Social Media Influencers पर सरकार की सख्ती, 'ज्ञान' देने से पहले बतानी होगी काबिलियत

कोई इन्फ्लुएंसर हेल्थ और वेलनेस को लेकर सलाह दे रहा है या किसी प्रॉडक्ट को रिकमेंड कर रहा है तो उसे अपनी योग्यता का खुलासा करना होगा.

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"ये 2 उपाय आपको रखेंगे तनाव से दूर." "वेट लॉस करने के लिए अपनाएं ये प्रॉडक्टस." "एक चम्मच रोज और तंदुरुस्त बन जाएगी आपकी बॉडी."

Facebook, Instagram, Youtube पर स्क्रॉल करते हुए ऐसे टेक्स्ट, ग्राफिक्स या वीडियोज से अक्सर आपका सामना होता होगा! सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर Influencers हेल्थ और वेलनेस को लेकर तरह-तरह की सलाह जारी करते रहते हैं.

ये सोशल इन्फ्लुएंसर्स हेल्थकेयर प्रॉडक्ट्स का प्रोमोशन करते भी दिखते हैं. ऐसे इन्फ्लुएंसर्स के लिए बनाए गए नियमों को केंद्र सरकार और ज्यादा सख्त करने जा रही है. नए प्रावधानों के अनुसार, हेल्थकेयर और वेलनेस प्रॉडक्ट्स पर सलाह देने वालों को अपनी योग्यता बतानी होगी.

क्या आप ज्ञान देने के काबिल हैं?

कंज्यूमरअफेयर्स डिपार्टमेंट के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा है कि अगर कोई इन्फ्लुएंसर हेल्थ और वेलनेस को लेकर सलाह दे रहा है या किसी प्रॉडक्ट को रिकमेंड कर रहा है तो उसे अपनी योग्यता का खुलासा करना होगा. ये स्पष्ट तरीके से प्रदर्शित होना चाहिए ताकि लोग आसानी से देख-पढ़ सकें.

पिछले दिनों कंज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट ने सोशल मीडिया ​इन्फ्लुएंसर्स और सेलिब्रि​टीज के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे, जिनके अनुसार, उन्हें इन रिश्तों का खुलासा करना अनिवार्य कर दिया गया है. उन्हें बताना होगा कि प्रॉडक्ट्स के प्रोमोशन के बदले वो पैसे या अन्य लाभ लेते हैं या नहीं.

ताकि कोई भ्रम न फैलाए

कंज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा, "यदि आप कह रहे हैं कि फलां चीज खाना फायदेमंद है, फलां चीज नुकसानदेह है या फिर अमुक दवा अच्छी है, तो इसके लिए आपको योग्य होना जरूरी है और आपको ये बताना भी चाहिए कि आप ऐसी सलाह देने की योग्यता रखते हैं. यदि आप ऐसा नहीं करते तो यह भ्रामक हो सकता है.

सिंह कहते हैं कि यह विषय सीधे लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा है और इसलिए विभाग की ओर से ऐसे कड़े नियम जरूरी हैं. जाहिर-सी बात है कि एक गलत सलाह से किसी की जान भी जा सकती है.

देश में न्यूट्रास्यूटिकल्स का बड़ा बाजार

इं​टरनेशनल ट्रेड एडमिनिस्ट्रेशन (ITA) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में न्यूट्रास्यूटिकल्स (Nutraceuticals) का बाजार 2025 तक 1,44,000 करोड़ रुपये का होने का अनुमान है. न्यूट्रास्यूटिकल्स यानी वे फूड सप्लिमेंट्स, जिनमें भोजन में पाए जाने वाले मूल पोषण तत्वों से अतिरिक्त हेल्थ बेनिफिट्स होते हैं.

ITA के अनुमान से इतर कुछ ​एक्सपर्ट्स ने 2030 तक न्यूट्रास्यूटिकल्स का बाजार करीब 8 लाख करोड़ रुपये तक का आंका है.

स्पॉन्सर्ड, कोलैबोरेशन या पेड प्रोमोशन

एक महीने पहले कंज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट ने सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के साथ-साथ मशहूर हस्तियों के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे, ताकि उनके फॉलोअर्स गुमराह न हों. इन दिशानिर्देशों के अनुसार, इन्फ्लुएंसर्स को किसी भी प्रॉडक्ट का समर्थन सरल और स्पष्ट भाषा में करना जरूरी है. इसके साथ ही उन्हें ये बताना होगा कि कंटेंट, Sponsored है, Collaboration है, Paid Promotion है या फिर Advertisement.

बैन और जुर्माने का प्रावधान

कंज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट की गाइडलाइन्स का उल्लंघन करने पर बैन और जुर्माने का प्रावधान तय किया गया है. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत भ्रामक विज्ञापन के लिए निर्धारित जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान है.

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) भ्रामक विज्ञापन के संबंध में प्रॉडक्ट बनाने वाली कंपनी, विज्ञापनदाताओं और प्रचारकों पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगा सकती है. वहीं बार-बार नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माने की राशि बढ़ाकर 50 लाख रुपये तक बढ़ाई जा सकती है.

किसी भ्रामक विज्ञापन का प्रचार करने वाले को एक साल तक किसी भी तरह का विज्ञापन करने से रोका जा सकता है. यह बैन 3 साल तक बढ़ाया भी जा सकता है. बता दें कि इसी तरह, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने भी वित्तीय और शेयर बाजार से जुड़े भ्रामक सुझावों के लिए नियम तय किए हैं.

सरकार का अगला टारगेट हेल्थ और वेलनेस सेक्टर है, जहां इन्फ्लुएंसर्स ने सोशल मीडिया को मार्केटिंग और प्रोमोशन का बड़ा टूल बना लिया है. खास तौर से कोविड के बाद जैसे-जैसे लोगों का ध्यान हेल्थ की ओर बढ़ा है, सोशल मीडिया पर एक्सपर्ट्स की बाढ़ आ गई है.

"हम रेवेन्यू मॉडल में छेड़छाड़ करना नहीं चाहते. कंज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट नियमों के अनुपालन के लिए सॉफ्ट टच एप्रोच रखता है. ज्यादातर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स युवा हैं और यह उनके लिए रेवेन्यू का, उनकी आय का मसला है. हम सेल्फ रेगुलेशन का समर्थन करते हैं."
रोहित कुमार सिंह, सचिव, कंज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट

नियमों का पालन कराना है चुनौती

दिशानिर्देशों का पालन कराना एक बड़ी चुनौती है. कारण कि ऐसे प्रोमोशन कंटेंट वीडियोज कई बार ज्यादा समय तक के लिए उपलब्ध नहीं रहते. कई बार तो इन्फ्लुएंसर्स के उल्लंघन का जब तक विभाग को पता चलता है, तब तक वीडियोज गायब हो जाती हैं.

सचिव रोहित सिंह ने कहा कि कंज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट टेक्नोलॉजी का मुकाबला टेक्नोलॉजी से कर रहा है और नियम तोड़ने वाले 'ज्यादा होशियार' इन्फ्लूएंसर्स को पकड़ने के लिए एल्गोरिदम डेवलप कर रहा है.

उन्होंने कहा कि भ्रामक संदेशों या विज्ञापनों के बारे में सचेत करने वाले क्रॉलर मौजूद हैं, जिनके जरिये हम कार्रवाई कर सकते हैं. यह एक तरह से चूहे-बिल्ली का खेल है, लेकिन हमारे पास उपाय मौजूद हैं.