Gurudev Sri Sri Ravi Shankar Exclusive: मार्केट का ऊपर-नीचे जाना ही जीवन नहीं! गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर ने बताया- लाइफ में कैसे इन्‍वेस्‍ट करें

बिजनेस में बड़ी सफलता पाने और जीवन में किसी भी तरह की विफलता से पार पाने के गुरु मंत्र, गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर के साथ नियति बोहरा की Exclusive बातचीत.

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भारत की तरक्‍की को अब कोई रोक नहीं सकता. देश एक रफ्तार से आगे बढ़ रहा है. बिजनेस लीडर्स के सामने कई बड़ी चुनौतियां आईं और इसके बावजूद उन्‍होंने बेहतर परफॉर्म किया. आपका खुद पर विश्वास ही सफलता का पहला संकेत है. ये कहना है, गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर (Sri Sri Ravi Shankar) का.

गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर एक मोटिवेशनल स्‍पीकर(Motivational Speaker), आध्यात्मिक गुरु (Spiritual Leader), योग गुरु और लाइफ‍ कोच (Life Coach) के रूप में अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर विख्यात व्‍यक्तित्‍व हैं.

NDTV Profit हिंदी की नियति बोहरा के साथ एक्‍सक्‍लूसिव इंटरव्‍यू में गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर ने बिजनेस में बड़ी सफलता पाने, जीवन में किसी भी तरह की विफलता और मन की व्याकुलता से पार पाने के उपायों पर विस्‍तार से बातचीत की.

सावधानी से आगे बढ़ना जरूरी

गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर ने कहा, 'पहले स्थितियां अलग थीं. थर्ड वर्ल्ड देशों को सब दबाने की कोशिश करते रहे और काम निकालते रहे. अब स्थितियां अलग हैं. हमारे बिजनेस लीडर्स ने चुनौतियों के बावजूद अच्छा परफॉर्म किया है. पिछले 10 साल में भारत के कारोबारियों के लिए काफी अवसर खुले हैं. इसके चलते दुनिया, भारत की दीवानी हो रही है.'

उन्‍होंने कहा, 'जो आगे बढ़ते हैं, उनके पैर खींचने वाली ताकतें भी पीछे लगी रहती हैं. इसलिए इस वक्त हमें बहुत सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए. हमें ये नहीं सोचना चाहिए कि सभी दुश्मन हैं, लेकिन ये भी नहीं सोचना चाहिए कि हम जो चाहें वो करें.' आगे उन्‍होंने कहा, 'जीवन में संतुलन बहुत आवश्यक है और लोगों में विश्वास होना जरूरी है.'

समय, पैसा, जीवन-मूल्‍यों को कैसे मैनेज करें?

लीडरशिप के महत्‍व पर बातचीत करते हुए चीजों को मैनेज करने के सवाल पर गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर ने कहा, 'समय सभी के लिए बराबर होता है. एक चपरासी के पास भी दिन में 24 घंटे हैं और एक प्रधानमंत्री के पास भी. इस समय में हम कितने फोकस्ड हैं और कितने उत्साहित हैं, ये मायने रखता है. व्यर्थ की चिंता में समय गंवाना सही नहीं है.'

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उन्‍होंने कहा, 'हमें वर्तमान में रहकर सोचना चाहिए. भूतकाल या भविष्यकाल में नहीं जीना चाहिए. तनाव तो आएंगे, इनमें डूबना नहीं है. इससे अपने आपको ऊपर रखना है. खुद को तनाव से मुक्‍त रखना एक कला है. इसके लिए आत्मविश्वास जरूरी है. ईश्‍वर में विश्वास जरूरी है.'

उन्‍होंने कहा, 'देश की बात हो या बिजनेस लीडरशिप की, किसी की भी बात से प्रभावित हो जाना या फिर किसी की भी बात नहीं सुनना, दोनों ही गलत है. इसमें संतुलन करते हुए फैसले लेना जरूरी है.'

बिजनेस लीडर्स के लिए गुरुदेव के गुरुमंत्र

  • एक बिजनेस लीडर को सबकी बात सुननी चाहिए

  • अपने लक्ष्य पर अडिग रहें और आगे बढ़ें

  • सभी लीडर्स के लिए 'इंट्यूशन' बहुत जरूरी है

  • बिना मन की बात सुने कोई बिजनेस आगे नहीं बढ़ता

  • ध्यान करना जरूरी, अपने लिए थोड़ा वक्त निकालना जरूरी

  • समय निकालें और चिंतन करें- हमारा जीवन कहां जा रहा है

  • ध्‍यान से मन को विश्राम मिलेगा तो ही बुद्धि काम करेगी

सफलता के क्‍या मायने हैं?

सफलता (Success) की परिभाषा निश्चित नहीं हो सकती. सबके लिए इसके अलग मायने हो सकते हैं, लेकिन वैश्विक तौर पर देखा जाए तो इसके क्‍या मायने हैं? इस सवाल पर गुरुदेव श्री श्री रविशंकर का कहना है कि उनके लिए 'खुद में अटूट आत्‍मविश्वास का होना' ही सफलता है.

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उन्‍होंने कहा, 'जब चीजें आपके पक्ष में हों तो आप कहेंगे कि मैं सफल हूं. जब चीजें पक्ष में न हों तब भी आपको खुद पर भरोसा रहना चाहिए, ये सफलता का पहला संकेत है. दूसरा संकेत है- हमेशा मुस्कुराते रहना.'

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मार्केट का ऊपर-नीचे जाना ही जीवन नहीं!

