भारत-अमेरिका के बीच $4 बिलियन का बड़ा रक्षा सौदा, 31 प्रिडेटर ड्रोन्स खरीदारी की हुई डील

डील पर दिल्ली में टॉप डिफेंस और स्ट्रैटेजी अधिकारियों की मौजूदगी में साइन किया गया. अधिकारियों ने बताया कि ये दोनों देशों के बीच सैन्य संबंधों को मजबूत बनाने में मदद करेगा.

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भारत (India) ने मंगलवार को अमेरिका (US) के साथ बड़ा रक्षा समझौता किया है. ये समझौता 31 प्रिडेटर लॉन्ग-एंड्योरेंस ड्रोन्स (Drones) की खरीदारी को लेकर किया गया है. PTI रिपोर्ट के मुताबिक इन ड्रोन्स को अमेरिका की डिफेंस कंपनी जनरल एटॉमिक्स से करीब 4 बिलियन डॉलर की कीमत में खरीदा जाएगा. इससे भारत की सैन्य शक्ति को बढ़ाने में मदद मिलेगी.

दिल्ली में टॉप डिफेंस और स्ट्रैटेजिक अधिकारियों की मौजूदगी में डील पर साइन किया गया. अधिकारियों ने बताया कि ये दोनों देशों के बीच सैन्य संबंधों को मजबूत बनाने में मदद करेगा.

पिछले हफ्ते रक्षा पर संसदीय समिति ने दी थी मंजूरी

ड्रोन्स की खरीदारी का ये फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से कुछ हफ्ते पहले ही लिया गया है. पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में रक्षा की संसदीय समिति ने MQ-9B हंटर किलर ड्रोन्स की खरीदारी के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. ये डील गवर्मेंट-टू-गवर्मेंट फ्रेमवर्क के तहत हो रही है.

जनरल एटॉमिक्स ग्लोबल कॉरपोरेशन के चीफ एक्जीक्यूटिव विवेक लाल ने इस डील पर बातचीत में मुख्य भूमिका निभाई. वो इस डील की साइनिंग सेरेमनी में मौजूद रहे.

भारतीय सैन्य बलों की निगरानी करने की क्षमता को बढ़ाने के लिए भारत इन ड्रोन्स को खरीद रहा है. खास तौर पर चीन के साथ की सीमा पर ये काम आएगा. MQ-9B ड्रोन MQ-9 रीपर का वेरिएंट है जिसका हेलफायर मिसाइल के मोडिफाइड वर्जन को लॉन्च करने के लिए इस्तेमाल किया गया था.

ड्रोन्स कैसे पहुंचाएंगे फायदा?

जहां नेवी को 15 सी गार्डियन ड्रोन्स मिलेंगे. वहीं इंडियन एयरफोर्स और आर्मी को आठ-आठ स्काई गार्डियन ड्रोन्स दिए जाएंगे. लॉन्ग-एंड्योरेंस ड्रोन्स 35 घंटों से ज्यादा तक एयरबोर्न बने रहने की क्षमता रखते हैं. इनमें चार हेलफायर मिसाइल्स और करीब 450 किलोग्राम बम को रखने की क्षमता भी रहती है.

सी गार्डियन ड्रोन्स की खरीदारी इसलिए की जा रही है क्योंकि ये कई भूमिकाएं निभा सकते हैं. इनमें मेरिटाइम सर्विलांस, एंटी-सब्मरीन वॉरफेयर और ओवर-द-हॉरिजन शामिल हैं.

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