क्या भारत में भी रसोई खत्म हो जाएगी! जानिए रेस्टोरेंट्स मार्केट को लेकर निखिल कामथ ने क्या कहा?

निखिल कामथ ने मंगलवार को कहा कि भारत में घर पर पकाए गए खाने के प्रति लोगों का जुनून धीरे-धीरे बदल रहा है.

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जीरोधा (Zerodha) के को-फाउंडर निखिल कामथ (Nikhil Kamath) ने सिंगापुर की अपनी यात्रा की एक दिलचस्प जानकारी साझा की, जिसमें उन्होंने सिंगापुर की खान-पान की आदतों और भारत में फूड कंजप्शन के बदलते रुझानों के बीच समानताएं बताईं.

निखिल कामथ ने मंगलवार को कहा कि भारत में घर पर पकाए गए खाने के प्रति लोगों का जुनून धीरे-धीरे बदल रहा है. अनुमान है कि 2030 तक देश का फूड सर्विस मार्केट 9-10 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ जाएगा.

सिंगापुर की अपनी हालिया यात्रा से मिली जानकारी साझा करते हुए कामथ ने बताया कि उन्होंने पाया कि सिंगापुर के लोग शायद ही कभी घर पर खाना बनाते हैं और कई लोगों के पास रसोई नहीं है. ये एक ऐसा विचार है जो कई भारतीयों को चौंका सकता है.

कामथ ने बताया कि मैं इस सप्ताह सिंगापुर में था मैंने जिन लोगों से मुलाकात की, उनमें से अधिकांश ने कहा कि वे कभी घर पर खाना नहीं बनाते हैं और कई लोगों के घरों रसोई भी नहीं है. अगर भारत इस प्रवृत्ति का अनुसरण करता है, तो निवेश करना/रेस्तरां खोलना एक बड़ा अवसर होगा, लेकिन हमारे पास ऐसे रेस्तरां ब्रैंड नहीं हैं जो दक्षिण पूर्व एशियाई चेन जितने बड़े हों.

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कामथ ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर एक पोस्ट में पूछा है कि हमारे और उनके उपभोग करने के व्यवहार में क्या अंतर है? और क्या ये बदलाव तब होगा जब प्रति व्यक्ति GDP 5k USD को पार कर जाएगी और श्रम लागत बढ़ जाएगी? मेरे रेस्तरां मालिक मित्रों, अगर भारत में इस उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए एक चीज बदल सकती है, तो वो क्या होगी?

भारतीय हर महीने सिर्फ 5 बार घर से बाहर पका खाना खाते हैं

भारतीय हर महीने 5 बार घर से बाहर पका खाना खाते हैं. कामथ की पोस्ट में भारत की खान-पान की आदतों के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी गई है. फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी और बैन एंड कंपनी की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि भारतीय हर महीने सिर्फ 5 बार घर से बाहर पका खाना खाते हैं, जो वैश्विक स्तर पर सबसे कम दरों में से एक है.

इसकी तुलना में, चीन में लोग एवरेज हर महीने 33 बार घर से बाहर पका खाना खाते हैं, जबकि अमेरिका में 27 और सिंगापुर में 19 बार खाते हैं. पोस्ट में ये भी बताया गया है कि पीढ़ीगत गतिशीलता में बदलाव और 'पार्टी संस्कृति' के बढ़ने जैसे कारणों से भारतीयों के बीच घर से बाहर खाना खाने की आदत को बढ़ावा देने वाले हैं, जो साल 2030 तक इसे महीने में 7-8 दिन तक ले जाएगा.

2030 तक 10-12% CAGR की उम्मीद

रिपोर्ट में ये भी अनुमान लगाया गया है कि 2030 तक, हर पांचवा नॉन होम कुक्ड फूड ऑर्डर ऑनलाइन डिलीवरी द्वारा पूरा किया जाएगा, जो भारत के फूड सर्विस मार्केट की क्षमता को उजागर करता है. जबकि भारत में फूड सर्विस मार्केट के 2030 तक 10-12% की CAGR प्राप्त करने की उम्मीद है.

रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि इस तेजी से बढ़ते बाजार का 55% हिस्सा असंगठित है. पोस्ट में लिखा है कि भारत में संगठित फूड मार्केट का केवल 30% हिस्सा है, जबकि अमेरिका में ये 55% है.

ये आंकड़े इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि कैसे चेन रेस्तरां ने भारतीय बाजार में अपेक्षाकृत देर से प्रवेश किया और अभी भी अन्य देशों से पीछे हैं. उदाहरण के लिए मैकडॉनल्ड्स, एक लोकप्रिय अमेरिकी फास्ट-फूड चेन, भारत में केवल 500 आउटलेट ऑपरेट करती है, जबकि अमेरिका में 13,500 और चीन में 5,000 हैं.

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