प्रधानमंत्री को उम्मीद जल्द पारित होगा खाद्य सुरक्षा विधेयक

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज उम्मीद जताई कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के ऐतिहासिक खाद्य सुरक्षा विधेयक को संसद जल्द ही पारित कर देगी।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज उम्मीद जताई कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के ऐतिहासिक खाद्य सुरक्षा विधेयक को संसद जल्द ही पारित कर देगी। इस विधेयक में देश की 81 करोड़ गरीब जनता को सस्ता अनाज उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है।

सरकार ने हाल ही में खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने के लिए अध्यादेश जारी किया था। अब उसके लिए विधेयक संसद में पारित कराया जाना है।

मनमोहन ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा, खाद्य सुरक्षा विधेयक अब संसद के समक्ष है और हमें उम्मीद है कि इसे जल्द ही पारित कर दिया जाएगा।

लोकसभा में इस विधेयक पर चर्चा शुरू किए जाने के सरकार का प्रयास बुधवार को एक बार फिर असफल रहा। यह लगातार दूसरा मौका रहा जब सदन में तेलंगाना और दूसरे मुद्दों को लेकर हंगामा जारी रहने की वजह से विधेयक पर चर्चा शुरू नहीं हो पाई।

कांग्रेस ने विधेयक पर चर्चा के दौरान अपने सदस्यों को सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप भी जारी किया था। पार्टी इस विधेयक को एक ‘‘पासा पलटू’’ पहल मान रही है।

मनमोहन ने कहा कि इस कानून से देश की 75 प्रतिशत ग्रामीण आबादी को लाभ पहुंचेगा जबकि करीब आधी शहरी आबादी इससे लाभान्वित होगी।

खाद्य सुरक्षा कानून के अमल में आने के बाद देश के 81 करोड़ लोगों को 3 रुपये किलो की दर पर चावल, 2 रुपये किलो गेहूं और एक रुपये किलो के भाव मोटा अनाज मिलेगा।
 
प्रधानमंत्री ने खाद्य सुरक्षा विधेयक के बारे में कहा, यह पूरी दुनिया में अपनी तरह का एक बड़ा प्रयास है। हम केवल अपने किसानों की कड़ी मेहनत की बदौलत ही इस कानून को लागू करने में सक्षम हो पाये हैं। वर्ष 2011-12 में हमारा खाद्यान्न उत्पादन 25.9 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। मनमोहन ने आगे कहा कि खाद्य सुरक्षा विधेयक के कानून बन जाने के बाद इसका क्रियान्वयन हमारी पहली प्राथमिकता होगी।

उन्होंने कहा, हमने पहले ही इस दिशा में राज्यों के साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कंप्यूटरीकरण का काम तेज किया जाएगा। खाद्य सुरक्षा विधेयक के कानून बन जाने और इस पर अमल शुरू होने के बाद सस्ते अनाज पर सालाना सब्सिडी खर्च 1.30 लाख करोड़ रुपये और इसके लिए खाद्यान्न की सालाना आवश्यकता 6 करोड़ 20 लाख टन तक होगी।

लेखक NDTV Profit Desk
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