नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने निफ्टी बैंक फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (Nifty Bank Futures and Options) का मार्केट लॉट साइज (Market Lot Size) 25 से घटाकर 15 कर दिया है. नया लॉट साइज जुलाई 2023 की शुरुआत से सौदों के लिए लागू होगा.
लॉट साइज बढ़ाने का क्या मतलब हुआ?
इसका मतलब हुआ कि आने वाले सौदे जो कि जुलाई 2023 एक्सपायरी वाले होंगे, उन पर बदला हुआ मार्केट लॉट लागू होगा. अप्रैल 2023, मई 2023 और जून 2023 की मैच्योरिटी वाले कॉन्ट्रैक्ट्स पहले की तरह मौजूदा लॉट पर ही रहेंगे. इसके बाद आने वाले सभी कॉन्ट्रैक्ट्स (जुलाई 2023 मंथली एक्सपायरी और उसके बाद) सभी बदले हुए मार्केट लॉट पर होंगे. NSE ने निफ्टी 50, निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज और निफ्टी मिडकैप सेलेक्ट के मार्केट लॉट में कोई बदलाव नहीं किया है. ये 50, 40, और 75 ही हैं.
इसका रिटेल ट्रेडर्स पर क्या असर?
लॉट साइज कम होने से डेरिवेटिव सेगमेंट में रिटेल पार्टिसिपेशन को बढ़ावा मिलेगा.ऑप्शन मार्केट में खरीदार गायब हैं. लिक्विडिटी के नजरिए से इससे बैंक निफ्टी ऑप्शंस में सुधार होगा.
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के हेड ऑफ टेक्निकल एंड डेरिवेटिव रिसर्च चंदन तापड़िया का कहना है कि बैंक निफ्टी के मार्केट लॉट साइज को घटाने से बाजार पर कोई असर नहीं होगा. ये उन ट्रेडर्स के लिए फायदेमंद है जो कम लॉट में ट्रेड करना चाहते हैं, उनके लिए नहीं जो ऊंचे वॉल्यूम पर ट्रेड करना चाहते हैं. NSE का लक्ष्य F&O के लिए लॉट साइज को उनकी रूल बुक के हिसाब से 5 लाख रखने का है.
तापड़िया के मुताबिक सिर्फ एक चिंता है कि निफ्टी और बैंक निफ्टी के बीच पहले जो एक समानता थी, वो नहीं रहेगी. क्योंकि इन दोनों इंडेक्स के लॉट साइज की वैल्यू में अंतर हो जाएगा. ये ट्रेडर्स के लिए एक चिंता की बात है.
इसके पहले जब निफ्टी बैंक का लॉट साइज 40 से घटाकर 25 किया गया था, तब भी रिटेल योगदान में इजाफा देखने को मिला था.
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