बीते दस साल में देश से बाहर गया 27 लाख करोड़ का काला धन : रिपोर्ट

साल 2003 से 2012 के बीच भारत से करीब 440 अरब डॉलर, यानी 27 लाख करोड़ से भी ज्यादा रुपया गैर-कानूनी तरीके से विदेश गया। इसमें से करीब 6 लाख करोड़ सिर्फ 2012 में गया।

फाइल फोटो

साल 2003 से 2012 के बीच भारत से करीब 440 अरब डॉलर, यानी 27 लाख करोड़ से भी ज्यादा रुपया गैर-कानूनी तरीके से विदेश गया। इसमें से करीब 6 लाख करोड़ सिर्फ 2012 में गया।

ये आंकड़े अंतरराष्ट्रीय संस्था ग्लोबल फाइनेन्शियल इंटेग्रिटी की ताजा रिपार्ट के हैं, जिसका दावा है कि भारत के लिए ब्लैकमनी की मुश्किल काफी बड़ी है।

भारत सरकार ने इस रिपोर्ट पर औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी लेकिन सत्ताधारी दल की सहयोगी शिवसेना ने सरकार को याद दिलाया कि उसे ब्लैक मनी पर अपना वायदा पूरा करना होगा। शिव सेना के नेता संजय राउत ने कहा, 'इतने कम समय में इतना पैसा बाहर ले गए। ये अब सरकार की ज़िम्मेदारी है। पीएम और वित्तमंत्री को चुनावों में किये गए वायदों को पूरा करना चाहिए"।

मंगलवार को ही चुनावों और राजनीतिक दलों पर नज़र रखने वाली संस्था इलेक्शन वॉच ने भी चौंकाने वाले खुलासे किए। ब्लैक मनी पर एसआईटी को सौंपे एक मेमोरेन्डम में संस्था ने दावा किया कि 2004 से 2012 के बीच राजनीतिक दलों की बेनामी आमदनी 4,368 करोड़ से भी ज्यादा थी। यानी काले धन से राजनीति का रिश्ता भी कम करीबी नहीं।

ग्लोबाल फाइनेन्शियल इंटेग्रिटी और इलेक्शन वॉच की ताज़ा रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद ब्लैक मनी पर राजनीतिक बहस फिर तेज़ हो गयी है। मुश्किल ये है कि पिछली बार की तरह इस बार भी इस मुद्दे पर ठोस कार्रवाई कम और नाजनीतिक ज्यादा हो रही है।

कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने कहा, 'सरकार ने 100 दिन के अंदर काला धन लाने का वायदा किया था। अब मेरी क्षेत्र में लोग एकाउंट में पैसे जमा होने का इंतज़ार कर रहे हैं'।

वहीं समाजवादी पार्टी ने एनडीए सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल ने कहा, 'मुझे लगता है कि हिन्दुस्तान के लिए काला धन सपना भर रह गया है। मोदी जी ने चुनाव में इस मुद्दे को कैश कर लिया...लेकिन अब कैश नहीं आएगा'।

जबकि तृणमूल कांग्रेस के नेता और पूर्व रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी ने दावा किया कि जब तक इलेक्शन में काला धन रहेगा कोई भी सरकार इसके खिलाफ कुछ भी नहीं कर पाएगी।

सवाल है...चुनावों में मुद्दा रही ब्लैक मनी राजनीतिक खींचतान से बचती बचाती कभी वापस भी आएगी या परछाई को पकड़ने की ये मुहिम आगे भी जारी रहेगी।

लेखक NDTV Profit Desk
जरूर पढ़ें
1 बाजार में सुस्ती, निफ्टी 22,350 के करीब; बैंक, IT पर दबाव
2 भारतीय इकोनॉमी इस साल 6.9% की दर से बढ़ेगी! UN ने बढ़ाया ग्रोथ अनुमान, क्‍या हैं कारण?
3 भारतीय बाजारों के लिए ग्लोबल संकेत खराब, ये शेयर फोकस में रखें