Oberoi Group Succession: 90 साल की विरासत पर तीसरी पीढ़ी में संग्राम; समझें पूरा कारोबार और उससे जुड़ा विवाद

दरअसल नवंबर, 2023 में हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के दिग्गज पृथ्वी राज सिंह ओबेरॉय का निधन हो गया था. अब उनके बच्चों में उनकी वसीयत और उससे जुड़े संपत्ति ट्रांसफर पर विवाद है.

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अंबानी, हिंदुजा, सिंघानिया, मफतलाल जैसे कई दिग्गज औद्योगिक घरानों का बीते सालों में बंटवारा खासा चर्चा में रहा है, जहां घर-परिवार के सदस्य एक दूसरे के खिलाफ खड़े हो गए. अब ओबेरॉय ग्रुप का बंटवारा चर्चा में है, जहां भाई-बहनों में तलवारें खिंच चुकी हैं.

ताजा डेवलपमेंट ये है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने EIH, ओबेरॉय होटल्स और ओबेरॉय प्रॉपर्टीज में दिवंगत PRS (पृथ्वी राज सिंह) के शेयर ट्रांसफर पर तात्कालिक प्रतिबंध लगा दिया है.

क्या है मामला?

दरअसल नवंबर, 2023 में हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के दिग्गज पृथ्वी राज सिंह ओबेरॉय का निधन हो गया था. अब उनकी अगली पीढ़ी में वसीयत और उससे जुड़े संपत्ति ट्रांसफर पर विवाद है.

अनास्तासिया ओबेरॉय अपने सौतेले भाई-बहन विक्रमजीत, नताशा और कजिन अर्जुन को कोर्ट ले गई हैं. अनास्तासिया ने इन लोगों पर अपने दिवंगत पिता PRS की वसीयत का पालन रोकने का आरोप लगाया है.
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मामला 25 अक्टूबर 2021 को बनाई गई वसीयत और 27 अगस्त 2022 को इसमें किए गए फेरबदल से जुड़ा है.

दरअसल अनास्तासिया ओबेरॉय का कहना है कि वसीयत के हिसाब से उनके दिवंगत पिता के EIH और ओबेरॉय होटल्स में जितने शेयर थे, उसके आधे उन्हें मिलने के साथ-साथ, कुछ हिस्सा AO ट्रस्ट में जाना चाहिए, जिसकी एकमात्र बेनिफिशियरी वो खुद हैं.

जबकि दूसरे पक्ष ने वसीयत की वैधता पर सवाल उठाए हैं और 20 मार्च 1992 को बनाई गई वसीयत पेश की है. इस पक्ष का कहना है कि बंटवारा 32 साल पहले बनाई गई वसीयत के आधार पर होना चाहिए, क्योंकि ये ग्रुप के संस्थापक मोहन सिंह ओबेरॉय के सामने बनाई गई थी.

अब दिल्ली हाई कोर्ट ने तात्कालिक तौर पर दिवंगत PRS ओबेरॉय द्वारा EIH, ओबेरॉय होटल्स और ओबेरॉय प्रॉपर्टीज में होल्ड किए गए शेयर्स के ट्रांसफर या ट्रांसमिशन पर प्रतिबंध लगा दिया है.

ओबेरॉय फैमिली ट्री

ओबेरॉय ग्रुप की स्थापना मोहन सिंह ओबेरॉय ने की. उनके दो बेटे थे. बड़े तिलक राज सिंह ओबेरॉय. छोटे पृथ्वीराज सिंह ओबेरॉय या PRS. इसी दूसरी जेनरेशन के दौरान ग्रुप ने बड़े पैमाने पर तरक्की की.

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बिजनेस

लग्जरी होटल्स में डील करने वाले द ओबेरॉय ग्रुप की स्थापना 1934 में मोहन सिंह ओबेरॉय ने की थी. मोहन सिंह ओबेरॉय अविभाजित पंजाब से अपनी किस्मत आजमाने शिमला पहुंचे थे. कंपनी वेबसाइट के मुताबिक यहां उन्हें सेसिल होटल में 50 रुपये/महीना पर फ्रंट डेस्क क्लर्क की नौकरी मिल गई.

