रेनॉ-निसान भारत को बनाएंगे एक्सपोर्ट हब, करेंगे करीब $700 मिलियन का निवेश

ये निवेश हाइब्रिड कार और कई तरह की पावरट्रेन बनाने के लिए किया जाएगा. यहां खास बात ये है कि ये निवेश इलेक्ट्रिक वाहनों को बनाने के लिए नहीं किया जा रहा है. हालांकि EV पर अभी काम चल रहा है.

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भारत का ऑटोमोटिव मार्केट तेजी से बढ़ रहा है. रेनॉ-निसान अलायंस (Renault-Nissan Alliance) दुनिया के इस तीसरे सबसे बड़े ऑटोमोटिव मार्केट में निवेश करने की योजना बना रहे हैं. इस अलायंस के साथ मित्सुबिशी मोटर्स (Mitsubishi Motors) भी काम कर रहा है.

मैनेजमेंट ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि

"हमारे ग्रुप ने स्थानीय बाजार में अपनी पकड़ बनाने और मैन्युफैक्चरिंग के स्तर को बढ़ाने के लिए 600-700 मिलियन डॉलर के निवेश करने की योजना बनाई है. ये इन्वेस्टमेंट चेन्नई स्थित प्लांट के लिए होगा.

ये निवेश हाइब्रिड कार और कई तरह की पावरट्रेन बनाने के लिए किया जाएगा. यहां खास बात ये भी है कि ये निवेश इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को बनाने के लिए नहीं किया जा रहा है. भले ही इसकी योजना पहले थी."

रेनॉ समूह के CEO लुका डी मेओ (Luca De Meo) ने कहा,

"EV के प्लान पर चर्चा चल रही है. लेकिन अभी ध्यान एक्सपोर्ट (निर्यात) पर है."

कंपनी अगले तीन वर्षों में दोनों ब्रांडों की चार कारें (5 और 7 सीटर SUV) मार्केट में लाएगी.

इनका लोकलाइजेशन रेनॉ किगर (Renault Kiger) और निसान मैग्नाइट-सब-4-मीटर (Nissan Magnite—sub-4-metre) कॉम्पैक्ट SUV की तर्ज पर होगा, जो भारत में बनाकर दुनियाभर में भेजी जाती हैं और उनका लोकलाइजेशन किया जाता है.

समूह के चेयरमैन जीन डोमिनिक सेनार्ड (Jean Dominique Senard) ने कहा कि भारत, रेनॉ-निसान अलायंस जोकि दुनियाभर के लिए काम कर रहा है, इसका सेंटर है.

सेनार्ड के मुताबिक,

“भारतीय सड़कों पर रेनॉ-निसान की 1.4 मिलियन कारें हैं. हम 17 साल से काम कर रहे हैं और इन 17 सालों में करीब 2.7 मिलियन कारों का प्रोडक्शन हमने किया है, जिनमें से आधी कारों को विदेश भेजा गया है. चेन्नई के प्लांट में करीब 4.4 मिलियन पावरट्रेन का प्रोडक्शन किया गया. आगामी निवेश भारत में हमारे गठबंधन का अगला युग है."
जीन डोमिनिक सेनार्ड, चेयरमैन, रेनॉल्ट-निसान-मित्सुबिशी समूह

सेनार्ड ने यह भी कहा कि

रेनॉल्ट-निसान द्वारा किया गया अरबों डॉलर का निवेश, मारुति सुजुकी जैसी कंपनियों द्वारा किए जा रहे बड़े पैमाने के उत्पादन के सामने निश्चित तौर पर कम है।

फिर भी, इससे हमारे संघ को कोई अंतर नहीं पड़ता, चाहे हमारी बाजार हिस्सेदारी मात्र 2% क्यों न हो।

सीईओ लुका डी मेओ ने बताया,

"अगर हम बड़े खिलाड़ियों जैसे मारुति सुजुकी, हुंडई इंडिया, टाटा मोटर्स लिमिटेड आदि के साथ तुलना करें, तो हम छोटे स्तर पर हैं. लेकिन हम वैश्विक स्तर पर कार्य कर रहे हैं और अन्य देशों में हमारी क्षमता अधिक है. जिन्हें भारत में लाया जा सकता है. हमारे गठबंधन की ताकत को अंडर एस्टीमेट मत करिए."