गोल्‍ड का इलेक्‍शन कनेक्‍शन! चुनावों के दौरान कैसी रही है सोने की डिमांड, इस बार क्‍या है उम्‍मीदें?

चुनावी साल 2004 में अप्रैल-जून की अवधि में YoY चेंज -2% था. जबकि 2009 में ये आंकड़ा और घट कर -12% हो गया. और भी आंकड़ों के साथ पढ़ें डिटेल्‍ड एनालिसिस.

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दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र यानी भारत में चुनाव हो रहे हैं. भारत में होने वाले आम चुनावों का असर न केवल राष्‍ट्रीय बल्कि वैश्विक स्‍तर पर भी होता है. और शेयर बाजार की तरह गोल्‍ड पर इसका असर होना तो लाजिमी है ही.

बहुत से लोगों को चुनाव और गोल्‍ड डिमांड में संबंध को लेकर आश्‍चर्य हो सकता है और अन-रिलेटेड चीजों के बीच सार्थक संबंध देखने की प्रवृति को एपोफेनिया या पैटर्निसिटी के लक्षण माना जा सकता है. लेकिन इलेक्‍शन से गोल्‍ड डिमांड का कनेक्‍शन तो है ही. और हाल ही में वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने सोने पर भारत के आम चुनावों के असर को लेकर रिपोर्ट जारी की थी.

कैसी रहेगी सोने की मांग?

WGC ने साल 2024 में सोने की मांग 900 टन पहुंचने का अनुमान जताया. पिछले साल 2023 में ये आंकड़ा 745.7 टन था, जो 2022 के मुकाबले 3% कम था. इस साल होने वाली बढ़ोतरी के पीछे WGC ने मजबूत आर्थिक विकास और ज्‍यादा इनकम की उम्‍मीद को वजह बताया है.

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) में MD (India), सोमासुंदरम PR की मानें तो साल के दूसरी छमाही में आम चुनावों के बाद सोने की मांग बढ़ने की उम्मीद है. कारण है कि लोगों के पास ज्‍यादा डिस्पोजेबल इनकम होगी. इसके पीछे अच्‍छे मॉनसून की उम्‍मीद भी एक वजह है.

चुनाव के दौरान गोल्‍ड डिमांड का पैटर्न

देश की राजनीति और नीति (Polity & Policy) का गोल्‍ड मार्केट पर बड़ा प्रभाव, न केवल यहां की बड़ी आबादी (जो संपत्ति की तरह सोना खरीदते हैं) के चलते है, बल्कि इसलिए भी है, क्‍योंकि केंद्रीय बैंक RBI भी ऐतिहासिक रूप से बीते कई वर्षों से बड़ी मात्रा में सोना खरीदता आ रहा है.

WGC की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में गोल्‍ड कंजप्‍शन और आम चुनाव के बीच दिलचस्‍प पैटर्न सामने आया. आंकड़ों के मुताबिक, जिस दौरान देश में वोटिंग चल रही होती है, सोने की खपत पर इसका बड़ा असर होता है.

चुनावी वर्षों की दूसरी तिमाही में YoY यानी साल-दर-साल (पिछले वर्ष की समान तिमाही की तुलना में) मांग में कमी आई है. डेटा एनालिसिस से पता चलता है कि पिछले 4 आम चुनाव अवधियों (अप्रैल से जून) में से तीन के दौरान गोल्‍ड कंजप्‍शन में गिरावट आई है. इसमें ज्‍वैलरी (जो कि इंडियन कंज्‍यूमर डिमांड का 70% से ज्‍यादा है) के साथ बार और सिक्‍के (Coins) भी शामिल हैं.

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WGC के अनुसार, चुनावी साल 2004 में अप्रैल-जून की अवधि में YoY चेंज -2% था. जबकि 2009 में ये आंकड़ा और घट कर -12% हो गया. 2014 में गोल्‍ड कंजप्‍शन में YoY चेंज 36% दर्ज किया गया. वहीं इस ट्रेंड के विपरीत पिछले चुनावी साल 2019 में गोल्‍ड कंजप्‍शन बढ़ा और YoY चेंज 12% रहा.

हालांकि 2019 में गोल्‍ड कंजप्‍शन बढ़ने के पीछे उस साल सोने की कीमतों में नरमी और शुभ अवसरों (लग्‍न, मुहूर्त वगैरह) की ज्‍यादा संख्‍या, बड़ी वजहें थीं.

आगे क्‍या संभावनाएं हैं?

2024 की इस चुनावी तिमाही के दौरान, ऐसे कई फैक्‍टर हैं जो सोने की डिमांग में गिरावट का संकेत देते हैं. सबसे बड़ी वजह है- सोने की कीमत. सोने की ऊंची कीमत के चलते, पहले ही वेडिंग सीजन के दौरान भी गोल्‍ड ज्‍वैलरी की मांग कम रही.

वर्ल्‍ड गोल्‍ड काउंसिल के अनुसार, चुनाव के बाद भारतीय बाजार सोने की डिमांड को फिर से हासिल कर लेगा. ऐसा इसलिए, क्‍योंकि चुनाब के बाद शादियों का एक और सीजन आएगा. साथ ही जानकार, स्‍टेबल सरकार आने की उम्‍मीद कर रहे और आने वाले महीनों में इकोनॉमिक डेटा के बेहतर आने की भी.

(with Inputs from Bloomberg, PTI, WGC Report, NDTV Research)

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