एयर इंडिया को 7853 करोड़ रुपये का घाटा

सरकार ने एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के पांच वर्ष पहले हुए विलय से कंपनी को कोई फायदा न होने की बात को नकारने के बावजूद यह स्वीकार किया है कि वर्ष 2011-12 में एयर इंडिया का अनुमानित घाटा 7,853 करोड़ रुपये है।

सरकार ने एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के पांच वर्ष पहले हुए विलय से कंपनी को कोई फायदा न होने की बात को नकारने के बावजूद यह स्वीकार किया है कि वर्ष 2011-12 में एयर इंडिया का अनुमानित घाटा 7,853 करोड़ रुपये है।

केपी रामालिंगम द्वारा पूछे गए प्रश्नों के लिखित उत्तर में नागर विमानन मंत्री अजित सिंह ने कहा कि पूर्ववर्ती एयर इंडिया ने वर्ष 2004-05 में क्रमश: 65.14 करोड़ रुपये और 12.43 करोड़ रुपये का लाभ दर्ज किया, जबकि इस अवधि के दौरान पूर्ववर्ती इंडियन एयरलाइन्स ने भी क्रमश: 71.61 करोड़ रुपये और 63 करोड़ रुपये का लाभ दर्ज किया।

उन्होंने यह भी माना कि वर्ष 2006-07 के दौरान पूर्ववर्ती एयर इंडिया को 541.30 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा। उन्होंने कहा कि विलय के बाद एयर इंडिया को वर्ष 2007-08 में 2,226.16 करोड़ रुपये, वर्ष 2008-09 में 5,548.26 करोड़ रुपये, वर्ष 2009-10 में 5,552.44 करोड़ रुपये, 2010-11 में 6,865.17 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा, जबकि वर्ष 2011-12 में इसका अनुमानित घाटा 7,853 करोड़ रुपये का है।

नागर विमानन मंत्री ने कहा कि एयर इंडिया ने एकीकरण की 74 प्रतिशत प्रक्रिया को पूरी कर लिया है और 23 प्रतिशत एकीकरण प्रक्रिया पूरी की जा रही है। शेष तीन प्रतिशत प्रक्रिया अभी शुरू की जानी है।

नागर विमानन मंत्री ने कहा कि लागत को कम करने और परिचालन प्रदर्शन को सुधारने के एयर इंडिया द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों में एयर इंडिया तथा इंडियन एयरलाइन्स के मार्गों को युक्तिसंगत बनाने, घाटे वाले कुछ मार्गों को युक्तिसंगत बनाने, यात्रियों को आकर्षित करने के लिए अनेक घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर नए ब्रांड के विमानों को शामिल करने, पुराने बेड़े को हटाकर रख-रखाव की लागत कम करने, पट्टे वाले विमानों को पट्टावधि समाप्त होने या इससे पूर्व वापस करने जैसे प्रस्ताव शामिल हैं।

इनके अलावा गैर-परिचालन वाले क्षेत्रों में रोजगार को बंद करने, अनावश्यक व्यय को कम करने के लिए कर्मचारियों की पुर्नतैनाती, फ्रैंकफर्ट हब को बंद करने तथा दिल्ली हब को स्थापित करने, एकीकृत परिचालन नियंत्रण केन्द्रों की स्थापना आदि कदम भी शामिल हैं।

लेखक NDTV Profit Desk
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