कंप्‍यूटर-लैपटॉप के इंपोर्ट पर रोक के फैसले से किसका फायदा-किसका नुकसान? क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट्स?

किसी प्रोडक्‍ट के इंपोर्ट पर बैन लगाने का मतलब है कि विदेशों से उन प्रोडक्‍ट्स को लाने के लिए लाइसेंस या सरकार की अनुमति जरूरी होगी.

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कंप्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट समेत ऐसे अन्य उपकरणों के इंपोर्ट पर बैन लगाने के फैसले से घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलने की बात कही जा रही है. अपनी फॉरेन ट्रेड पॉलिसी में बड़ा बदलाव करते हुए केंद्र सरकार ने ये अहम फैसला लिया है, जिसके बाद एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि इससे 'मेक इन इंडिया' प्रोग्राम को बढ़ावा मिलेगा.

गुरुवार को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अधीन काम करने वाले फॉरेन ट्रेड निदेशालय ने इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी किया.

क्‍या है इस फैसले का मतलब?

किसी प्रोडक्‍ट के इंपोर्ट पर बैन लगाने का मतलब है कि विदेशों से उन प्रोडक्‍ट्स को लाने के लिए लाइसेंस या सरकार की अनुमति जरूरी होगी. मौजूदा नियमों के मुताबिक, कंपनियों को स्वतंत्र रूप से इन आइटम्‍स के इंपोर्ट की अनुमति है, लेकिन नए नियम में इन उत्पादों के लिए एक खास लाइसेंस जरूरी होगा या यूं कह लीजिए कि सरकार की मंजूरी लेनी होगी, जो भारत में इनबाउंड TV शिपमेंट के लिए वर्ष 2020 में लगाए गए प्रतिबंधों की तरह है.

देश में प्रोडक्‍शन के लिए मजबूर होंगी कंपनियां

DGFT के नोटिफिकेशन में कहा गया है कि लैपटॉप, टैबलेट और पर्सनल कंप्यूटर के आयात के लिए लाइसेंस की आवश्यकता तत्‍काल प्रभाव से लागू होगी. इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है, 'लाइसेंसिंग सिस्टम का मतलब होगा कि कंपनियों के लॉन्च किए जाने वाले हर नए मॉडल को भारत में पेश करने के लिए लंबे समय तक इंतजार करना होगा.'

इसे एक ऐसा कदम बताया जा रहा है, जो एप्‍पल, डेल, सैमसंग जैसी कंपनियों को भारत में ही प्रोडक्‍शन बढ़ाने के लिए मजबूर कर सकता है. इससे घरेलू प्रोडक्‍शन को बढ़ावा मिलेगा.

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इस फैसले के पीछे क्‍या कारण हैं, इस बारे में नोटिफिकेशन में नहीं बताया गया है, लेकिन जानकारों का कहना है कि इस फैसले से भारत में इन इलेक्ट्रॉनिक सामानों के घरेलू प्रोडक्‍शन को बढ़ावा मिलेगा. X (ट्विटर) पर भी इसे फैसले की सराहना हो रही है. पेटीएम के CEO विजय शेखर शर्मा ने भी इसे सकारात्‍मक कदम बताया है.

PLI की तरह इस फैसले का भी होगा असर?

KPMG में पार्टनर और इनडायरेक्‍ट टैक्‍स हेड अभिषेक जैन, इस बात पर हामी भरते हैं कि इन IT हार्डवेयर प्रोडक्‍ट्स के इंपोर्ट पर बैन लगने से 'मेक-इन-इंडिया' प्रोग्राम को बढ़ावा मिलेगा. उन्‍होंने कहा, 'इस सेक्‍टर के लिए PLI स्‍कीम की भी घोषणा की गई है. ऐसे में इनके घरेलू प्रोडक्‍शन में बढ़ोतरी देखी जानी चाहिए.'

