FY25 में सेल्स में गिरावट के लिए पूरी तरह तैयार है McDonald's India, लेकिन क्या है वजह?

McDonald's का मानना है कि बर्गर में चीज (Cheese) का इस्तेमाल लोगों के मन में इस तरह बैठा है कि कंपनी का बिजनेस प्रभावित हो रहा है.

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मैकडॉनल्ड्स (McDonald's) की सबसे बड़ी भारतीय फ्रैंचाइजी वेस्टलाइफ फूड्सवर्ल्ड लिमिटेड (Westlife Foodworld Ltd.) पर बीते कुछ समय में चीज को लेकर हुई कॉन्ट्रोवर्सी का बड़ा असर पड़ा है. कंपनी को वापस अपना बिजनेस बढ़ाने में परेशानियां महसूस हो रही है. वेस्टलाइफ का मानना है कि FY25 की पहली छमाही तक इस कॉन्ट्रोवर्सी का असर उसके बिजनेस पर रहने वाला है.

वेस्टलाइफ फूड्सवर्ल्ड के मैनेजिंग डायरेक्टर सौरभ कालरा (Saurabh Kalra) कंपनी को होने वाली मुश्किलों से इनकार नहीं कर रहे हैं. कालरा का मानना है कि अपने बर्गर में चीज (Cheese) का इस्तेमाल लोगों के मन में इस तरह बैठा है कि कंपनी का बिजनेस प्रभावित हो रहा है. कालरा ने तिमाही नतीजों के बाद कॉन्फ्रेंस कॉल में मैकडॉनल्ड्स प्रोडक्ट्स के भारतीय ओरिजिन को लेकर जागरूकता बढ़ाने पर काम करने की बात कही.

कालरा के मुताबिक, कंपनी के 70-80 रेस्टोरेंट्स को इन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. कैंपेन चलाकर कंज्यूमर कॉन्फिडेंस को वापस पाने के लिए अपने विज्ञापन पर खर्चा करना पड़ सकता है.

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कालरा ने कहा, कंपनी की ओर से कई सारे कैंपेन चलाने के कारण परेशानियां कुछ तो कम हुई हैं, लेकिन ये पूरी तरह से खत्म नहीं हुई हैं. महाराजा मैक (Maharaja Mac) और मैकफ्लरी (McFlurry) जैसे प्रोडक्ट्स को लेकर कंज्यूमर्स का कॉन्फिडेंस पाने के लिए कंपनी ने काफी खर्च किया है. कालरा ने कहा, 'भरोसा पाना एक लॉन्ग-टर्म गेम है और हम अफवाहों को हटाने के लिए हम और ज्यादा खर्च कर रहे हैं और अपने ब्रांड के प्रति भरोसे को रीस्टोर कर रहे हैं'. कंपनी ने हाल ही में शेफ संजीव कपूर के साथ कोलैबोरेशन किया है.

फूड सेक्टर की अपनी चुनौतियां

फूड इंडस्ट्री में इस तरह की चुनौतियां काफी आम हैं. नेस्ले और कैडबरी के ऊपर भी इस तरह के आरोप लग चुके हैं.

नेस्ले को कुछ साल पहले मैगी (Maggi) को लेकर आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा था. कंपनी पर मैगी में लेवल से ज्यादा सीसा (lead) का इस्तेमाल करने का आरोप लगा था. इसके चलते कंपनी को कई प्रदेशों में प्रतिबंध का सामना भी करना पड़ा.

कंपनी को अपने ब्रांड को वापस उसी लेवल तक पहुंचाने में 3 साल का वक्त लगा. कंपनी ने 'we miss you Maggi' जैसी टैगलाइन पर वीडियो रिलीज किए.

मैकडॉनल्ड्स भी इसी तरह की परेशानियों से जूझ रही है.

कालरा को इस बात पर पूरा भरोसा है कि 1 या 2 तिमाही के अंदर कंपनी अपनी ग्रोथ पर वापस पहुंच जाएगी.

