गोल्‍ड लोन पर RBI क्‍यों ला रहा नई गाइडलाइंस, MPC में बैंकिंग सिस्‍टम पर और कौन-से फैसले लिए गए?

RBI ने सितंबर 2024 में एक सर्कुलर जारी कर बैंकों को सलाह दी थी कि वे गोल्ड गिरवी रखकर दिए जा रहे लोन की प्रक्रिया और नीतियों की दोबारा समीक्षा करें.

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने चालू वित्त वर्ष की पहली मॉनिटरी पॉलिसी (Monetary Policy Meeting) में कई अहम घोषणाएं की हैं, जिसमें एक घोषणा गोल्‍ड लोन से जुड़ी है. गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि गोल्ड लोन पर नई गाइडलाइंस जारी की जाएंगी.

उन्‍होंने बताया कि इस बारे में व्यापक नियम जारी किए जाएंगे. इन नियमों का मकसद सभी बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए गोल्ड लोन से जुड़ी गाइडलाइंस को एक समान बनाना है, ताकि जोखिमों को बेहतर तरीके से संभाला जा सके.

गोल्ड लोन पर नए नियम क्यों?

RBI ने सितंबर 2024 में एक सर्कुलर जारी कर बैंकों को सलाह दी थी कि वे गोल्ड गिरवी रखकर दिए जा रहे लोन की प्रक्रिया और नीतियों की दोबारा समीक्षा करें. जांच के दौरान RBI को कुछ कमियां मिली थीं, जैसे

  • लोन लेने वालों की ठीक से जांच नहीं होना

  • लोन का इस्तेमाल कहां हो रहा है, इसकी निगरानी नहीं

  • लोन-टू-वैल्यू (Loan to Value) रेश्यो की कमजोर निगरानी

  • जोखिम का सही मूल्यांकन नहीं होना

RBI ने सभी बैंकिंग संस्थानों से कहा है कि वे अपनी पॉलिसी, प्रक्रिया और प्रैक्टिस को फिर से जांचें और जो भी खामियां हों, उन्हें जल्द ठीक करें.

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इन फैसलों से ज्‍यादा पारदर्शी बनेगा बैंकिंग सिस्‍टम

  • गोल्ड लोन पर यूनिफॉर्म नियम: गोल्ड लोन पर सभी संस्थानों के लिए एक जैसे नियम लागू किए जाएंगे. इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और कर्ज देने की प्रक्रिया बेहतर होगी.

  • बड़े गोल्ड लोन पोर्टफोलियो की सख्त निगरानी: जहां गोल्ड लोन में बहुत तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, वहां RBI ने खास सतर्कता बरतने को कहा है.

  • स्ट्रेस्ड एसेट्स सिक्योरिटाइजेशन (बाजार के जरिए बेचने) की सुविधा: अब तक सिर्फ अच्छे लोन (स्टैंडर्ड एसेट्स) को सिक्योरिटाइज किया जा सकता था. अब ये सुविधा स्ट्रेस्ड लोन (जो डूबने की कगार पर हों) पर भी लागू की जाएगी.

  • को-लेंडिंग गाइडलाइन्स का दायरा बढ़ेगा: अभी तक को-लेंडिंग की व्यवस्था बैंक और NBFC के बीच सिर्फ प्राथमिकता वाले क्षेत्रों (जैसे एग्री, एजुकेशन आदि) तक सीमित थी. अब इसे सभी तरह के लोन और सभी रेगुलेटेड संस्थानों तक बढ़ाया जाएगा.

  • इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग के लिए फंडिंग के नए विकल्प: आंशिक क्रेडिट गारंटी (Partial Credit Enhancement) से जुड़े नियमों में बदलाव होगा ताकि इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए पैसा जुटाने के रास्ते और खुल सकें.

RBI के इन फैसलों का मकसद है कि बैंकिंग सिस्टम ज्यादा पारदर्शी, जवाबदेह और सुरक्षित बने, खासकर ऐसे दौर में जब डिजिटल और गोल्ड लोन जैसे प्रॉडक्‍ट्स का तेजी से विस्तार हो रहा है.

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