अप्रैल 2020 में घोषित PLI स्‍कीम ने 6,600 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश को आकर्षित किया है, जिनमें सैमसंग, एप्पल के कॉन्‍ट्रैक्‍ट मैन्‍युफैक्‍चरर्स फॉक्सकॉन (Foxconn), विस्ट्रॉन (Wistron) और पेगाट्रॉन (Pegatron) जैसे इंटरनेशनल दिग्‍गजों के साथ-साथ ओप्पो (Oppo) और वीवो (Vivo) के निर्माता, राइजिंग स्टार को घरेलू धरती पर लाना शामिल है.

इसी तरह, 3 अगस्त से लगाए गए इंपोर्ट बैन से लैपटॉप, टैबलेट और ऑल-इन-वन कंप्यूटर के कुछ निर्माता कंपनियों को झटका लगने की उम्मीद है.

जेफरीज बोला- डिक्‍सन को होगा फायदा

ब्रोकरेज फर्म जेफरीज के अनुसार, इस फैसले से डिक्सन टेक्नोलॉजीज (इंडिया) को फायदा होगा. ब्रोकरेज ने एक नोट में इसे PLI स्कीम की अगली कड़ी बताते हुए कहा है कि ये फैसला स्वदेशीकरण को आगे बढ़ाएगा.

जेफरीज ने कहा, 'अगस्त 2020 में, सरकार ने भारत में LED TV के इंपोर्ट पर बैन लगाया था, जब घरेलू मांग का 30% इंपोर्ट से ही पूरा होता था. उस फैसले से डिक्‍सन को फायदा हुआ था.' मई 2023 में सरकार ने IT हार्डवेयर के लिए PLI स्कीम 2.0 लॉन्च की है, जिसके तहत 6 साल तक प्रोत्साहन दिया जाएगा. डिक्सन मैनेजमेंट ने इस स्कीम पर विचार करने की बात कही है.

ब्रोकरेज ने कहा कि डिक्सन IT हार्डवेयर (2021) में PLI स्कीम का शुरुआती लाभा​र्थी रहा है और कई सारे IT प्रोडक्ट्स बनाता है. जेफरीज को उम्मीद है कि 2023-26 के दौरान निचले आधार पर इसकी बिक्री 3 गुना से ज्यादा बढ़ जाएगी.

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घरेलू प्रोडक्‍शन की लागत बढ़ गई तो?

इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस की प्रोफेसर साओन रे के अनुसार, इस फैसले की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि पॉलिसी में बदलाव को भुनाने की हमारी घरेलू क्षमता की सीमा क्‍या है.

BQ Prime से बातचीत में उन्‍होंने कहा, 'PLI का उद्देश्य घरेलू उत्पादन (देश में प्रोडक्‍शन) को प्रोत्साहित करना रहा है और हालिया बदलाव भी उसी के अनुरूप है. अब सवाल ये है कि क्या हमारे पास स्थानीय स्तर पर उत्पादन करने की घरेलू क्षमता है.'

उन्‍होंने कहा, 'जैसा कि सोलर एनर्जी के मामले में देखा गया है, जहां हमारे पास क्षमता नहीं है. अगर घरेलू क्षमता स्थापित नहीं की जाती है, तो इससे देश में निकट अवधि में प्रोडक्‍शन की लागत बहुत बढ़ सकती है.'

भारत ने चीनी आयात (Chinese Import) को कम करने के लिए अप्रैल 2022 में सौर पैनलों पर 40% और सोलर सेल्‍स पर 25% इंपोर्ट ड्यूटी लगाई गई थी. इस फैसले से देश में सोलर प्रोजेक्‍ट्स के चालू होने पर निगेटिव इफेक्‍ट हुआ.

साओन रे ने कहा, चूंकि भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स इंपोर्ट का सबसे बड़ा हिस्सा चीन से आता है, इसलिए इस फैसले के प्रभाव की सीमा और उनकी प्रतिक्रिया देखी जानी बाकी है.

विदेशी व्यापार पर जून के मासिक बुलेटिन के अनुसार, चीन इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स के लिए भारत का टॉप इंपोर्ट देश बना हुआ है, जिसकी हिस्सेदारी 32.13% है. हालांकि, ये सुनिश्चित करने के लिए, आयात शुल्क में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी, अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भारतीय बाजारों तक पहुंच कम कर दी गई है.

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