पिछले दिनों भारत की सीमा में चीन के सैनिकों के प्रवेश पर जहां मीडिया में तमाम हो हंगामा हो रहा था, वहीं देश की राजधानी दिल्ली में चीन के इंजीनियर चुपचाप दिल्ली मेट्रो नेटवर्क की हेरीटेज लाइन के लिए सुरंग की खुदाई में व्यस्त थे। इससे पता चलता है कि भारत और चीन के बीच वाणिज्यिक रिश्ता काफी गहरा चुका है।
शंघाई अर्बन कंस्ट्रक्शन ग्रुप (एसयूसीजी) के इंजीनियरों ने पिछले दिनों 300 टन के टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) को जामा मस्जिद के पास एक गड्ढे में उतारा, जहां पहले एक पार्क हुआ करता था।
दिल्ली मेट्रो की 9.37 किलोमीटर लम्बी केंद्रीय सचिवालय-कश्मीरी गेट लाइन पर यहां एक स्टेशन बनेगा। इसे हेरीटेज लाइन भी कहा जाता है, क्योंकि कई ऐतिहासिम महत्व के स्मारक इस लाइन के समीप पड़ेंगे।
एसयूसीजी इंफ्रास्ट्रक्च र इंडिया के अध्यक्ष लू युआनकियांग ने खुदाई स्थल पर आईएएनएस से कहा, "इस खंड पर खुदाई काफी कठिन और संवेदनशील है, क्योंकि यहां कई ऐतिहासिक स्मारक हैं। इस स्थान पर बालूई और पथरीली जमीन के कारण काम और भी जटिल हो गया है।"
एसयूसीजी ने भारतीय कम्पनी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के साथ संयुक्त उपक्रम स्थापित किया है, क्योंकि एलएंडटी को दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) से कई परियोजनाओं का ठेका मिला है। इसने एक अन्य कम्पनी के साथ मिलकर डीएमआरसी की परियोजना के दूसरे चरण के लिए पहले एक नई दिल्ली एलीवेटेड सबवे तैयार किया है।
लू ने कहा कि उनकी कम्पनी को पथरीले स्थानों में जमीन को ठोस करने में महारत हासिल है, जहां सुरंग बनाने से आम तौर पर भूमि धंस जाया करती है।
उन्होंने कहा कि मंडी हाउस-आईटीओ खंड पर जहां की मिट्टी की गुणवत्ता काफी अच्छी है, वहां 500 मीटर लम्बी सुरंग बनाई गई है।
लू ने कहा कि यदि भारत और चीन के वाणिज्यिक सम्बंध राजनीतिक कारणों से प्रभावित होते हैं, तो वीसा समस्या, देरी और अनिश्चितता जैसी अनेक समस्या कारोबारियों और पेशेवरों के सामने आ सकती है।