लंदन बाजार में रविवार को ब्रेंट नार्थ सी कच्चे तेल के भाव में करोबार के दौरान डेढ़ डॉलर प्रति बैरल से अधिक का उछाल देखा गया और यह 53.45 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया. एक साल में यह तेल का उच्चतम स्तर है.
कच्चा तेल उत्पादन सीमित करने की तेल उत्पादक एवं निर्यात देशों की पहल को समर्थन देने के रस के राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन के समर्थन की खबरों के बाद कच्चा तेल बाजार तेज हो गया. कारोबार के दौरान तेल का भाव 1.53 डालर तक चढ़कर 53.45 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया जो अक्तूबर 2015 के बाद उच्चतम स्तर है.उस समय यह 54.05 डॉलर प्रति बैरल था.
वहीं, सऊदी अरब ने सोमवार को कहा कि इस साल के अंत तक क्रूड ऑयल की कीमत का बढ़कर 60 डॉलर प्रति बैरल हो जाना 'ऐसी बात नहीं है जिसकी कल्पना न की जा सके.' यानी, हो सकता है कि साल के अंत तक कच्चे तेल की कीमत बढ़कर 60 डॉलर प्रति बैरल हो जाएं. लेकिन, साथ ही सऊदी अरब ने तेल के प्रॉडक्शन में अत्याधिक कमी करने को लेकर उसने चेताया है क्योंकि इससे शेयर बाजारों पर निगेटिव असर पड़ सकता है.
इस्तांबुल में वर्ल्ड एनर्जी कांग्रेस में बोलते हुए सऊदी अरब के ऊर्जी मंत्री खालिद अल फालिह ने कहा कि तेल की कीमतें चाहे जो भी हों, देश इस स्थिति में है कि वह क्रूड ऑयल पर आधारित अर्थव्यवस्था के ढांचे में सुधारात्मक दृष्टिकोण को 2030 तक लागू कर देगा. बता दें कि कच्चे तेल की कीमतों में लगातार मंदी का माहौल बने रहने से उबरने की कोशिश करते हुए सऊदी अरब अपनी इकॉनमी की निर्भरता तेल पर कम करने की कोशिशों में जुटा हुआ है.
जून के बाद पहली बार न्यूयॉर्क में पिछले हफ्ते तेल की कीमत प्रति बैरल 50 डॉलर से अधिक चली गई थी. दरअसल आठ सालों में पहली बार पिछले ही महीने सऊदी अरब ने ओपीईसी द्वार किए जाने वाले तेल के उत्पादन में कमी फैसला लिया था, इसके बाद ही अमेरिका में कीमतों में यह तेजी देखी गई थी. अल फालिह ने कहा कि यह सीधे सीधे डिमांड और सप्लाई से जुड़ा मामला है. उन्होंने कहा कि मेरी नजर कीमतों पर नहीं है बल्कि सप्लाई और डिमांड पर है. उन्होंने जोड़ा, ओपीईसी को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह कीमतों में बहुत ज्यादा कटौती न करे ताकि बाजारों को झटका न लगे. उन्होंने कहा कि हम नहीं चाहते कि अपनी कोशिशों में हम कोई ऐसा रूख अपनाएं जिससे शेयर बाजारों को जबरदस्त शॉक लगे.
उन्होंने कहा कि कीमतें चाहे जो भी हो जाएं लेकिन वे इससे निपटने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि तेल की मांग में बेहद तेजी आएगी लेकिन यदि ऐसा होता है तो वे इसके लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा- 'विज़न 2030' योजना से सऊदी अरब पहले से ज्यादा मजबूत और ताकतवर बनकर उभरेगा. इस्तांबुल में हुई वर्ल्ड एनर्जी कांग्रेस में एनर्जी सेक्टर के कई दिग्गजों को बुलाया गया जिन्होंने इस सेक्टर के ट्रांसफोर्मेशन को लेकर चर्चा परिचर्चा की.