RBI Norms on Wilful Defaulters: जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों पर आनेवाले दिनों में कड़ी कार्रवाई होगी. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को विलफुल डिफॉल्टर्स से संबंधित मानदंडों में व्यापक बदलाव का प्रस्ताव रखा है.
इस प्रस्ताव में केंद्रीय बैंक (RBI) ने वैसे लोगों को विलफुल डिफॉल्टर्स के तौर पर परिभाषित किया है, जिनके पास 25 लाख रुपये या उससे ज्यादा का लोन बकाया है और इसे चुकाने में सक्षम होने के बावजूद वो जानबूझकर कर्ज नहीं चुका रहे.
RBI ने जारी किया ड्राफ्ट
नए नियमों के तहत ऐसे विलफुल डिफॉल्टर्स को अपराधी माना जाएगा. केंद्रीय बैंक ने इस संबंध में ड्राफ्ट जारी किया है. RBI ने तैयार ड्राफ्ट पर पब्लिक और स्टेकहोल्डर्स की राय मांगी है. ये नियम लागू हुए तो लोन चुकाने में आनाकानी करने वाले विलफुल डिफॉल्टर्स पर सख्त कार्रवाई होगी.
NBFC भी ऐसे करेंगे पहचान
इससे पहले RBI के पास विलफुल डिफाल्टर की पहचान करने की कोई विशेष समयसीमा नहीं थी. RBI ने गैर वित्तीय कंपनियों (NBFC) को भी इस तरह के मापदंडों के आधार पर विलफुल डिफॉल्टर की पहचान करने की मंजूरी देने की बात कही है.
कर्जदारों को पक्ष रखने का मौका
RBI ने ये भी सुझाव दिया है कि बैंकों को एक समीक्षा समिति का भी गठन करना चाहिए और लोने लेने वालों को लिखित में अपना पक्ष रखने के लिए 15 दिनों का समय देना चाहिए. आगे जरूरत पड़े तो उसे व्यक्तिगत सुनवाई का भी मौका देना चाहिए.
क्या कार्रवाई हो सकती है?
बैंकों को उधारकर्ता के खाते के NPA होने के 6 महीने के भीतर उसे विलफुल डिफॉल्टर की श्रेणी में लाना होगा.
एक बार विलफुल डिफॉल्टर घोषित होने के बाद कर्जदाता उसके खिलाफ कहीं से भी वसूली के लिए उधारकर्ता और गारंटर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर सकेगा.
जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले लोग लोन रीस्ट्रक्चरिंग यानी कर्ज के पुनर्गठन के पात्र नहीं होंगे.
विलफुल डिफॉल्टर घोषित होने के बाद ऐसे लोग किसी अन्य कंपनी के बोर्ड में शामिल नहीं हो सकेंगे.