Exclusive: उथल-पुथल भरी बोर्ड मीटिंग के बाद हटा दिए गए साइरस मिस्‍त्री

टाटा संस की बोर्ड की बैठकें प्राय: शांत और पूर्व निर्धारित मुद्दों पर होती हैं. लेकिन सोमवार को हुई बैठक सामान्‍य नहीं थी जिसके बाद साइरस मिस्‍त्री को समूह के चेयरमैन पद से हटाने की चौंकाने वाली खबर आई.

साइरस मिस्‍त्री (फाइल फोटो)

टाटा संस की बोर्ड की बैठकें प्राय: शांत और पूर्व निर्धारित मुद्दों पर होती हैं. लेकिन सोमवार को हुई बैठक सामान्‍य नहीं थी जिसके बाद साइरस मिस्‍त्री को समूह के चेयरमैन पद से हटाने की चौंकाने वाली खबर आई.

NDTV को टाटा संस के बोर्ड के दो सूत्रों (इनमें से एक सोमवार की बैठक में मौजूद था) से मिली एक्‍सक्‍लूसिव जानकारी से पता चलता है कि मिस्‍त्री को हटाए जाने के फैसले से बोर्डरूम के अंदर उग्र और अप्रत्‍याशित माहौल देखने को मिला. मिस्‍त्री को बाहर किया जाना शायद जानबूझकर बोर्ड के एजेंडा में शामिल नहीं था.

एक सूत्र ने NDTV को बताया कि बोर्ड की बैठक के लिए तय मुद्दों के किसी भी अन्‍य आइटम की श्रेणी के तहत इसे बैठक में लाया गया. जब बैठक में इसे लाया गया तो कहा जाता है कि मिस्‍त्री ने यह कहते हुए कि यह कानूनी रूप से गलत कदम है, इसका विरोध किया.

बताया जाता है कि उन्‍होंने टाटा रूल बुक का हवाला देते हुए कहा कि बोर्ड के सामने ऐसे किसी मसले को लाए जाने से पहले 15 दिन का नोटिस दिया जाना चाहिए, ताकि इतने समय में वह अपनी बात रखने के लिए तैयारी कर सकते थे. उसके बाद बोर्ड ने उनसे कहा कि उन्‍होंने इस फैसले के समर्थन में कानूनी सलाह ली है. मिस्‍त्री को वह कानूनी सलाह भी दिखाई गई. बोर्ड उनसे लगातार कहता रहा कि यह कोई अदालत की सुनवाई नहीं है.

इस मसले पर साइरस मिस्‍त्री ने कहा कि वह इस निर्णय को चुनौती देंगे. रिपोर्टों के मुताबिक वह इस मसले पर मंगलवार को बॉम्‍बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं.

इससे पहले नौ सदस्‍यीय बोर्ड में से छह सदस्‍यों ने उनको हटाए जाने के पक्ष में वोट दिया. दो सदस्‍य अनुपस्थित रहे. नवें सदस्‍य के रूप में मिस्‍त्री ने इस प्रक्रिया में हिस्‍सा लेने से इनकार कर दिया. हालांकि इस घटनाक्रम के बावजूद वह कंपनी के निदेशक होने के साथ-साथ टाटा बोर्ड के सदस्‍य बने हुए हैं.  

बोर्ड के एक सूत्र ने NDTV को बताया कि मिस्‍त्री को हटाए जाने के मसले पर हफ्तों या संभवतया महीनों से विचार किया जा रहा था. यह निर्णय ''किसी विवाद की वजह से नहीं लिया गया'' जबकि सीईओ के रूप में उनके दयनीय प्रदर्शन के कारण लिया गया. उन्‍होंने कहा कि इस वक्‍त टाटा की अनेक कंपनियों में से केवल दो ही लाभ में हैं बाकी संघर्ष कर रही हैं.

जब उनसे पूछा गया कि मिस्‍त्री को टाटा ग्रुप की परंपरा के विपरीत इस तरह से क्‍यों हटाया गया तो अंदरूनी सूत्र ने वैश्विक हवाला देते हुए कहा कि जब इस तरह के शीर्ष पदस्‍थ लोगों को हटाया जाता है तो 'गिलोटिन' दृष्टिकोण अपनाया जाता है.

लेखक NDTV Profit Desk
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