हार्वर्ड विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद राघव चड्डा ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया फैसले की कड़ी आलोचना की है, जिसमें हार्वर्ड को विदेशी छात्रों को दाखिला देने से रोका गया है. राघव ने इस फैसले को अंतरराष्ट्रीय छात्रों के सपनों और भविष्य के लिए खतरा बताया है.
राघव चड्डा ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'राष्ट्रपति ट्रंप का ये कदम हार्वर्ड और दुनिया भर के छात्रों के सपनों को खतरे में डालता है. मैं हार्वर्ड समुदाय का गर्वित सदस्य हूं और समावेश और शैक्षणिक स्वतंत्रता के समर्थन करता हूं.'
उन्होंने आगे कहा, 'मैं हार्वर्ड और उन सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों के साथ खड़ा हूं जिनका भविष्य खतरे में है. हमें शैक्षणिक स्वतंत्रता और वैश्विक सहयोग की रक्षा करनी चाहिए.'
फैसले के खिलाफ कोर्ट की शरण में हार्वर्ड
उधर, हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने भी ट्रंप के इस फैसले की आलोचना करते हुए इसे 'ग़ैरक़ानूनी और अनुचित' बताया. विश्वविद्यालय ने कहा कि इस निर्णय से हज़ारों छात्रों और शोधकर्ताओं का भविष्य संकट में पड़ गया है. हार्वर्ड ने इसके खिलाफ अदालत में शिकायत दर्ज की है और एक अस्थायी रोक का आदेश पाने की कोशिश में है.
शुक्रवार को जारी बयान में हार्वर्ड ने कहा कि अमेरिकी सरकार ने 2025-26 शैक्षणिक वर्ष के लिए Student and Exchange Visitor Program (SEVP) के तहत विश्वविद्यालय की प्रमाणिकता रद्द कर दी है और F और J वीजा देने की उसकी सुविधा छीन ली है. ये कार्रवाई सरकार द्वारा हार्वर्ड की अकादमिक स्वतंत्रता पर दबाव बनाने का हिस्सा है.
बयान में कहा गया, 'हम इस गैरकानूनी और दुर्भावनापूर्ण फैसले की निंदा करते हैं. ये न सिर्फ हार्वर्ड बल्कि अमेरिका के अन्य विश्वविद्यालयों में पढ़ने आए छात्रों के लिए चेतावनी है. हम अपने छात्रों और शिक्षकों की पूरी मदद करेंगे.'
सरकार ने दावा किया कि हार्वर्ड ने होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट की सूचना मांगों का पालन नहीं किया, लेकिन विश्वविद्यालय का कहना है कि उसने कानून के अनुसार पूरी जानकारी दी थी.
वहीं, व्हाइट हाउस ने कहा कि 'विदेशी छात्रों को दाखिला देना अधिकार नहीं बल्कि विशेषाधिकार है.' प्रवक्ता ने हार्वर्ड पर 'अमेरिका विरोधी और आतंक समर्थक माहौल' फैलाने का आरोप लगाया.
ट्रंप प्रशासन और हार्वर्ड के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है, जिसमें प्रशासन विश्वविद्यालय से एंटी-सैमिटिज्म खत्म करने, विविधता और समावेशन से जुड़े कार्यक्रमों में बदलाव और विदेशी छात्रों पर सख्ती की मांग कर रहा है.