FICCI और बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (Boston Consulting Group) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में करीब 58% लोग वर्कप्लेस पर सुस्ती और थकान (Burnout) महसूस करते हैं. ये ग्लोबल एवरेज 48% के मुकाबले काफी ज्यादा है. ‘इंडिया HR रिवोल्यूशनः बिल्डिंग वर्कप्लेस फॉर द फ्यूचर’ नाम की ये रिपोर्ट मुंबई में आयोजित FICCI इनोवेशन समिट 2024 के दौरान पेश की गई.
हाल ही में रिपोर्ट में 8 देशों में एक और स्टडी की गई थी, जिसके मुताबिक करीब 50% लोग वर्कप्लेस पर थके-थके महसूस करते हैं और इस थकान के चलते नौकरी छोड़ने की दर बढ़ी है. साथ ही उनकी इच्छाशक्ति और प्रोडक्टिविटी पर भी बुरा असर पड़ा है.
आम धारणा है कि बहुत ज्यादा काम करने की वजह से लोग थकान महसूस करते हैं, लेकिन ताजा रिपोर्ट कहती है कि इसके पीछे लगातार सहयोग और बातचीत की बढ़ती जरूरत जैसे कि मीटिंग्स पर मीटिंग्स इसकी बड़ी वजह है.
एक ही काम के लिए कितनी बातचीत?
FICCI की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनियों में बातचीत की बढ़ती जरूरत वर्कर्स के लिए सिरदर्द साबित हो रही है. थकान के पीछे ये बड़ा कारण है कि कोई भी काम पूरा करने के लिए बार-बार बातचीत की जरूरत पड़ती है. इसमें कई बार छोटी-छोटी बातचीत और नियमित बातचीत भी शामिल हैं, जो कि स्ट्रेस और टेंशन बढ़ाने का काम करती हैं.
इसके अलावा इन्क्लूजन की कमी यानी इंप्लाइज की बात नहीं सुनी जाने की स्थिति भी बड़ी वजह है. ऐसे में मोटिवेशन से लेकर चाइल्डकेयर और हेल्थकेयर सर्विसेज तक और फाइनेंशियल काउंसिल पर फ्लेक्सिबल वर्क आवर्स तक, लगातार इंप्लॉइज की बातें सुनना और उनके इश्यूज सॉल्व करना जरूरी है.
तो फिर कंपनियां क्या कर रही हैं?
रिपोर्ट के मुताबिक 72% ऑर्गनाइजेशन कर्मियों के वर्क-लाइफ बैलेंस को सुविधाजनक बनाने के लिए गौर करते हैं और नीतिगत बदलावों का लाभ उठाते हैं.
कंपनीज के HR भी सिचुएशन को संभालने के लिए AI तक का इस्तेमाल कर रहे हैं. करीब 45% इंडियन कंपनीज अपने HR प्रोसेसेज में जेनरेटिव AI का इस्तेमाल कर रही हैं और इससे 93% कंपनियों में इफिशिएंसी और प्रोडक्टिविटी बेहतर हुई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनियों को अपने कर्मचारियों के बारे में गहरी समझ होनी चाहिए, जैसे कि वे अपने कस्टमर्स या कंज्यूमर्स के बारे में रखते हैं. ऐसा करने से वे अपने कर्मियों को खुश रख सकेंगे और उन्हें मोटिवेट कर सकेंगे.