाया.

  • वहीं, बायोडीजल बनाने के मामले में यूरोप सबसे आगे रहा, जहां 17.7 अरब लीटर बायोडीजल बनाया गया.

  • बायोडीजल बनाने में यूरोप के बाद दूसरे नंबर पर अमेरिका और तीसरे नंबर पर इंडोनेशिया रहे.

  • बायोफ्यूल बनाने के लिए अलग तरह की रिफाइनरी का इस्तेमाल किया जाता है. इसको फसलों के आधार पर कैटेगराइज किया जाता है.

  • फर्स्ट जेनरेशन बायोफ्यूल खाद्य फसलों के भंडार पर निर्भर करता है. इस यूनिट में गन्ने की फसल और ग्रेन स्टार्च को प्रोसेस किया जाता है.

  • सेकेंड जेनरेशन बायोफ्यूल को डेवलप बायोफ्यूल के तौर पर जाना जाता है. इसमें प्रोसेस नॉन-एडिबल प्लांट्स, वूडी बायोमास या भूसी में होता है.

  • थर्ड जेनरेशन बायोफ्यूल, बायोमास एल्गी और माइक्रोब्स से बनाया जाता है.

  • फोर्थ जेनरेशन बायोफ्यूल कॉर्बन डाई ऑक्साइड को अवशोषित करने वाली बायोमास मटेरियल्स पर निर्भर करते हैं.

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