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वेस्टलाइफ के पास पश्चिम और दक्षिण भारत के 64 शहरों में 397 मैकडॉनल्ड्स रेस्टोरेंट हैं. मार्च तिमाही में कंपनी की सेल्स सपाट रही. कुछ स्टोर में सेल्स में 5% की गिरावट दर्ज की गई. वहीं, कंपनी के डिजिटल चैनल, जो कुल बिक्री का 70% है, 8% बढ़ा. बाकी 30% बिक्री, जिसमें डाइन इन चैनल की बड़ी हिस्सेदारी है, को भी ब्रांड की छवि खराब होने के चलते चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. Q4 में कंपनी की डाइन-इन सेल्स 2% घटी.

कंपनी का EBITDA मार्जिन 260 bps घटकर 13.3% रहा. इसके साथ ही कंपनी का मुनाफा 96% घटकर 80 लाख रुपये रहा. कंपनी के मुनाफे में इतनी बड़ी गिरावट की बड़ी वजहों में कंपनी को मिलने वाली डिमांड में कमी और नए स्टोर जोड़ना है.

2027 विजन बरकरार

इन शॉर्ट-टर्म चुनौतियों के बावजूद कंपनी का 2027 को लेकर विजन बरकरार है. कालरा ने कहा, कंपनी 18-20% ऑपरेटिंग मार्जिन के साथ 4,000-4,500 करोड़ रुपये की सेल्स का टारगेट कर रही है.

कंपनी FY25 में 45-50 तक नए स्टोर खोल सकती है. कंपनी दक्षिण भारत के छोटे कस्बों में अपना फोकस बढ़ा रही है. कंपनी इन नए स्टोर्स को दक्षिण भारत के इन कस्बों में ही खोलने पर विचार कर रही है. कंपनी ने इसके लिए 250 करोड़ रुपये के कैपेक्स का लक्ष्य रखा है.

महंगाई पर काबू रखने के लिए कंपनी ने अपने मेन्यू में भी कीमतें बढ़ा दी हैं. हर साल कंपनी अपने मैकडॉनल्ड्स प्लान में 3-5% की बढ़ोतरी करती है. केवल इस साल अच्छी डिमांड नहीं आने के चलते कंपनी ने अब तक कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की है.

क्विक सर्विस रेस्टोरेंट्स (QSR) चेन को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है क्योंकि महंगाई बढ़ने के चलते कस्टमर्स घर ही खाना खाने पर फोकस कर रहे हैं. टाटा स्टारबक्स और मैकडॉनल्ड्स इंडिया की सेल्स में गिरावट दिखाती है कि स्लोडाउन अगली कुछ तिमाही तक आगे बढ़ गया है.

ब्रोकरेज की राय

ब्रोकरेजेज पर नजर डालें तो कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (Kotak Institutional Equities) ने सेक्टर के लिए EBITDA अनुमान को 3-12% तक घटाया है. हालांकि, FY25 के दूसरे हाफ में पोटेंशियल रिकवरी का अनुमान है.

वेस्टलाइफ के लिए, एनालिस्ट ने शॉर्ट टर्म में अर्निंग में गिरावट का अनुमान जताया है. कमजोर डिमांड और स्टोर बढ़ाना इसके पीछे बड़ी वजहें हैं.

एमके ग्लोबल (Emkay Global) के एनालिस्ट देवांशु बंसल (Devanshu Bansal) के मुताबिक, 'हम वेस्टलाइफ के स्टोर बढ़ाने को देख रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही हम मार्केटिंग पर खर्च और शॉर्ट टर्म में फ्लैट सेल्स पर हमारी नजर बनी हुई है'. उन्होंने कहा, 'ब्रांड की खराब छवि के चलते अर्निंग की घटती ग्रोथ FY25 के पहले हाफ में भी जारी रह सकती है'. शॉर्ट टर्म चुनौतियों के चलते ब्रोकरेज ने FY25/26 के लिए EBITDA अनुमान में 13%/4% की कमी की है.

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लेखक सेसा सेन
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