एक्सचेंजेज से अलग हो सकते हैं क्लियरिंग कॉरपोरेशंस, SEBI कर रहा है विचार

भारत में रेगुलेशंस CCs यानी क्लियरिंग कॉरपोरेशंस की लिस्टिंग पर प्रतिबंध लगाते हैं, जबकि स्टॉक एक्सचेंजेज और डिपॉजिटरीज लिस्ट हो सकती हैं.

Source: NDTV Profit

मार्केट रेगुलेटर SEBI क्लियरिंग कॉरपोरेशंस (CCs) को पैरेंट स्टॉक एक्सचेंजेज से अलग करने की योजना बना रहा है, ताकि इनकी स्वतंत्रता बनी रहे, साथ ही उनके स्वामित्व में विविधता भी बने रहे. होल टाइम मेंबर अनंत नारायण ने मुंबई में एक इवेंट में बोलते हुए ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि क्लियरिंग कॉरपोरेशंस ट्रेड सेटलमेंट में सेंट्रल काउंटर पार्टीज की तरह काम करते हैं.

उन्होंने कहा कि CCs पहली लाइन के रेगुलेटर के तौर पर अहम भूमिका निभाते हैं और सिक्योरिटीज मार्केट्स में ट्रेडिंग और सेटलमेंट से जुड़े जोखिमों को मैनेज करते हैं.

अगर वैश्विक स्तर पर देखें तो कई बाजार CCs को पब्लिक यूटिलिटीज की तरह मानते हैं, जिनका स्वामित्व स्वतंत्र होता है और जो सभी स्टेकहोल्डर्स के सामूहिक हितों के लिए काम करते हैं. लेकिन भारत में सभी CCs का मालिकाना हक उनके पेरेंट एक्सचेंजेज के पास है.

रेगुलेशंस CCs की लिस्टिंग पर प्रतिबंध लगाते हैं, जबकि स्टॉक एक्सचेंजेज और डिपॉजिटरीज लिस्ट हो सकती हैं. बता दें 2018 से ही CCs अपने पेरेंट एक्सचेंज के अलावा अन्य एक्सचेंजेज की ट्रेड भी क्लियर कर सकते हैं.

नारायण के मुताबिक इस व्यवस्था ने ट्रेड को आसान तो बनाया है, लेकिन मौजूदा स्वामित्व मॉडल में जहां एक एक्सचेंज अपने CC में 100% मालिकाना हक रखता है, वहां हितों का टकराव पैदा हो सकता है.

नारायण ने एक और चिंता की तरफ ध्यान दिलाते हुए कहा कि भारत इक्विटी इंफ्यूजन, डिफॉल्ट फंड मैनेजमेंट, टेक्नोलॉजी और स्टाफिंग से जुड़े संसाधनों के लिए CCs बड़े पैमाने पर अपने पैरेंट एक्सचेंजेज पर निर्भर होते हैं. ये व्यवस्था वैश्विक व्यवस्था से बिल्कुल उलट है, जहां क्लियरिंग मेंबर्स CCs के सेटलमेंट गारंटी फंड (SGF) में योगदान देते हैं, इस तरह वे प्लेटफॉर्म गतिविधियों से जुड़े जोखिम को साझा करते हैं.

लेकिन भारत में क्लियरिंग मेंबर्स पर ऐसी बाध्यता नहीं है, ऐसे में SGF का पूरा भार CC, एक्सचेंज और पेरेंट एक्सचेंज पर होता है. नारायण का सुझाव है कि CCs को स्वतंत्र और व्यापक स्वामित्व वाली आत्मनिर्भर संस्था बनाने और क्लियरिंग मेंबर्स के साथ जोखिम साझा करने से एक बेहतर मार्केट इंफ्रा तैयार होगा.

SEBI पहले ही सेकेंडरी एडवाइजरी कमिटी के साथ संभावित सुधारों पर चर्चा कर चुकी है. इसमें क्लियरिंग कॉरपोरेशंस और स्टॉक एक्सचेंजेज का संभावित डीमर्जर भी है.

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