China Rare Earth Export Ban: चीन के रेयर अर्थ मैग्नेट्स के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध से भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर संकट के बादल घिर गए हैं. भारतीय वाहन निर्माताओं के पास सिर्फ एक महीने का स्टॉक बचा हुआ है, जिसके बाद कंपनियों को चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट्स की फ्रेश सप्लाई चाहिए होगी, अगर ऐसा नहीं हुआ तो दुनिया के तीसरे सबसे बड़े मोटर वाहन बाजार भारत में वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग बाधित हो सकती है.
चीन ने 4 अप्रैल 2025 को रेयर अर्थ मैग्नेट्स के निर्यात पर रोक लगाई थी, तब से लेकर 90 दिनों यानी 3 महीने की सप्लाई भारत के ऑटो पार्ट्स मैन्युफैक्चरर के पास मौजूद थी. मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने नाम ना बताने की शर्त पर NDTV प्रॉफिट को बताया कि भारत को अब रेयर अर्थ मैग्नेट्स की नई सप्लाई के लिए नए लाइसेंस के लिए आवेदन करना होगा. वहीं नए लाइसेंस के प्रोसेस में कम से कम 60 दिन लगते हैं और इसकी मंजूरी मिलने की कोई गारंटी नहीं है.
क्या है चीन की स्थिति
चीन इस समय रेयर अर्थ मैग्नेट्स की ग्लोबल प्रोसेसिंग कैपेसिटी का 90% हिस्सा मैनेज करता है, जिसका इस्तेमाल ऑटोमोबाइल और एयरोस्पेस के उपकरणों में किया जाता है. जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 4 अप्रैल को चीन पर पहली बार टैरिफ लगाया था तो बीजिंग ने जवाबी कदम उठाते हुए रेयर अर्थ मैग्नेट्स की सप्लाई ही बंद कर दी थी.
अब चीन चाहता है कि जिस भी देश को रेयर अर्थ मैग्नेट्स का इंपोर्ट करना है वो नए लाइसेंस के लिए अप्लाई करे. साथ ही ये आश्वासन दिया है कि इस मटेरियल का इस्तेमाल सैन्य अभियानों में नहीं किया जाएगा या किसी भी रूप में अमेरिका को नहीं भेजा जाएगा. रेयर अर्थ मैग्नेट्स को इंपोर्ट करने वाले देश को आवेदन प्रक्रिया शुरू करनी होगी. इसके बाद चीनी अधिकारी जब नए लाइसेंस पर मंजूरी दे देंगे तभी आगे का प्रोसेस शुरू होगा, साथ ही मंजूरी मिल ही जाए इसकी कोई गारंटी नहीं है.
क्या है नए लाइसेंस लेने का प्रोसेस?
मामले से जुड़े लोगों ने बताया कि मंजूरी की बात तो भूल ही जाइए. इसकी आवेदन प्रक्रिया ही बहुत कठिन है.
भारत में नए लाइसेंस का प्रोसेस केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के विदेश व्यापार महानिदेशालय के माध्यम से शुरू होगा. इसके बाद आवेदन और जरूरी दस्तावेजों के साथ एक फाइल विदेश मंत्रालय को भेजी जाएगी. आगे की जांच के बाद ये फाइल नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास को सौंपी जाएगी.
यहां तक सब कुछ ठीक रहा तो चीनी दूतावास चीन में रेयर अर्थ मैग्नेट्स के सप्लायर से संपर्क करेगा. फिर ये सप्लायर वाणिज्य मंत्रालय, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के सामने मांगे गए लाइसेंस की जानकारी देगा.
चीन के अंदर इस प्रोसेस में करीब 45 दिन लगते हैं. मंजूरी की कोई गारंटी नहीं है. अब तक 30 ऐसे एप्लीकेशन दी जा चुकी हैं पर इनमें से किसी को भी ओके नहीं किया गया है.
