देश के सात प्रमुख शहरों में जुलाई-सितंबर में मकानों की बिक्री 11% घटकर 1.07 लाख यूनिट रह गई. रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म एनारॉक ने इसको लेकर रिपोर्ट जारी की है. इसके पीछे की वजह कीमतों में सालाना आधार पर 23% की बढ़ोतरी और नए मकानों की पेशकश में कमी बताई गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, न्यू हाउसिंग सप्लाई में 19% की गिरावट देखी गई.
गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई-सितंबर में रेसिडेंशियल प्रॉपर्टीज की बिक्री 11% की गिरावट के साथ 1,07,060 यूनिट रह गई, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में ये संख्या 1,20,290 यूनिट थी.
सभी 7 शहरों में घट गई सेल्स
एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, 'सभी टॉप शहरों में सेल्स में गिरावट दर्ज की गई है. जुलाई-सितंबर 2024 में 93,750 नई यूनिट्स पेश की गईं, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 1,16,220 यूनिट्स पेश की गई थीं. ये करीब 19% की गिरावट है.'
देश के टॉप 7 शहरों में सितंबर तिमाही में बिके 1,07,060 मकान
सेल्स 11% घटी, जुलाई-सितंबर 2023 में बिके थे 1,20,290 मकान
कम तैयार हुए नए मकान, कीमतों में 23% बढ़ोतरी भी बड़ी वजह
मुंबई महानगर क्षेत्र (MMR) में बिके 36,190 यूनिट्स (6% की कमी)
दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में बिके 15,570 यूनिट्स (2% की कमी)
बेंगलुरु-15,025 यूनिट्स (8% की कमी), हैदराबाद -12,735 यूनिट्स (22% की कमी)
कोलकाता- 3,980 यूनिट्स (25% की कमी), चेन्नई-4,510 यूनिट्स (9% की कमी)
डिमांड-सप्लाई का समीकरण मजबूत
अनुज पुरी ने कहा कि तमाम तथ्यों के बीच ये अहम तथ्य है कि नए मकानों की पेशकश की तुलना में सेल्स अधिक हुई. ये दर्शाता है कि डिमांड और सप्लाई का समीकरण मजबूत बना हुआ है.'
उन्होंने बताया कि ऊंची कीमतों और मानसून के कारण तीसरी तिमाही में मकानों की बिक्री में कमी आई. पुरी ने कहा, 'हमेशा की तरह इस अवधि में ‘श्राद्ध’ (पितृपक्ष) आने से भी मांग कुछ हद तक दब गई क्योंकि कई भारतीय परिवार इस दौरान मकान नहीं खरीदते.'
क्यों बढ़ गईं मकानों की कीमतें?
एनारॉक ने कहा, 'कच्चे माल की बढ़ती लागतों के चलते टाॅप-7 शहरों में रेसिडेंशियल प्रॉपर्टीज की कीमतें संयुक्त रूप से सालाना आधार पर 23% बढ़ गईं. सप्लाई की तुलना में डिमांड और सेल्स में बढ़ोतरी भी इसकी बड़ी वजह है.
ये 2023 की तीसरी तिमाही में 6,800 रुपये प्रति वर्ग फुट से 2024 की तीसरी तिमाही में 8,390 रुपये प्रति वर्ग फुट पहुंच गई. टॉप-7 शहरों में हैदराबाद में औसत कीमतों में सबसे अधिक 32% की बढ़ोतरी देखी गई.