जलापूर्ति क्षेत्र में सरकारी निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल में समुचित नियामकीय व्यवस्था नहीं होने से निजी कम्पनियां सिर्फ लाभ कमाएंगी, लेकिन दिल्ली के जल संकट का समाधान नहीं होगा।
साउथ एशियन नेटवर्क फॉर डैम्स, रिवर्स एंड पीपुल के समन्वयक हिमांशु ठक्कर ने कहा, "सरकार सरकारी-निजी भागीदार मॉडल पर जल क्षेत्र में सुधार करना चाहती है। लेकिन निजी कम्पनियों पर नजर रखने के लिए कोई नियामकीय व्यवस्था नहीं है। जबकि निजी कम्पनियां सिर्फ पैसा कमाने के लिए काम करती हैं।"
दिल्ली सरकार ने जल प्रबंधन में पीपीपी परियोजना के जरिए सुधार लागू करने का फैसला किया है। ठक्कर ने कहा, "अधिक जल की खपत करने वाले को अधिक जल की आपूर्ति की जाएगी, क्योंकि व्यवस्था के मुताबिक अधिक जल की खपत करने वाले अधिक भुगतान करेंगे। इसलिए घरों की जगह होटल या अन्य संस्थानों को अधिक तरजीह दिया जाएगा।"
वह यहां मंगलवार को 'वाटर स्कार्सिटी इन दिल्ली - सोरिंग डीमांड और मिसमैनेजमेंट' विषय पर आयोजित परिचर्चा में बोल रहे थे।