एडवरटाइजिंग सेक्‍टर में AI कर सकता है क्रिएटिव लोगों की छुट्टी, ASCI ने चेताया! तो क्‍या इस्‍तेमाल के लिए लेनी होगी अनुमति?

सेल्‍फ रेगुलेटरी संगठन ने AI के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ कदम उठाए जाने की जरूरत बताई है.

Source: Canva

हाल के महीनों में कंटेंट जेनरेशन से लेकर वीडियो प्रोडक्‍शन तक AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्‍तेमाल काफी बढ़ा है. एडवरटाइजिंग सेक्‍टर में भी इसका इस्‍तेमाल हो रहा है, जिसकाे लेकर भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) ने मंगलवार को चेतावनी दी है.

ASCI ने कहा है कि विज्ञापन में जेनेरिक AI टूल के इस्तेमाल से क्रिएटिव लेबर यानी रचनात्मक श्रम 'डिस्‍प्‍लेस' हो सकता है. यानी आने वाले दिनों में AI, क्रिएटिव वर्कर्स की जगह ले सकता है.

संभलने का समय

सेल्‍फ रेगुलेटरी संगठन ने AI के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ कदम उठाए जाने की जरूरत बताई है. इनमें मानवीय क्षमताओं को बढ़ाने, खासकर एडिटोरियल मॉनिटरिंग और अनुपालन पर मानवीय कौशल (Human Upskilling) में निवेश करने जैसे उपाय शामिल हैं.

ऐसी चर्चा है कि विज्ञापनों में इनपुट के तौर पर जेनरेटिव AI का इस्तेमाल करने वालों के लिए इससे संबंधित लाइसेंस और अनुमति अनिवार्य की जा सकती है.

Source: Canva

AI ने कैसी चुनौतियां खड़ी कीं?

लॉ फर्म खेतान एंड कंपनी के सहयोग से तैयार एक श्वेत पत्र में ASCI ने कहा कि जेनरेटिव AI सेवाओं की पहुंच, क्रिएटिव लेबर के संभावित रिप्‍लेसमेंट को लेकर चिंता पैदा करती है.

  • विज्ञापनों, मार्केटिंग मैटेरियल्‍स और प्राेमोशनल कंटेंट के लिए कॉपी तैयार करने में AI टूल्‍स का इस्‍तेमाल करना, लागत के लिहाज से कॉपीराइटर्स की सेवाएं लेने की तुलना में ज्‍यादा किफायती हो सकता है.

  • फिलहाल OpenAI की ChatGPT, गूगल बार्ड और एडोब फायरफ्लाई (Adobe Firefly) समेत कई कंपनियां अपनी बीटा टेस्टिंग के दौरान काफी हद तक मुफ्त में सेवाएं दे रही हैं. कंपनियां कंपीटिटिव प्राइस की पेशकश भी कर रही है.

  • श्वेत पत्र में कॉपीराइट ऑनरशिप को भी एक चुनौती के रूप में मार्क किया गया है. इसकी वजह ये है कि फिलहाल देश में AI को एक कानूनी इकाई के रूप में मान्यता नहीं दी गई है.

Source: Canva
  • मानव भागीदारी के बिना AI टूल्‍स से हुआ काम या तैयार कंटेंट, भारतीय कानून के तहत कॉपीराइट संरक्षण के लिए पात्र नहीं हो सकता है.

  • विज्ञापनदाताओं के पास AI-जेनरेटेड काम या कंटेंट का कानूनी स्वामित्व नहीं हो सकता है और ऐसे में किसी तीसरे पक्ष की ओर से उल्लंघन के मामले में उनके पास सीमित विकल्‍प ही रह जाएंगे.

  • श्‍वेत पत्र में कहा गया है कि मार्केटिंग या विज्ञापन एजेंसियों को अपने ग्राहकों को AI-जेनरेटेड क्रिएटिव कंटेंट्स का पूर्ण स्वामित्व हस्तांतरित करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, अगर उन्हें सही मालिक नहीं माना जाता है.

भारत में क्रिएटिव मार्केट में AI के रेगुलेशन की बात तब उठ रही है, जब क्रिएटिव फील्‍ड में AI के बढ़ते इस्‍तेमाल के चलते पैदा हुए संकट के बीच अमेरिका में लेखकों की हड़ताल चल रही है.

Also Read: बाइडेन की वैज्ञानिक सलाहकार ने कहा- AI के खतरों से निपटने के लिए साथ आएंगे भारत और अमेरिका

...तो फिर उपाय क्‍या है?

ASCI की चीफ एग्‍जीक्‍यूटिव और सेक्रेटरी जनरल मनीषा कपूर ने कहा कि विभिन्न सेक्‍टर्स जेनरेटिव AI का चलन बढ़ने से गोपनीयता (Privacy), डेटा सुरक्षा (Data Security), पारदर्शिता (Transparency) और जवाबदेही (Accountability) जैसे प्रमुख मुद्दों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है.

श्‍वेत पत्र में ये सलाह दी गई है कि विज्ञापनदाताओं को AI तकनीक पर पैनी नजर रखनी चाहिए ताकि तैयार सामग्री में निजी सूचनाएं या प्रतिबंधित सामग्री डालने की रत्ती भर भी गुंजाइश न रह जाए. पत्र में ये भी सुझाया गया है कि AI के प्रतिकूल प्रभावों से निपटने के लिए मानव श्रम को और अधिक हुनरमंद बनाया जाना चाहिए.

Also Read: AI को मिलेगा INDIAai और मेटा का बूस्ट, समझौते पर लगी मुहर