OEM, SIAM और ACMA अब भारत में लाइसेंस प्रोसेस में तेजी लाने के लिए सरकार से बातचीत कर रहे हैं. इस प्रोसेस को समझने के लिए 50 सदस्यों की एक टीम को इस हफ्ते चीन जाना था, लेकिन ऐसा अभी तक नहीं हुआ है.
प्रतिबंध का क्या पड़ेगा असर?
अभी फिलहाल घबराने की जरूरत नहीं है. S&P ग्लोबल मोबिलिटी में भारत के लिए लाइट व्हीकल प्रोडक्शन फोरकास्टिंग के एसोसिएट डायरेक्टर गौरव वंगाल ने NDTV प्रॉफिट को फोन पर बताया, 'अभी हालात कंट्रोल में हैं. ऑटो मेकर के साथ सप्लायर मिल कर मौजूदा प्रोडक्ट्स में कुछ बदलाव कर या फिर दूसरे सोर्सिंग जैसे ऑप्शन पर काम कर रहे हैं. हालांकि इस स्थिति पर लगातर नजर बनाए रखना जरूरी है, क्योंकि लॉन्ग टर्म तक ये रोक प्रोडक्शन लाइन को प्रभावित कर सकता है.'
प्रतिबंध का सीधा असर इलेक्ट्रिक टू व्हीलर पर
रेयर अर्थ मैग्नेट्स के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध का सीधा असर इलेक्ट्रिक टू व्हीलर पर पड़ेगा, क्योंकि ये इस एलिमेंट के बिना काम नहीं कर सकते. ध्यान देने वाली बात ये भी है कि भारत में इलेक्ट्रिक कारों की तुलना में इलेक्ट्रिक स्कूटर ज्यादा बेचे जाते हैं.
बजाज ऑटो के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर राकेश शर्मा ने एक कॉन्फ्रेंस कॉल के दौरान कहा, 'रेयर अर्थ मैग्नेट्स के लिए समस्या बड़ी है. सप्लाई और स्टॉक तेजी से कम हो रहे हैं. अगर कोई राहत नहीं मिली, तो जुलाई में प्रोडक्शन पर गंभीर रूप से इसका असर पड़ेगा.
TVS मोटर कंपनी ने भी यही बात की. कहा, 'जबकि EV की बिक्री में लगातार इजाफा हो रहा है. रेयर अर्थ मैग्नेट्स पर रोक से EV की सप्लाई चेन शॉर्ट टर्म से लेकर मीडियम टर्म में प्रभावित हो सकती है.'
बजाज ऑटो और TVS मोटर भारत में सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक टू व्हीलर निर्माता हैं. इलेक्ट्रिक पावरट्रेन रेयर अर्थ मैग्नेट्स के बिना नहीं चल सकता. इसका कोई समाधान नहीं है.
स्थानीय कार निर्माता बेहतर स्थिति में
मारुति सुजुकी के सीनियर एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर राहुल भारती ने 2 जून को मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड ने रेयर अर्थ मैग्नेट्स के आयात के लिए एप्लीकेशन दी हुई है. लेकिन इसका जवाब मिलने तक उन्होंने आगे की जानकारी देने से इनकार कर दिया.
राहुल भारती कहा था, 'अभी कोई रोक नहीं है. यदि समस्या है, तो हम स्टॉक एक्सचेंज के साथ अपने सभी स्टेक होल्डर्स को इसके बारे में जानकारी देंगे'
भारत की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स लिमिटेड पर फिलहाल इसका कोई असर नहीं दिख रहा है.
टाटा मोटर्स के PV और EV कारोबार के MD शैलेश चंद्रा ने 3 जून को Harrier.ev के लॉन्च इवेंट पर कहा, 'ICE और EV दोनों ही दुनिया में रेयर अर्थ मैग्नेट्स पर निर्भर हैं. जहां तक हमारा सवाल है, इसका कोई तत्काल प्रभाव नहीं है.' SIAM और ACMA सरकार के साथ लगातार चर्चा कर रहे हैं. हमें हर तरह का सहयोग मिल रहा है...उम्मीद है कि ये मसला जल्दी सुलझ जाएगा.'