अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नए 'रेसिप्रोकल टैरिफ' (पारस्परिक शुल्क) लगाए जाने के बाद, दुनियाभर के केंद्रीय बैंक डॉलर छोड़कर अन्य विकल्पों की ओर रुख कर सकते हैं. कैपिटल माइंड के फाउंडर और CEO दीपक शेनॉय ने इस फैसले को लेकर चेतावनी दी है.
बुधवार को ट्रंप ने भारत पर 26% और चीन पर 34% आयात शुल्क लगा दिया. उन्होंने इसे 'छूट वाला पारस्परिक टैरिफ' बताया और कहा कि अमेरिका पर लगाए गए शुल्क के मुकाबले ये आधा है. बता दें कि भारत, अमेरिका पर 52% टैरिफ लगाता है.
'अमेरिका को ही नुकसान'
दीपक शेनॉय का मानना है कि इस फैसले से अमेरिका को ही नुकसान होगा. उन्होंने कहा, 'भारतीय निर्यात पर 26% और चीन पर 54% का प्रभावी टैरिफ लगाया गया है. लगभग हर देश पर टैरिफ लगा दिया गया है. इस पर पलटवार करने की जरूरत भी नहीं है. कुछ समय के लिए अमेरिकियों को खुद इसका असर महसूस करने दें.'
डॉलर का विकल्प तलाश सकते हैं देश
शेनॉय ने आगे कहा कि अब देशों के लिए डॉलर को छोड़कर यूरो बांड या जापानी येन जैसे विकल्प अपनाना बेहतर हो सकता है. उन्होंने लिखा, 'अगर सभी केंद्रीय बैंक डॉलर को छोड़कर यूरो बांड या येन को अपनाने लगें, तो ये कोई अजीब बात नहीं होगी. जब अमेरिका आपके उत्पादों का आयात ही नहीं करेगा, तो डॉलर को मुद्रा के रूप में रखने का क्या मतलब?'
बाजारों पर पड़ेगा असर, लेकिन...
शेनॉय के अनुसार, ट्रंप के इस फैसले से बाजारों पर नकारात्मक असर पड़ेगा. हालांकि उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद व्यापारिक अनिश्चितता खत्म होगी और अमेरिका को भी इसका परिणाम समझ में आने लगेगा.
अमेरिका उन 60 देशों पर पारस्परिक टैरिफ लगाने जा रहा है, जिनका ट्रेड सरप्लस अमेरिका के खिलाफ ज्यादा है. 5 अप्रैल को सुबह 9:30 बजे (IST) से 10% बेसलाइन टैरिफ लागू होगा, जबकि 9 अप्रैल से देश-विशेष के टैरिफ प्रभावी होंगे.