एयरसेल-मैक्सिस पीएमएलए मामले में कार्ति से दस घंटे पूछताछ

प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति से आज एयरसेल मैक्सिस से जुड़े कथित धनशोधन मामले में लगभग 10 घंटे पूछताछ की. अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में निदेशालय (ईडी) ने पहली बार कार्ति से पूछताछ की है. यह मामला 2006 में उनके पिता द्वारा दी गई विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) मंजूरी से जुड़ा है. कार्ति ने इससे पहले निदेशालय द्वारा जारी सम्मन को अदालत में चुनौती दी थी.

कार्ति चिदंबरम.

प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति से आज एयरसेल मैक्सिस से जुड़े कथित धनशोधन मामले में लगभग 10 घंटे पूछताछ की. अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में निदेशालय (ईडी) ने पहली बार कार्ति से पूछताछ की है. यह मामला 2006 में उनके पिता द्वारा दी गई विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) मंजूरी से जुड़ा है. कार्ति ने इससे पहले निदेशालय द्वारा जारी सम्मन को अदालत में चुनौती दी थी. वह मंगलवार की सुबह लगभग 10.45 बजे निदेशालय के मुख्यालय पहुंचे और रात नौ बजे के बाद ही वहां से गए. 

मामले के जांच अधिकारी ने कार्ति का बयान दर्ज किया. अधिकारियों का कहना है कार्ति से फिर पूछताछ की जा सकती है. उच्चतम न्यायालय ने 12 मार्च को सीबीआई व ईडी से कहा था कि वे 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन से जुड़े मामलों में जांच छह महीने में पूरी कर लें. 

उन्होंने दावा किया कि ईडी को संदेह है कि एफआईपीबी की मंजूरी के बाद एयरसेल टेलीवेंचर्स लिमिटेड ने एएससीपीएल को कथित तौर पर 26 लाख रुपये का भुगतान किया. यह कंपनी कथित तौर पर कार्ति से जुड़ी हुई है. एजेंसी ने कहा कि एयरसेल-मैक्सिस एफडीआई मामले में एफआईपीबी की मंजूरी चिदंबरम ने मार्च 2006 में दी थी जबकि वह केवल 600 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिए अधिकृत थे और इससे ज्यादा राशि की परियोजनाओं के लिए आर्थिक मामले की कैबिनेट समिति (सीसीईए) से मंजूरी की जरूरत होती है. 

इसने आरोप लगाए, ‘‘इस मामले में 80 करोड़ डॉलर (3500 करोड़ रुपये से अधिक) के एफडीआई की मंजूरी मांगी गई. इसलिए सीसीईए मंजूरी देने के लिए अधिकृत था. लेकिन सीसीईए से मंजूरी नहीं ली गई.’’  एजेंसी ने कहा कि इसकी जांच से खुलासा हुआ कि उक्त एफडीआई का मामला ‘‘गलत तरीके से 180 करोड़ रुपये के निवेश का दिखाया गया ताकि इसे सीसीईए के पास भेजे जाने की जरूरत नहीं पड़े और यह विस्तृत पड़ताल से बच जाए.’’ 

लेखक Bhasha
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