आम भारतीय अपनी बचत के पैसे कहां लगा रहे हैं? इस सवाल का जवाब वित्तवर्ष 2015-16 के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट में मिलता है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय घरों की कुल वित्तीय बचत वर्ष 2013-14 में सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय (जीएनडीआई) का 7.4 फीसदी और 2014-15 में 7.5 फीसदी थी, जो कि वर्ष 2015-16 में बढ़कर 7.7 फीसदी हो गया है.
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2015-16 में भारतीय घरों का जीएनडीआई करीब 138.32 लाख करोड़ रुपये बैठता है.
आरबीआई की रिपोर्ट बताती है कि बचत दर में यह इजाफा छोटी बचतों, इक्विटी, म्यूचुअल फंड और टैक्स-फ्री बॉन्ड्स की वजह से हुआ.
इस रिपोर्ट में बताया गया कि वर्ष 2015-16 में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (पीएसयू) द्वारा जारी टैक्स फ्री बॉन्ड्स ज्यादा आमदनी वाले लोगों के बीच खासा लोकप्रिय रहा, क्योंकि टैक्स के मामले में ये निवेश बैंक में जमा पैसों के मुकाबले ज्यादा बेहतर होते हैं.
वहीं बैंक खातों में पैसे जमा करने की बात है तो वित्त वर्ष 2015 में जीएनडीआई का 4.7 फीसदी से घटकर वित्त वर्ष 2016 में यह 4.5 रह गया. हालांकि ये तथ्य थोड़े चौंकाते जरूर हैं, क्योंकि महंगाई दर में गिरावट की वजह से बैंक जमा पर अच्छा रिर्टन मिल रहा था.
इसके अलावा दूसरे वित्तीय उत्पादों पर अगर नजर डालें तो शेयर और बॉन्ड्स में निवेश पिछले साल जीएनडीआई का 0.4 फीसदी की तुलना में वित्त वर्ष 2016 में बढ़कर 0.7 हो गया. बीमा फंड में निवेश भी पिछले साल जीएनडीआई का 1.9 फीसदी से बढ़कर इस वित्त वर्ष 2 फीसदी हो गया.
वहीं दूसरी तरफ, भारतीय परिवारों की वित्तीय देनदारियां भी पिछले साल के 2.5 फीसदी की तुलना में इस साल बढ़कर जीएनडीआई का 3 फीसदी हो गया, जिससे यह पता चलता है कि बैंकों या दूसरे वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है.