जून की तपती दुपहरी में जब भारतीय छुट्टियों की प्लानिंग कर रहे थे, पश्चिम एशिया में बारूद की गंध घुल चुकी थी. हम बात कर रहे हैं, ईरान-इजरायल युद्ध की. 13 जून को शुरू हुए इस युद्ध का 11वां दिन है, लेकिन अब ये सिर्फ दो देशों के बीच की जंग नहीं रही. अब ये एक ऐसा संघर्ष बन चुका है, जिसमें अमेरिका की मिसाइलें, रूस की कूटनीति, चीन की चिंता और भारत जैसे देशों की नागरिक सुरक्षा तक उलझ चुकी है.
ईरानी रेड क्रिसेंट के मुताबिक, इजराइल ने अपने हमलों में 8 मेडिकल सेंटरों को निशाना बनाया है. इसमें वली असर अस्पताल, खातम अस्पताल और करमानशाह का एक ICU भी शामिल है. ये अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार नियमों का सीधा उल्लंघन माना जा रहा है.
हर बीतता दिन नए मोड़ ला रहा है- नए खतरे और नए दावे. आइए समझते हैं अब तक इस जंग में क्या-क्या हुआ है, किसने क्या खोया, क्या पाया और आगे क्या संकेत मिल रहे हैं.
इजरायल और ईरान का दावा
इजराइल ने 15 फाइटर प्लेन तबाह करने का दावा किया है. इजरायली सेना का दावा है कि उसने ईरान के 6 एयरबेस पर हमला किया है और 15 फाइटर प्लेन व हेलीकॉप्टर नष्ट कर दिए हैं. ये रिपोर्ट रॉयटर्स ने जारी की है, हालांकि ईरान ने इस पर आधिकारिक बयान नहीं दिया है.
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि देश ईरान के मिसाइल और परमाणु खतरे को खत्म करने के अपने लक्ष्य के बेहद करीब है. उन्होंने साफ किया कि ऑपरेशन जल्दबाजी में खत्म नहीं किया जाएगा, लेकिन आवश्यकता से अधिक भी नहीं बढ़ाया जाएगा.
वहीं, दूसरी ओर खामेनेई ने इजराइल को सजा देने की चेतावनी दी है. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा कि अमेरिका और इजराइल ने बड़ा अपराध किया है और इजराइल को 'सजा मिल रही है और मिलती रहेगी'. उन्होंने सोशल मीडिया पर स्पष्ट किया कि ये संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है.
अमेरिका ने बदला युद्ध का रुख
इस युद्ध में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब अमेरिका ने सीधे हस्तक्षेप करते हुए ईरान पर हमला कर दिया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी पुष्टि की और बताया कि अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों- फोर्डो, नतांज और एस्फाहान- को निशाना बनाया है.
ट्रंप ने इसे 'शांति की ओर पहला कदम' बताते हुए कहा कि अब ईरान को युद्ध छोड़कर वार्ता का रास्ता अपनाना चाहिए. ट्रंप का दावा है कि ये हमला बेहद सफल रहा और ईरान की परमाणु क्षमताओं को गहरा नुकसान हुआ है.
ईरान का पलटवार और बढ़ते कदम
अमेरिकी हमले के बाद ईरान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए इजराइल पर कई मिसाइलें दागीं. इसके साथ ही ईरान अब कूटनीतिक मोर्चे पर भी सक्रिय हो गया है. ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची 'गंभीर परामर्श' के लिए रूस पहुंच चुके हैं, जहां वे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे. इससे साफ है कि ईरान अब रूस जैसे सहयोगी की मदद से अमेरिका और इजराइल की जुगलबंदी से निपटना चाहता है.
बाजार में भी भूचाल, तेल की कीमतें बढ़ीं
ईरान पर अमेरिकी हमले के बाद तेल की कीमतों में तेज उछाल आया है. ब्रेंट क्रूड 3% बढ़कर 79 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चला गया. व्यापारी मान रहे हैं कि अगर ये टकराव और बढ़ा, तो वैश्विक सप्लाईचेन पर बुरा असर पड़ सकता है.
चीन, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान का रुख
ईरान पर हमले के बाद पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) ने आपात बैठक बुलाई है. ये बैठक क्षेत्रीय स्थिति की समीक्षा और रणनीतिक प्रतिक्रिया के लिए की गई. चीन ने अमेरिका के हमले को गैर-जिम्मेदाराना करार दिया है और कहा है कि इससे उसकी वैश्विक विश्वसनीयता को गहरी चोट पहुंची है. उत्तर कोरिया ने भी हमलों की निंदा की है और इसे एकतरफा आक्रामकता बताया है.
संयुक्त राष्ट्र का गंभीर आरोप
संयुक्त राष्ट्र में ईरान के प्रतिनिधि ने कहा कि अमेरिका ने एक 'मनगढ़ंत बहाने' के तहत युद्ध छेड़ा है. गाजा और वेस्ट बैंक में यूएन की मानवतावादी एजेंसी के प्रमुख जोनाथन व्हिटाल ने कहा कि इजरायली सेना भूखे लोगों की भीड़ पर जानबूझकर गोलीबारी कर रही है. उनका कहना है कि 'भूख को मौत की सजा मिल रही है' और ये पूरी मानवता के लिए शर्मनाक है.
ऑपरेशन सिंधु: भारतीयों की वापसी
भारत सरकार ने 'ऑपरेशन सिंधु' के तहत इजराइल में फंसे भारतीयों को निकालना शुरू कर दिया है. 22 जून को एक बैच में 160 भारतीयों को जॉर्डन होते हुए भारत लाया गया. 23 जून को दो बैच रवाना हुए- एक जॉर्डन और दूसरा मिस्र से. कुल 600 से ज्यादा भारतीय अब तक सुरक्षित भारत लौट चुके हैं.