SEBI ने इंफोसिस के इनसाइडर ट्रेडिंग केस का निपटारा किया, 16 लोगों के खिलाफ मामला वापस लिया

SEBI ने पाया कि ऐसा कोई स्पष्ट सबूत नहीं था जो दिखा रहा हो कि एक व्यक्ति ने एक तय समय के दौरान दूसरे के साथ गोपनीय जानकारी साझा की थी.

Source : Company website

इंफोसिस इनसाइडर ट्रेडिंग मामले में मार्केट रेगुलेटर (SEBI) ने सोमवार को 16 व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही रद्द कर दी. ये मामला जुलाई 2020 के आस-पास इंफोसिस के शेयरों में संभावित इनसाइडर ट्रेडिंग के बारे में अलर्ट के बाद चर्चा में आया था, जो कंपनी के 30 जून, 2020 को समाप्त तिमाही में जारी किए नतीजों से मेल खाता था.

SEBI ने जांच की कि क्या कुछ इंडिविजुअल ने अनपब्लिश्ड प्राइस-सेंसिटिव इन्फार्मेशन (UPSI) का उपयोग करके इंफोसिस के शेयरों का कारोबार किया, जो कि इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों का उल्लंघन है.

मार्केट रेगुलेटर ने पाया कि 8 व्यक्तियों ने इन नियमों का उल्लंघन किया और 2021 में उनके खिलाफ एक अंतरिम आदेश जारी किया गया था. हालांकि, उनमें से दो ने सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) के समक्ष आदेश की अपील की थी और इसे खारिज कर दिया था.

इस मामले में मुख्य मुद्दा ये था कि क्या नोटिस प्राप्त करने वालों में से एक प्रांशु भूतड़ा के पास इंफोसिस के फाइनेंशियल रिजल्ट्स के बारे में अनपब्लिश्ड प्राइस-सेंसिटिव इनफार्मेशन (UPSI) तक पहुंच थी.

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प्रोफेशनल कम्युनिकेशन के सबूत

प्रांशु भूतड़ा ने तर्क दिया था कि ये दावा गलत था कि उन्होंने 7 जनवरी, 2020 के बाद अन्य नोटिस प्राप्तकर्ताओं (सुनील कुमार धरेश्वर) के साथ संवाद करना बंद कर दिया था. उन्होंने 2020 के दौरान चल रहे प्रोफेशनल कम्युनिकेशन के सबूत दिखाए थे.

इसके अलावा, उन्होंने इस आरोप का विरोध किया कि उन्होंने नोटिस प्राप्तकर्ताओं में से एक अमित भूतड़ा को अनपब्लिश्ड प्राइस-सेंसिटिव इनफार्मेशन दिया. ये देखते हुए कि SCN के साक्ष्य सुनील द्वारा UPSI तक कथित रूप से एक्सेस मिलने से पहले किए गए कॉल पर निर्भर थे और ट्रेडिंग अवधि के आस-पास कोई और बातचीत नहीं थी.

SEBI का फैसला

30 सितंबर, 2020 को समाप्त तिमाही के लिए प्रांशु ने बताया कि 6 अक्टूबर, 2020 को एक कॉल सुनील द्वारा UPSI मिलने से पहले हुई थी और फाइनेंशियल रिजल्ट्स को 10 अक्टूबर को अंतिम रूप दिया गया था . उन्होंने संदर्भ भी दिया कि कॉल UPSI से नहीं, बल्कि एक अलग मुद्दे से संबंधित थी.

SEBI ने ये पाया कि सबूत पर्याप्त रूप से साबित नहीं करते हैं कि सुनील ने प्रांशु के साथ UPSI साझा किया था. उनके बीच नियमित बातचीत UPSI ट्रांसफर की पुष्टि नहीं करता है और किसी विशेष संबंध या लेन-देन का कोई सबूत नहीं था, जो कि क्विड-प्रो-क्वो की ओर इशारा करता हो.

SEBI ने आरोपी को संदेह का लाभ दिया और कार्यवाही को रद्द करने का फैसला किया.

कोई स्पष्ट सबूत नहीं: SEBI

SEBI ने पाया कि ऐसा कोई स्पष्ट सबूत नहीं था जो दिखा रहा हो कि एक व्यक्ति ने तय समय के दौरान दूसरे के साथ गोपनीय जानकारी साझा की थी. चूंकि ये साबित नहीं हुआ था कि किसी के पास इस गोपनीय जानकारी तक पहुंच थी, इसलिए संबंधित आरोपों को हटा दिया गया है.

SEBI ने इसमें शामिल व्यक्तियों पर प्रतिबंध हटाने का फैसला किया और मामले को समाप्त कर दिया है. इन व्यक्तियों से लिया गया कोई भी पैसा ब्याज सहित वापस किया जाएगा.

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