आखिर आईडीबीआई ने विजय माल्या को क्यों दिए 900 करोड़ रुपये? दो नोट की कहानी

विजय माल्या के मालिकाना हक वाली एयरलाइंस कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस को जब सरकारी बैंक आईडीबीआई ने 900 करोड़ रुपये का लोन दिया था तब भी कंपनी भारी वित्तीय समस्या से जूझ रही थी। 2009 में मार्च में कंपनी को लोन दिया गया था। इस साल कंपनी ने 1600 करोड़ रुपये का घाटा दर्शाया था।

विजय माल्या (फाइल फोटो)

विजय माल्या के मालिकाना हक वाली एयरलाइंस कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस को जब सरकारी बैंक आईडीबीआई ने 900 करोड़ रुपये का लोन दिया था तब भी कंपनी भारी वित्तीय समस्या से जूझ रही थी। 2009 में मार्च में कंपनी को लोन दिया गया था। इस साल कंपनी ने 1600 करोड़ रुपये का घाटा दर्शाया था।

ऐसा नहीं था कि बैंक को किंगफिशर एयरलाइंस के घाटे के बारे में जानकारी नहीं थी। आईडीबीआई बैंक के मिले नोट बताते हैं कि एक इंटरनल नोट ने इन घाटों के बारे में जिक्र किया था। यानि लोन दिए जाने से पहले यह नोट कंपनी के भारी घाटे की ओर इशारा कर रहा था। वहीं, एक दूसरा नोट भी मिला है। इस नोट में कंपनी के काफी प्रशंसा की गई है। इसमें किंगफिशर कंपनी के ब्रैंड वैल्यू की खूब बात कही गई है। इस ब्रैंड को कोलेटरल के तौर पर प्लेज किया गया, ऐसा नोट कह रहा है। इस वजह से विजय माल्या की कंपनी को अनसिक्योर्ड लोन भी बाजार से कम ब्याज पर दिया गया। दूसरे नोट में विजय माल्या की किंगफिशर कंपनी द्वारा कॉर्पोरेट गारंटी भी दी गई थी। इस कंपनी के एयरलाइंस कई सौ करोड़ के मालिकाना हक वाले शेयर थे।

आश्चर्यजनक रूप से बैंक के अधिकारियों ने पहले नोट को नजरअंदाज करते हुए दूसरे नोट को ज्यादा तरजीह दी और विजय माल्या की भारी घाटे में चल रही किंगफिशर एयरलाइंस को 900 करोड़ रुपये का लोन दे दिया। अब इस मामले की जांच में लगे जांचकर्ताओं का कहना है कि विजय माल्या इस पैसे का काफी हिस्सा गैर-कानूनी तरीके से विदेश ले गया।

बता दें कि अब इस कंपनी के मालिक विजय माल्या विवादित तरीके से देश छोड़कर लंदन जा चुके हैं। ईडी के द्वारा समन किए जाने पर माल्या की ओर समय दिए जाने की मांग की गई है।

कंपनी के ओर से विदेश धन भेजे जाने के मामले में सफाई देकर कहा गया है कि विदेशों में एयरलाइंस कंपनी के बकाए को चुकाने के लिए इनका प्रयोग किया गया।

इस पूरे मामले में दो तरह की जांच जारी है। एक जांच ईडी कर रही जो इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है। वहीं, सीबीआई यह जांच कर रही है कि लोन देने में बैंक अधिकारियों की कोई सांठ-गांठ तो नहीं थी।

माल्या की गैर-मौजूदगी में सीबीआई ने आईडीबीआई से उन अधिकारियों के नाम पूछे हैं जिन्होंने दोनों नोट तैयार किए थे। इसके अलावा उन अधिकारियों के नाम भी सीबीआई ने पूछे हैं जिन्होंने माल्या को लोन को स्वीकार किया था।

तत्कालीन, आईडीबीआई के प्रमुख योगेश अग्रवाल से सीबीआई पहले ही पूछताछ कर चुकी है। सूत्र बता रहे हैं कि उन्होंने विजय माल्या से मुलाकातों पर ज्यादा जानकारी नहीं दी है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि उनके अधिकारियों के निर्णय पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने अपने बचाव में यह भी कहा कि जब उन्होंने बैंक छोड़ा तब भी किसी ने किंगफिशर एयरलाइंस को लोन दिए जाने पर सवाल नहीं उठाया। 

लेखक Tanima Biswas
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