गुरुदेव ने जीवन को विशाल दृष्टिकोण से देखने की जरूरत बताई. उन्‍होंने कहा, 'मार्केट का ऊपर-नीचे जाना ही जीवन तो नहीं है. जो कामयाबी आपको मिली है, उसे एंजॉय भी करना चाहिए. लोग आधी जिंदगी, पैसे कमाने में खराब कर देते हैं और बाकी जिंदगी वही पैसे खर्च कर हेल्‍थ बचाने में लगा देते हैं. ये सही नहीं है.'

आगे उन्‍होंने कहा, 'पारिवारिक जीवन, सामाजिक जीवन और आध्‍यात्मिक जीवन, सबमें संतुलन होना जरूरी है.जो व्‍यक्ति इसमें बैलेंस लेकर आता है, वही सफल है.'

सफलता और असफलता को कैसे मैनेज करें?

सफलता और असफलता काे कैसे मैनेज करें, इस सवाल का जवाब गुरुदेव ने 'अध्‍यात्‍म' में बताया. उन्‍होंने कहा, 'ध्यान, योग, प्राणायाम व्यक्ति को अंदर से बहुत शक्तिशाली बना देता है. इतना कि फिर सफलता-असफलता की चिंता नहीं रह जाती.' वे बोले- 'ऐसी दूरदृष्टि होनी जरूरी है कि कोई भी चुनौती थोड़े समय के लिए है. ये निकल जाएगा. समय का ज्ञान, हमें इन चुनौतियों से बाहर निकालने में मदद करता है.'

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'पैसा ही सबकुछ नहीं, ये केवल साधन है'

पैसा, सबके लिए अलग-अलग मायने रखता है, आपके लिए क्‍या मायने हैं? इस सवाल पर गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने कहा, 'पैसा सबकुछ नहीं है, पैसा सिर्फ एक साधन है. हमें कुछ भौतिक चाहिए तो पैसे से वो पाया जा सकता है. इसलिए पैसा साधन है.'

उन्‍होंने कहा, 'पैसा शांति और आनंद का मूल नहीं है. पैसा समाज कल्याण के लिए सिर्फ एक साधन है. पैसा आत्मनिर्भर बनाता है, लेकिन हम एक-दूसरे पर भी निर्भर हैं. ब्रह्मांड में सभी एक-दूसरे पर निर्भर हैं, ये समझे बिना तरक्की नहीं कर सकते.'

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लाइफ में कैसे इन्वेस्ट किया जाए?

गुरुदेव श्री श्री रविशंकर कहते हैं, 'ध्यान में, ज्ञान में, सेवा में.... लाइफ में खुद को इन्वेस्ट करना चाहते हैं, ऐसे करें. सेवा में जितना आप खुद को इन्‍वेस्‍ट करते हैं, उतना मेरिट पाते हैं. सेवा से पुण्‍य मिलता है और पुण्‍य पर सफलता निर्भर करती है. उन्‍होंने कहा, 'जीवन में यश मिले, धन मिले, इसमें कर्म की बहुत बड़ी भूमिका है और वो कर्म पुण्‍य से मिलता है.'

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डिस्ट्रैक्शन और डिप्रेशन से बचना है तो...

गुरुदेव श्री श्री रविशंकर कहते हैं, 'चिंता, डिप्रेशन से लड़ने के लिए अध्यात्म को अपने जीवन में शामिल करना चाहिए. खुद को वक्त देना चाहिए. जीवन में योग-ध्‍यान को शामिल करें. ' संगीत को महत्‍वपूर्ण बताते हुए वे कहते हैं, 'हर दिन संगीत सुनो, सीखो और गाओ.'

आगे वो कहते हैं, 'समाज के बारे में सोचना जरूरी है कि उसके लिए हम क्या कर सकते हैं. हमेशा पाने के बारे में नहीं, देने के बारे में भी सोचना चाहिए. इतना सबकुछ करने के बाद कोई आपके जीवन से खुशी नहीं छीन सकता.'

युद्ध के बीच वर्ल्ड लीडर्स को संदेश

रूस-यूक्रेन युद्ध और इजरायल-हमास युद्ध के बीच वर्ल्‍ड लीडर्स को मैसेज देने के सवाल पर गुरुदेव कहते हैं, 'उन्‍हें ये सोचना चाहिए कि जब आप कोई फैसला लेते हैं तो उसका व्‍यापक असर पड़ता है. इसलिए कोई भी फैसला लेने से पहले दो बार सोचना चाहिए. किसी भी इमोशन या बहाव में आकर फैसले नहीं लेने चाहिए.' उन्‍होंने कहा, 'तनाव मुक्त मन से जो फैसले लिए जाते हैं, वो ही लोक-कल्याणकारी होते हैं.'

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स्‍वभाव के लिए प्रभाव की जरूरत नहीं!

दुनिया को प्रेरित करने वाले गुरुदेव श्री श्री रविशंकर कहां से प्रेरणा पाते हैं, इस सवाल पर गुरुदेव ने 'सूर्य' का उदाहरण दिया. उन्‍होंने कहा कि सूरज का स्‍वभाव है, दुनिया को प्रकाश देना. उससे पूछा जाए कि वो कहां से प्रकाश लाता है, तो क्‍या जवाब होगा?'

उन्‍होंने कहा, 'गुरु का स्वभाव होता है, दूसरों की भलाई करना. सबके काम में सहभागी बनना, सबकी मदद करना, सबको उठाना स्वभावगत है. स्वभावगत होने के लिए बाहरी प्रभाव की जरूरत नहीं पड़ती.'

लेखक Niyati Bohra