बाद में वे द क्लार्क्स होटल में काम पर लग गए, जिसे कुछ वक्त बाद मोहन सिंह ने खरीद लिया. इसके लिए मोहन सिंह ने अपनी पत्नी और लगभग पूरी पारिवारिक संपत्ति को गिरवी रखा था.

बस यहीं से वो सफर शुरू हुआ, जिसने लग्जरी इंडियन हॉस्पिटैलिटी को अगले कुछ दशकों में बदलकर रख दिया. मोहन सिंह ने द क्लार्क्स के बाद दिल्ली में द मेडन्स के साथ अपने कारोबार की शुरुआत की थी. आज ग्रुप का हेडक्वार्टर नई दिल्ली में स्थित है.

  • आज ग्रुप कुल 32 लग्जरी होटल्स 2 रिवर क्रूज ऑपरेट करता है.

  • पूरा कारोबार 7 देशों (इंडोनेशिया, UAE, इजिप्ट, मॉरीशस, मोरक्को, सऊदी अरब) तक फैल चुका है.

  • ग्रुप ट्राइडेंट होटल ब्रैंड के नाम से मशहूर 10 होटल भी ऑपरेट करता है.

  • फ्लाइट कैटरिंग, एयरपोर्ट रेस्त्रां, टूर एंड ट्रेवल सर्विस, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट और कॉरपोरेट एयर चार्टर्स का बिजनेस करता है.

ग्रुप की 2 होल्डिंग कंपनियां हैं: 1) EIH 2) EIH एसोसिएटेड होटल्स

EIH के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन अर्जुन सिंह ओबेरॉय हैं. इसके CEO और मैनेजिंग डायरेक्टर विक्रमजीत सिंह ओबेरॉय हैं. EIH एसोसिएटेड होटल्स का नेतृत्व भी विक्रमजीत सिंह ओबेरॉय के हाथ में है.

EIH शेयरहोल्डिंग पैटर्न:

  • EIH लिस्टेड कंपनी है, जिसमें प्रोमोटर्स शेयरहोल्डिंग 32.85% है.

  • ITC की कंपनी में 13.69% हिस्सेदारी है.

  • जबकि रिलायंस के पास 18.83% हिस्सेदारी है.

EIH का मार्केट कैप करीब 23.93 हजार करोड़ रुपये है. जून 2024 में खत्म हुए क्वार्टर में कंपनी का शुद्ध मुनाफा 85.35 करोड़ रुपये रहा था. ये 5.21% (YoY) की गिरावट थी.

कंपनी के बोर्ड में मनोज मोदी (डायरेक्टर), नीता मुकेश अंबानी (डायरेक्टर) के साथ-साथ अन्य लोग शामिल हैं.

मुंबई हमलों के दौरान ट्राइडेंट पर भी हुआ था हमला

बता दें 26 नवंबर 2008 को मुंबई हमले में जिन जगहों को निशाना बनाया गया था, उनमें ट्राइडेंट मुंबई भी शामिल थी. होटल पर 2 आतंकियों (फहदुल्लाह और अब्दुल रहमान) ने हमला किया था. ट्राइडेंट पर हमले में 32 लोगों की जान गई थी, इनमें आम लोगों के साथ-साथ होटल स्टाफ के कुछ मेंबर्स भी शामिल थे. तीन दिन की कार्रवाई में ये हमला नाकाम हो पाया था.

खैर, अब वसीयत की इस लड़ाई का अंजाम कैसा भी हो, लेकिन ओबेरॉय परिवार की आपसी तनातनी तो इससे सार्वजनिक हो ही गई है. गोदरेज जैसे बड़े कॉरपोरेट घराने में हाल में बड़ी शांति से अगली पीढ़ी को बिजनेसेज ट्रांसफर कर दिए गए, बेहतर होता कि ओबेरॉय घराना भी ऐसा ही कुछ हल निकाल पाता.

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