भारत और टेस्ला (Tesla) मैन्युफैक्चरिंग फैक्ट्री कॉन्ट्रैक्ट पर सहमत होने के करीब हैं. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक इस समझौते के बाद टेस्ला अगले साल से भारत में इलेक्ट्रिक कार मैन्युफैक्चरिंग (Electric Car Manufacturing) के लिए फैक्ट्री लगा सकेगा.
मामले से जुड़े लोगों ने ब्लूमबर्ग को बताया कि अगले साल जनवरी में वाइब्रेंट गुजरात समिट में इसका ऐलान हो सकता है. फैक्ट्री सेटअप के लिए गुजरात के साथ-साथ महाराष्ट्र और तमिलनाडु के नाम पर चर्चा चल रही है, क्योंकि इन राज्यों में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और एक्सपोर्ट के लिए अच्छा इकोसिस्टम मौजूद है.
2 बिलियन डॉलर का शुरुआती निवेश कर सकता है टेस्ला
टेस्ला प्लांट सेटअप करने के लिए 2 बिलियन डॉलर के शुरुआती निवेश पर सहमति जता सकती है. साथ ही भारतीय कंपनियों से करीब 15 बिलियन डॉलर के ऑटो पार्ट्स खरीदने का टारगेट बना सकता है. कंपनी कुछ बैटरियों का निर्माण भारत में करेगी, ताकि लागत को कम किया जा सके.
जानकारों ने बताया कि अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है और योजनाओं में कुछ बदलाव भी हो सकते हैं. बता दें जून में टेस्ला के CEO एलन मस्क ने भारत में बड़े निवेश की बात कही थी. उन्होंने 2024 में भारत आने की बात भी दोहराई थी. फिलहाल भारत के भारी उद्योग मंत्रालय ने मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
बता दें भारत में तेजी से इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की डिमांड बढ़ रही है. टेस्ला के लिए ये बड़ा मौका हो सकता है. टेस्ला की फिलहाल अमेरिका, चीन और जर्मनी में फैक्ट्री हैं. मोदी सरकार भी लगातार EVs की घरेलू मैन्युफैक्चरिंग पर जोर दे रही है.
हालांकि भारत में फिलहाल EV मार्केट ने उतनी तेजी नहीं पकड़ी है, ब्लूमबर्ग NEF के मुताबिक कुल व्हीकल में EVs की संख्या सिर्फ 1.3% है. इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की ऊंची कीमत और चार्जिंग स्टेशन की कमी बड़ी रुकावट बन रही हैं. हालांकि EV इंफ्रा को डेवलप करने की तेज कोशिशें हो रही हैं.
मस्क ने की थी भारत की आलोचना
टेस्ला और भारत के बीच प्लांट को लेकर बातचीत इस साल मई में दोबारा शुरू हुई थी. इससे पहले एक साल तक इस पर कोई चर्चा नहीं हुई थी.
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा व्हीकल मार्केट है. मस्क ने EV पॉलिसी और बहुत ज्यादा इंपोर्ट टैक्स के लिए भारत की आलोचना की थी. जिसके चलते टेस्ला बाहर से लाकर कार भारत में नहीं बेच पा रहा है. जवाब में भारत ने टेस्ला और मस्क को चीन से कार लाकर ना बेचने की सलाह देते हुए लोकल मैन्युफैक्चरिंग पर जोर दिया था.
भारत अब उन इंटरनेशनल EV मैन्युफैक्चरर्स के लिए इंपोर्ट टैक्स कम करने की योजना बना रहा है, जो भविष्य में भारत में उत्पादन की योजना रखते हैं.