अदाणी ग्रुप ने OCCRP के सभी पुराने कथित आरोप खारिज किए, बदनाम करने के लिए सोरोस-फंडेड गुटों की नई साजिश

अदाणी ग्रुप ने कहा कि OCCRP ने जो आरोप लगाए हैं, वो एक दशक पहले के बंद हो चुके मामलों पर आधारित हैं.

Source: Reuters

अदाणी ग्रुप (Adani Group) ने OCCRP (Organised Crime And Corruption Reporting Project) की ओर से लगाए गए सभी पुराने कथित आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है. अदाणी समूह ने ये साफ कहा है कि विदेशी मीडिया के साथ मिलकर सोरोस-फंडेड गुटों की ग्रुप को बदनाम करने और शेयरों में गिरावट से मुनाफा कमाने की ये एक नई साजिश है.

हिंडनबर्ग रिपोर्ट को फिर से जिंदा करने की एक और कोशिश

अदाणी ग्रुप की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि 'ये न्यूज रिपोर्ट सोरोस-फंडेड विदेशी मीडिया के एक वर्ग की ओर से तर्कहीन हिंडनबर्ग रिपोर्ट को फिर से जिंदा करने की एक कोशिश मालूम होती है. दरअसल, यही उम्मीद थी, जब पिछले हफ्ते मीडिया ने यही आशंका जताई थी...'

अदाणी ग्रुप ने कहा कि OCCRP ने जो आरोप लगाए हैं, वो एक दशक पहले के बंद हो चुके मामलों पर आधारित हैं, जब DRI ने ओवर इनवॉयसिंग, विदेश में फंड ट्रांसफर, रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन और FPI के जरिए निवेश के आरोपों की जांच की थी'

अदाणी ग्रुप ने कहा कि रेगुलेटरी प्रक्रिया चल रही है जिसका सम्मान करना जरूरी है. हमें कानून की उचित प्रक्रिया पर पूरा भरोसा है. हम अपने खुलासों की गुणवत्ता और कॉरपोरेट गवर्नेंस स्डैंडर्ड के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त हैं. इन तथ्यों की रौशनी में इन न्यूज रिपोर्ट्स का समय संदिग्ध, शरारती और दुर्भावनापूर्ण है - और हम इन रिपोर्ट्स को पूरी तरह से खारिज करते हैं.'

ओवर वैल्युएशन के आरोप पहले ही खारिज

अदाणी ग्रुप ने कहा कि एक स्वतंत्र निर्णायक प्राधिकारी और एक एपीलेट ट्रिब्यूनल दोनों ने पुष्टि की है कि वैल्युएशन को बढ़ाचढ़ाकर नहीं दिखाया गया था और ट्रांजैक्शन लागू कानून के मुताबिक ही थे.

सुप्रीम कोर्ट ने अदाणी ग्रुप के पक्ष में फैसला सुनाया था और मामला मार्च 2023 में बंद कर दिया गया था. अदाणी ग्रुप ने कहा कि साफ तौर पर जब ओवर वैल्युएशन नहीं था, इसलिए फंड ट्रांसफर पर इन आरोपों की कोई प्रासंगिकता या आधार नहीं है. अदाणी ग्रुप ने साफ किया है कि विचाराधीन FPI पहले से ही मार्केट रेगुलेटर SEBI की जांच का हिस्सा हैं. सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त एक्सपर्ट कमिटी के मुताबिक, मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियमों के उल्लंघन या स्टॉक की कीमतों में हेरफेर का कोई सबूत नहीं है.

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'शेयरों को गिराकर मुनाफा कमाने की साजिश'

अदाणी ग्रुप ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन पब्लिकेशंश ने, जिन्होंने हमें प्रश्न भेजे थे, हमारी प्रतिक्रिया पूरी तरह से प्रकाशित नहीं करने का फैसला किया. ग्रुप ने कहा, इन कोशिशों मकसद अन्य बातों के साथ-साथ हमारे शेयरों की कीमतों को गिराकर मुनाफा कमाना है और इन शॉर्ट सेलर्स की जांच कई अथॉरिटीज कर रही हैं.'

मॉरीशस के फंड मैनेजर ने रिपोर्ट को किया खारिज

जॉर्ज सोरोस की OCCRP की रिपोर्ट को कई अखबारों ने छापा है, जिसमें फाइनेंशियल टाइम्स भी है. जिसमें कहा गया है कि मॉरिशस के दो इमर्जिंग फंड्स के जरिए अदाणी ग्रुप की कंपनियों में निवेश किया गया और वैल्युएशन को बढ़ाचढ़ाकर दिखाया गया.

अब मॉरीशस की ये एसेट मैनेजमेंट कंपनी खुद सामने आई है और उसने फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया है.

मॉरीशस की फंड मैनेजर 360 वन एसेट मैनेजमेंट ने एक्सचेंज फाइलिंग में कहा है कि 'इमर्जिंग इंडिया फोकस फंड और EM रिसर्जेंट फंड के लिए इंवेस्टमेंट मैनेजर है. ये दोनों पूरी तरह से फाइनेंशियल सर्विसेज कमीशन, मॉरीशस के साथ पूरी तरह से कंप्लायंट ब्रॉड बेस्ड फंड्स हैं. इन दोनों फंड्स में से कोई भी, अदाणी ग्रुप या फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट में छपा कोई भी व्यक्ति निवेशक नहीं है.

आज की तारीख में इन फंड्स का अदाणी ग्रुप के किसी भी शेयर में कोई निवेश नहीं है. 360 एसेट मैनेजमेंट ने कहा कि अतीत में कई अन्य पोर्टफोलियो निवेशों के बीच, इन फंड्स ने अदाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में निवेश किया है, इन सभी को 2018 में बेच दिया गया था.

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क्या है OCCRP?

OCCRP यानी ऑर्गेनाइडज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपर्टिंग प्रोजेक्ट, खुद को एक इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म कहता है, जिसका निर्माण 24 नॉन-प्रॉफिट इन्वेस्टिगेटिव सेंटर्स से मिलकर हुआ है. ये सेंटर्स यूरोप, अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में फैले हुए हैं. अपनी वेबसाइट पर OCCRP, ओपन सोसायटी फाउंडेशन ऑफ जॉर्ज सोरोस को अपना फाइनेंसर बताती है.

OCCRP की स्थापना 2006 में हुई थी. संगठन का दावा है कि उनकी विशेषज्ञता ऑर्गेनाइज्ड क्राइम में हैं. आमतौर पर संगठन मीडिया हाउस के साथ पार्टनरशिप में अपने आर्टिकल प्रकाशित करता है.

इस सोसायटी को दुनिया भर के रेडिकल कामों की फंडिंग के लिए जाना जाता है. ये इनके लिए एक इंस्टीट्यूशनल डोनर का काम करता है. दूसरे फाइनेंसर्स में फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर ब्रदर्स फंड और ओक फाउंडेशन शामिल हैं.

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