Sustainable Investing: भारतीय निवेशकों के लिए अहम है सस्‍टेनेबिलिटी, पर डेटा पर भरोसा नहीं! डेलॉइट की स्टडी में कई खुलासे

73% निवेशक मानते हैं कि अलग-अलग कंपनियों की ESG रेटिंग एक जैसी नहीं होने के चलते उनकी तुलना करना मुश्किल हो जाता है.

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आम तौर पर निवेशकों के लिए शेयर बाजार में पैसा लगाने से पहले किसी भी कंपनी के बारे में काफी कुछ जान लेना जरूरी होता है. निवेशक जैसे-जैसे जागरूक होते जा रहे हैं, वे इसका ध्‍यान भी रखते हैं. कंपनी के फाइनेंशियल्‍स स्‍टेटस से लेकर ऑर्डर बुक तक पर जागरूक निवेशकों की नजर रहती है.

ध्‍यान देने के लिए एक जरूरी फैक्‍टर 'सस्‍टेनेबिलिटी' भी है. खासकर संस्‍थागत निवेशकों के लिए, जिनके ऊपर इस बात का भी प्रभाव पड़ता है कि ग्राहक उनसे क्‍या उम्‍मीद कर रहे हैं.

डेलॉइट की एक ताजा स्‍टडी के मुताबिक, 90% से ज्‍यादा भारतीय संस्‍थागत निवेशक (Institutional Investors) अपने निवेश संबंधी फैसले लेने के दौरान सस्‍टेनेबिलिटी इंफॉर्मेशन को जरूरी हिस्‍सा मानते हैं.

डेलॉइट ने टफ्ट्स यूनिवर्सिटी के फ्लेचर स्कूल के साथ मिलकर 'Investor Trust in Sustainability Data' नाम से ये रिपोर्ट जारी की है.

इस स्‍टडी में ये भी पाया गया कि सस्टेनेबिलिटी जैसे-जैसे निवेश मैनेजमेंट का एक अहम हिस्सा बन रही है, वैसे-वैसे ESG डेटा (Environmental, Social and Governance Data) पर भरोसा कम होता जा रहा है. ऐसे में सही और भरोसेमंद डेटा पाने में चुनौतियां बढ़ रही हैं.

आखिर दिक्‍कत कहां है?

डेलॉइट की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय निवेशकों को सस्टेनेबिलिटी डेटा पर भरोसा करने में कई दिक्कतें आ रही हैं. 'अलग-अलग कंपनियों की ESG रेटिंग का एक जैसा न होना' इनमें सबसे बड़ी समस्या है.

  • 73% निवेशक मानते हैं कि अलग-अलग कंपनियों की ESG रेटिंग एक जैसी नहीं होने के चलते उनकी तुलना करना मुश्किल हो जाता है.

  • 71% निवेशकों का कहना है कि ESG डेटा को निवेश के फैसले लेने में शामिल करने में ज्यादा खर्च आता है.

  • 70% निवेशकों ने कहा कि कंपनियां जो जानकारी देती हैं, उसमें सही परिणाम नहीं दिखते हैं.

इन वजहों से इन्‍वेस्‍टर्स ESG आधारित इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लान को ठीक से लागू नहीं कर पा रहे हैं.

तेजी से बढ़ रहा है सस्टेनेबल निवेश

डेलॉइट साउथ एशिया के पार्टनर और सस्टेनेबिलिटी और क्लाइमेट लीडर, विराल ठक्कर ने कहा, 'सस्टेनेबल निवेश पर ध्यान देना अच्छी बात है लेकिन भरोसेमंद डेटा की कमी भारतीय निवेशकों के लिए एक बड़ी समस्या है. निवेशकों का भरोसा बढ़ाने और सही फैसले लेने में मदद करने के लिए रिपोर्टिंग के मानकों में सुधार की जरूरत है.'

स्‍टडी के मुताबिक, सस्टेनेबल निवेश तेजी से बढ़ रहा है. डेलॉइट की स्‍टडी के मुताबिक,

  • भारतीय निवेशक सस्टेनेबिलिटी का एनालिसिस करते समय कंपनी के इंटरनल डेटा सिस्टम और ऑडिटेड (या प्रमाणित) डिटेल्‍स पर ज्यादा भरोसा करते हैं.

  • दुनिया के दूसरे देशों के निवेशकों की तुलना में, भारतीय निवेशक बाहरी डेटा स्रोतों और रेटिंग पर कम भरोसा करते हैं.

  • 80% भारतीय निवेशकों ने सस्टेनेबिलिटी से जुड़ी नीतियां बना ली हैं. इनमें से 58% को ऐसा किए 2 साल से ज्यादा हो चुके हैं, जबकि 14% को 5 साल से ज्‍यादा.

