SEBI द्वारा F&O नियम कड़े किए जाने के बाद रिटेल ट्रे़डर्स की संख्या में बड़े पैमाने पर कमी आने का अनुमान लगाया जा रहा है. तमाम विश्लेषणों के बीच जीरोधा के फाउंडर नितिन कामत का कैलकुलेशन भी यही कहता है.
कामत के मुताबिक नियमों में सख्ती के बाद ओवरऑल फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस ट्रेड्स में 60% तक की गिरावट आ सकती है. जबकि कंपनी के प्लेटफॉर्म पर F&O ट्रेड्स में 30% तक की गिरावट आ सकती है.
बता दें SEBI ने नए बदलावों के तहत कॉन्ट्रैक्ट साइज में इजाफा किया है, साथ ही एक एक्सचेंज में इंडेक्स डेरिवेटिव्स के लिए वन वीकली एक्सपायरी की सीमा तय कर दी है.
कामत का कहना है, 'अगर मान लें कि जो लोग वीकली ट्रेडिंग कर रहे थे, वे मंथली ट्रेडिंग की तरफ नहीं जाएंगे, तो इस हिसाब से ओवरऑल F&O ट्रेड्स में 60% का असर पड़ने की संभावना है, जबकि हमारे ओवरऑल ऑर्डर्स में 30% की कमी आ सकती है.'
प्राइसिंग स्ट्रक्चर में बदलाव कर सकती है जीरोधा
कामत ने ये भी कहा कि 20 नवंबर से जब अलग-अलग चरणों में नए बदलावों को लागू किया जाएगा, उसके बाद जीरोधा अपने बिजनेस पर पड़ने वाले असर के आधार पर प्राइसिंग स्ट्रक्चर में बदलाव पर फैसला करेगी.
मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का मानना है कि नए बदलावों से F&O सेगमेंट में ट्रेडिंग वॉल्यूम में आधी गिरावट आ सकती है. इनका मानना है कि ज्यादा कॉन्ट्रैक्ट साइज के चलते 50-60% ट्रेडर्स सेगमेंट छोड़ देंगे. अब तक NSE ने ये तय नहीं किया है कि एक्सचेंज कौन से बेंचमार्क को वीकली एक्सपायरी के लिए चुनेगा.
NDTV Profit के कैलकुलेशंस के मुताबिक रेगुलेटर द्वारा नियम कड़े करने से लो-वॉल्यूम रिटेल ट्रेडर्स के निकलने से 30-35% तक गिरावट आ सकती है. कैलकुलेशन से पता चलता है कि वीकली इंडेक्स डेरिवेटिव एक्सपायरी से NSE में F&O वॉल्यूम पर 60% तक असर पड़ सकता है.
1 अक्टूबर से लागू होने वाले ट्रू-टू-लेबल (true-to-label) और सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) से औसत लेनदेन की लागत करीब 30% बढ़ जाएगी. एवरेज ओपन इंटरेस्ट फ्रंट पर देखें तो 35-45% तक असर हो सकता है.