Budget 2024 पर विपक्ष के सवालों पर वित्त मंत्री का लोकसभा में जवाब; 'सोशल सेक्टर्स में आवंटन कई गुना बढ़ा, सभी क्षेत्रों और सामाजिक वर्गों का रखा ध्यान'

Nirmala Sitharaman In Parliament: किसी राज्य की नहीं हुई अनदेखी, सभी को मिले पर्याप्त संसाधन: वित्त मंत्री

Photo: Screengrab/Sansad TV

निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार को लोकसभा में यूनियन बजट 2024-25 पर विपक्ष के सवालों का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि बजट 2024 'सबका साथ, सबका विकास और सबका प्रयास' के थीम पर फोकस है. इसमें सोशल इंक्लूजन के साथ-साथ जियोग्राफिकल इंक्लूजन का भी ध्यान रखा गया है. ताकि कोई इलाका और वर्ग पीछे ना छूट जाए.

वित्त मंत्री ने आगे कहा कि इस साल सरकार का बजट 48.21 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है. कोविड के बाद लगातार अच्छी ग्रोथ हो रही है, जिसकी वजह सरकार द्वारा लगातार कैपेक्स को बढ़ाया जाना है, जिससे अच्छे एसेट्स बन रहे हैं. आज कैपेक्स 11.11 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है.

सामाजिक क्षेत्रों में ज्यादा हुआ आवंटन

वित्त मंत्री ने ये भी कहा कि विपक्ष का ये आरोप गलत है कि सामाजिक क्षेत्रों में आवंटन कम हुआ है. उन्होंने 2013-14 की तुलना में शिक्षा, कृषि, ग्रामीण विकास जैसे सेक्टर्स में बढ़े हुए बजट के आंकड़े बताए.

उन्होंने कहा, 'कृषि सेक्टर में खर्च 2013-14 में 30 हजार करोड़ था, जबकि अब ये 1.52 लाख करोड़ हो गया है. जबकि शिक्षा, कौशल विकास में 85 हजार करोड़ था, अब ये 1.48 लाख करोड़ रुपये हो गया है.'

महिलाओं के विकास के लिए बजट राशि अब 2.7 लाख करोड़ रुपये हो गई है. जबकि ग्रामीण विकास में 10 साल में बजट 87 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 2.66 लाख करोड़ रुपये हो गया है. शहरी विकास पर महज 12 हजार करोड़ रुपये का आवंटन होता था, जो अब 1 लाख करोड़ रुपये का हो चुका है: निर्मला सीतारमण

वित्त मंत्री ने आगे कहा कि सरकार बेहतर ग्रोथ के जरिए असमानता खत्म करने की नीति पर चल रही है. अब जन कल्याण, ग्रोथ और फिस्कल कंसोलिडेशन को बैलेंस करने की कोशिश हो रही है.

2021-22 में सरकार ने फिस्कल डेफिसिट को 4-5% के बीच लाने का वायदा किया था, हम तबसे ही इस दिशा में काम कर रहे हैं. अब हम 4.9% के टारगेट तक ले आए हैं: निर्मला सीतारमण

वहीं जम्मू-कश्मीर पर जानकारी देते हुए FM ने कहा कि राज्य में फिस्कल डिस्ट्रेस को कम करने और डेवलपमेंट के लिए 17,000 करो़ड़ रुपये का आवंटन किया गया है.

वित्त मंत्री के भाषण की अहम बातें:

  • वित्त मंत्री ने कहा कि ये आरोप भी गलत है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में रोजगार सृजन नहीं हुआ. उन्होंने SBI रिसर्च रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, 'भारत में 2014 से 2023 के बीच 12.5 करोड़ नौकरियां पैदा हुईं, जबकि UPA के 10 साल में 2.9 करोड़ नौकरियां ही पैदा हुई थीं.'

  • अटल जी की सरकार में महंगाई दर औसतन 3.8% थी. जबकि ये 2004-2014 में बढ़कर औसतन 8.1% हो गई. RBI गवर्नर की किताब में कोट है कि 'वित्त मंत्रालय RBI पर दबाव बनाकर ब्याज दरों को कम रखने के लिए कहता था, ताकि लोगों के बीच अच्छे सेंटीमेंट बने रहें.'

  • ग्लोबल हंगर इंडेक्स जैसे पैमाने भारत के लिए सही नहीं. वहां सूडान, पाकिस्तान जैसे देशों की रैंकिंग भारत से बेहतर कैसे है, जहां खाने-पीने के लाले पड़े हैं? जबकि भारत में 80 करोड़ लोगों के लिए मुफ्त अनाज की योजनाएं तक चल रही हैं.

  • NK प्रेमचंद्रन ने बजट में पारदर्शिता की कमी के आरोप लगाए. लेकिन हकीकत उलट है. ऐसा UPA में होता था. तब बजट बॉरोइंग्स के जरिए डेफिसिट को छुपाया जाता था. बिल्कुल वैसे ही जैसे हकीकत को बढ़िया दिखाने के लिए RBI पर दबाव बनाया जाता था.

  • माइनॉरिटी बजट कम नहीं हुआ. ये आरोप गलत है. 2023-24 में 3098 करोड़ था, अब इस साल ये बढ़कर 3185 करोड़ रुपये पहुंच गया है.

  • वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए FM सीतारमण ने कहा, 'आजादी के बाद पश्चिम बंगाल की इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में हिस्सेदारी 24% थी, आज ये 3.5% बची है. 2010 में कैपिटल फॉर्मेशन में 6.7% की हिस्सेदारी थी. आज ये 2.9% बची है. ये बंगाल की इकोनॉमी का प्रदर्शन है.'

राहुल गांधी ने साधा था सरकार पर निशाना

राहुल गांधी ने 29 जुलाई को लोकसभा में बजट पर भाषण दिया था. इस दौरान उन्होंने जाति जनगणना, MSP को कानूनी वैधता, NEET और बजट समेत तमाम मुद्दों पर सरकार पर जमकर निशाना साधा.

उन्होंने कहा कि बजट में पिछड़ों और दलितों-आदिवासियों के लिए कुछ नहीं है. जिन 20 अफसरों ने बजट बनाया, उनमें सिर्फ एक मॉइनारिटी और एक OBC वर्ग से थे.

उन्होंने जाति जनगणना का मुद्दा भी उठाया कि हर वर्ग ये जनगणना चाहता था, लेकिन बजट में इस पर कुछ नहीं हुआ. बता दें 23 जुलाई को बजट 2024 को पेश किया गया था.

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