चीन (China) ने ऑटो कंपनियों के जरूरी रेयर अर्थ मैग्नेट्स (Rare Earth Magnets) की सप्लाई पर रोक लगा दी है. इससे भारत में वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग बाधित हो सकती है.
बता दें, अप्रैल महीने में चीन ने अपनी कंपनियों के लिए रेयर अर्थ मैग्नेट्स निर्यात करने से पहले सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया था.
चीन के रेयर अर्थ मैग्नेट्स के निर्यात पर अचानक लगाए गए प्रतिबंध से भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर संकट के बादल घिर गए हैं. इस फैसले से भारत में व्हीकल प्रोडक्शन पूरी तरह ठप होने का खतरा मंडराने लगा है.
अगर सप्लाई में व्यवधान जारी रहता है, तो EV निर्माताओं को बढ़ती इनपुट लागत की भरपाई के लिए कीमतों में 8% तक की ग्रोथ करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है.
सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने सरकार के समक्ष चिंता जताई है और आगाह किया है कि मैग्नेट के घटते स्टॉक के कारण कुछ ही हफ्तों में प्रोडक्शन बंद हो सकता है. इसके जवाब में, सरकार कथित तौर पर ऑटो इंडस्ट्री के एक प्रतिनिधिमंडल को बीजिंग भेजने पर विचार कर रही है, ताकि समाधान के लिए दबाव बनाया जा सके.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2023 में भारत ने 13.1 मिलियन डॉलर मूल्य के रेयर अर्थ मैग्नेट्स का आयात किया, जो विश्व स्तर पर 17वें स्थान पर है. जबकि भारत में रेयर अर्थ मैग्नेट्स का पांचवां सबसे बड़ा भंडार है. ये करीब 6.9 मिलियन मीट्रिक टन है. फिर भी, पिछले वर्ष वास्तविक प्रोडक्शन मात्र 2,900 मीट्रिक टन रहा.
रेयर अर्थ, 17 तत्वों का एक समूह है, जिसमें 15 धातुएं शामिल हैं जिन्हें लैंथेनाइड्स कहा जाता है. इसके अलावा दो अन्य धातुएं हैं जिन्हें स्कैंडियम और यिट्रियम कहा जाता है. ये मैटेरियल्स इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहन, डिफेंस इक्विपमेंट्स और रिन्यूएबल एनर्जी टेक्नोलॉजीज के प्रोडक्शन के लिए महत्वपूर्ण हैं.
चीन दुनिया में रेयर अर्थ एलिमेंट्स का सबसे बड़ा सप्लायर है. ये अधिकांश खनन और प्रोसेसिंग को नियंत्रित करता है, जिसका अर्थ है कि कई देश इन महत्वपूर्ण एलिमेंट्स के लिए चीन पर निर्भर हैं.
चीन ने रेयर एर्थ मेटल्स के निर्यात को सीमित करने के निर्णय को मुख्य रूप से USA के साथ व्यापार तनाव का जवाब देने के तरीके के रूप में देखा जाता है.