केंद्र सरकार ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को 'डार्क पैटर्न' (Dark Patterns) के जरिए उपभोक्ताओं को गुमराह करने पर कड़ा रुख अपनाया है. उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बुधवार को ओला, उबर, स्विगी, जोमैटो, अमेजॉन, फ्लिपकार्ट समेत 50 से ज्यादा ई-कॉमर्स कंपनियों, इंडस्ट्री बॉडीज और कंज्यूमर ग्रुप्स के साथ एक अहम बैठक की.
केंद्रीय मंत्री ने ग्राहकों को धोखे से गलत फैसला लेने पर मजबूर करने वाली डिजाइन तकनीकों पर रोक लगाने पर चर्चा की और सख्त कार्रवाई करने की भी बात कही. कई प्लेटफॉर्म्स को नोटिस भी दी गई है.
क्या होते हैं 'डार्क पैटर्न'?
'डार्क पैटर्न' वो डिजाइन या फीचर होते हैं जो जानबूझकर इस तरह बनाए जाते हैं कि ग्राहक बिना पूरी जानकारी के कोई फैसला ले ले- जैसे छिपा हुआ कैंसलेशन बटन, ऑटो-चेक विकल्प या गुमराह करने वाले ऑफर.
सरकार ने अब तक ऐसे 13 डार्क पैटर्न की पहचान की है, जिन्हें रोकने के लिए पहले से गाइडलाइंस मौजूद हैं. मंत्री जोशी ने कहा, 'प्लेटफॉर्म्स को जागरूक किया गया है और उन्हें साफ चेतावनी दी गई है कि देश के कानून का पालन अनिवार्य है.'
11 प्लेटफॉर्म्स को नोटिस
उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने बताया कि अब तक कुल 401 नोटिस जारी किए गए हैं, जिनमें से 11 नोटिस डार्क पैटर्न को लेकर हैं. इनमें चार राइड-हेलिंग कंपनियां (कैब सर्विस) भी शामिल हैं.
उन्होंने कहा, 'ये डार्क पैटर्न कोई गलती नहीं हैं, बल्कि एल्गोरिदम के जरिए सोच-समझकर की गई गड़बड़ी है.' रेलवे में भी यदि ऐसा कोई मामला सामने आता है तो उसकी जांच की जाएगी.
थर्ड पार्टी सेलर्स भी आएंगे दायरे में
मंत्री जोशी ने बताया कि सभी ऑनलाइन कंपनियों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि उनके प्लेटफॉर्म पर मौजूद थर्ड पार्टी विक्रेता (सेलर्स) भी इन नियमों का पालन करें. साथ ही, ग्राहकों को साफ-सुथरे तरीके से 'ऑप्ट आउट' और 'कैंसिलेशन' का विकल्प दिखाना जरूरी होगा.
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तीन डिजिटल टूल्स लॉन्च
सरकार ने उपभोक्ताओं के लिए तीन नए डिजिटल टूल्स भी लॉन्च किए हैं-
जागृति: जागरूकता के लिए
जागो ग्राहक जागो: शिकायत दर्ज करने के लिए
जागृति डैशबोर्ड: जानकारी और मॉनिटरिंग के लिए
क्या होगा आगे?
जोशी ने बताया कि कंपनियों को आंतरिक ऑडिट करने और रिपोर्ट देने को कहा गया है. साथ ही, एक संयुक्त वर्किंग ग्रुप बनाने का प्रस्ताव दिया गया है, जिसके लिए सभी कंपनियों ने सहयोग का भरोसा दिलाया है.
उन्होंने कहा, 'किसी भी कंपनी ने हमारी डार्क पैटर्न की परिभाषा को चुनौती नहीं दी है, इसलिए कानूनी विवाद की संभावना नहीं है.'
कई कंपनियों के प्रतिनिधि हुए शामिल
इस बैठक में अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, जोमैटो, स्विगी, ओला, उबेर, मेकमाय ट्रिप, पेटीएम, गूगल, व्हाट्सप्प, एयरबीएनबी जैसी बड़ी कंपनियों के प्रतिनिधि मौजूद थे. साथ ही NASSCOM, FICCI, PHDCCI और उपभोक्ता संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए.