HDFC बैंक का कर्ज घटाने का प्लान, बेच सकता है एसेट्स

लोन की सेल से HDFC बैंक को अपने क्रेडिट डिपॉजिट रेश्यो को बेहतर बनाए रखने में भी मदद मिलेगी. 31 दिसंबर तक बैंक का क्रेडिट डिपॉजिट रेश्यो 110% था.

Source: BQ Prime

निजी सेक्टर का बैंक HDFC बैंक (HDFC Bank) अपने ज्यादा कर्ज को घटाने के लिए अपनी लोन बुक पर मौजूद कुछ एसेट्स को बेच (Assets Sale) सकता है. NDTV Profit की रिपोर्ट के मुताबिक मामले की जानकारी रखने वालों ने ये बताया है. बैंक अपनी बैलेंस शीट पर कॉस्ट रेश्यो को घटाने की कोशिश कर रहा है. इसके साथ बैंक क्रेडिट डिपॉजिट रेश्यो (Credit Deposit Ratio) को भी घटाना चाहता है.

कौन से कर्जों की होगी सेल?

जिन लोन की सेल की जाएगी उनमें वो शामिल हैं जो प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग टैग के लिए क्वालिफाई नहीं होते हैं. बैंक हाई-क्वालिटी लोन्स देता रहेगा. लेकिन उसके पास सिक्योरिटाइजेशन मार्केट के जरिए उन्हें बेचने का अधिकार होगा. कई बैंक हाई-क्वालिटी लोन्स को खरीदने का विचार कर रहे हैं.

मामले की जानकारी रखने वाले व्यक्ति ने बताया कि ऐसे लोन की सेल से HDFC बैंक को अपने क्रेडिट डिपॉजिट रेश्यो को बेहतर बनाए रखने में भी मदद मिलेगी. 31 दिसंबर तक बैंक का क्रेडिट डिपॉजिट रेश्यो 110% था.

मर्जर के बाद बढ़ गया लोन रेश्यो

HDFC बैंक का ज्यादा लागत वाले कर्ज का रेश्यो हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्प के साथ उसके मर्जर के बाद बाद बढ़ गया. Q3 नतीजों के मुताबिक HDFC बैंक के कर्ज उसकी कुल लायबिलिटी का 21% हैं. मर्जर से पहले ये 8% था. 31 दिसंबर तक कर्ज 7.38 लाख करोड़ रुपये है. ये 30 जून को 2.09 लाख करोड़ रुपये था. HDFC बैंक और HDFC के बीच मर्जर 1 जुलाई से प्रभावी हुआ था.

ज्यादा लागत वाले कर्ज से बैंक के फंड की लागत भी बढ़ी. 31 दिसंबर तक HDFC बैंक के फंड्स की लागत 4.9% रही. ये 30 जून को 4% थी. HDFC बैंक ने तीसरी तिमाही के नतीजों का ऐलान करते समय बताया था कि वो ज्यादा लागत वाली डिपॉजिट को घटाने पर काम कर रहा है.

तिमाही के दौरान नॉन-रिटेल डिपॉजिट में 11,800 करोड़ रुपये की गिरावट आई. जबकि रिटेल डिपॉजिट में 53,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई. इससे डिपॉजिट में 41,100 करोड़ रुपये की कम्युलेटिव बढ़ोतरी देखने को मिली.

Also Read: क्या HDFC बैंक मैनेजमेंट का कमजोर कम्युनिकेशन रहा शेयर में बड़ी गिरावट की वजह?