  • 78% भारतीय निवेशक अपने कुल निवेश का 30% तक ऐसी कंपनियों में लगाते हैं जो पर्यावरण, समाज और कॉरपोरेट गवर्नेंस (ESG) के क्षेत्र में खास लक्ष्य हासिल करने की कोशिश कर रही हैं.

  • 1% निवेशक अपने कुल निवेश का 60 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा ऐसी कंपनियों में लगाते हैं जो ESG के मामले में बहुत अच्छे प्रदर्शन वाली होती हैं.

  • 41% भारतीय निवेशकों ने कहा, 'सरकारी नियम, सबसे बड़ी वजह है, जिसके चलते वे अपने निवेश के फैसले लेते समय पर्यावरण, समाज और कॉरपोरेट गवर्नेंस (ESG) जैसे बातों को ध्यान में रखते हैं.

  • 36% निवेशकों ने कहा कि वे समाज और पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए ऐसा करते हैं. ये बात दुनिया के दूसरे देशों के निवेशकों से अलग है, जहां ज्यादातर निवेशक पैसा कमाने और जोखिम कम करने को ज्यादा महत्व देते हैं.

कंपनियों को सस्टेनेबिलिटी से जुड़े अपने काम करने के तरीकों को मजबूत करना चाहिए, अच्छे क्वालिटी के मापन (measurement) और रिपोर्टिंग सिस्टम पर पैसा लगाना चाहिए, और किसी तीसरे पक्ष से अपनी जानकारी की पुष्टि करानी चाहिए.
विराल ठक्कर, डेलॉइट साउथ एशिया के पार्टनर और सस्टेनेबिलिटी एंड क्लाइमेट लीडर

विराल ठक्‍कर ने आगे कहा, 'पारदर्शिता और लोगों से जुड़ाव को महत्व देकर, कंपनियां निवेशकों की उम्मीदों पर खरी उतर सकती हैं और समाज और पर्यावरण के लिए अच्छा काम कर सकती हैं, जिससे सभी के लिए एक बेहतर भविष्य बन सकता है.'

ग्राहकों की उम्‍मीदों का प्रभाव

पहले की अपेक्षा अब जलवायु परिवर्तन, सामाजिक मुद्दों और कंपनियों के काम करने के तरीकों के बारे में लोगों के पास ज्‍यादा जानकारियों उपलब्‍ध है और लगातार वे अपडेट भी रह रहे हैं, इसलिए निवेशकों पर अपने ग्राहकों की ओर से ज्यादा दबाव बढ़ गया है.

करीब 40% निवेशकों को दबाव का सामना करना पड़ता है, और इनमें से लगभग 15% को अपने ग्राहकों और एसेट मैनेजर्स की मांगों के कारण अपने निवेश के फैसले लेते समय पर्यावरण, समाज और कॉरपोरेट गवर्नेंस (ESG) के बारे में सोचना बहुत जरूरी लगता है. ये दिखाता है कि ग्राहकों की उम्मीदों का निवेश के फैसलों पर कितना असर पड़ रहा है.

कंपनियों के लिए भरोसा बनाए रखना जरूरी

निवेशकों का भरोसा बनाए रखना कंपनियों के लिए बहुत जरूरी है ताकि वे बाजार में आगे बढ़ सकें, अपनी कंपनी की कीमत बढ़ा सकें और पैसा जुटा सकें. ये भरोसा तब बनता है जब कंपनियां दिखाती हैं कि वे अपना काम अच्छे से कर सकती हैं और उनका इरादा अच्छा है.

डेटा क्रेडिबिलिटी संबंधी समस्या को दूर करने और भरोसा बढ़ाने के लिए, कंपनियों को अपने सस्टेनेबिलिटी के वादों को पूरा करना होगा और पारदर्शिता बढ़ानी होगी. इसके लिए उन्हें एक जैसी रिपोर्टिंग का तरीका अपनाना चाहिए और अपनी जानकारी की सही जांच करानी चाहिए. ऐसा करने से भारतीय निवेशक सही फैसले ले सकेंगे और सस्टेनेबिलिटी के क्षेत्र में अच्छा काम हो सकेगा, जिससे समाज और पर्यावरण को फायदा होगा.
शबाना हकीम, एग्‍जीक्‍यूटिव डायरेक्‍टर, डेलॉइट इंडिया

स्टडी से पता चलता है कि पर्यावरण, समाज और कॉरपोरेट गवर्नेंस (ESG) के बारे में सही जानकारी मिलना बहुत मुश्किल है, जिससे निवेशकों को परेशानी हो रही है जो अपने निवेश के फैसले लेते समय इन बातों को ध्यान में रखना चाहते हैं.

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