देश के पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Naredra Modi) पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की टिप्पणियों को बेहद अपमानजनक बताया है. उन्होंने कहा, 'राहुल गांधी की 'मोदी सरनेम' को लेकर की गई टिप्पणियां बेहद अपमानजनक थीं. सार्वजनिक जीवन में रहने वाले किसी व्यक्ति से ऐसे बयान की उम्मीद नहीं की जा सकती.'
BQ Prime के संजय पुगलिया के साथ स्पेशल इंटरव्यू में हरीश साल्वे ने ये बातें कहीं. हरीश साल्वे के अनुसार, मानहानि केस और सजा या राहत अलग बात है, लेकिन राहुल गांधी की भाषा बेहद आपत्तिजनक थी.
'PM बनने का सपना देखते हैं और...'
हरीश साल्वे ने कहा, 'ये बात इतनी अहम है, इसके लिए राहुल गांधी को दोषी ठहराया जाना चाहिए या नहीं, ये अलग मुद्दा है, लेकिन बात करने का बेहद अपमानजनक तरीका... आप लोगों पर झूठे आरोप लगा रहे हैं और फिर कहते हैं कि मैं सार्वजनिक जीवन में हूं...'
आगे उन्होंने कहा, 'हर कोई जानता है, वह कुछ भी कहें, लेकिन जब वह रात को सोते हैं, तो देश का प्रधानमंत्री बनने का सपना देखते हैं. क्या इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करने की आपकी हैसियत है...?"
'राहत इसलिए नहीं दी गई कि...'
साल्वे ने इंटरव्यू के दौरान कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के जजों ने टिप्पणी की, कि आपने जो कहा, वो गलत था और इस तरह की बात नहीं करनी चाहिए थी. लेकिन दोषसिद्धि पर रोक लगा दी गई, क्योंकि जब तक उनकी अपील (दोषी ठहराए जाने के खिलाफ) पर फैसला नहीं हो जाता, तब तक निर्वाचन क्षेत्र (वायनाड) को प्रतिनिधित्व नहीं मिल सकेगा, इसीलिए ऐसा किया गया. इसलिए नहीं कि सुप्रीम कोर्ट को लगा कि इस केस में कुछ दम है.'
विवादित टिप्पणी, मानहानि केस, हाईकोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट...
13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने मोदी सरनेम को लेकर टिप्पणी की थी. गुजरात के पूर्व मंत्री और विधायक पूर्णेश मोदी ने इस कथित विवादित टिप्पणी पर राहुल के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था.
23 मार्च 2023 को सूरत की सेशन कोर्ट ने राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई थी. हालांकि, इस फैसले के आधे घंटे बाद ही उन्हें जमानत भी मिल गई थी. इसके अगले दिन 24 मार्च को केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए चुने गए गांधी को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था मतलब उनकी संसद सदस्यता चली गई थी.
राहुल गांधी की ओर से इस फैसले पर दायर की गई पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी गई थी. इसके बाद राहुल हाईकोर्ट गए, लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिलने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल जज ने जेल में अधिकतम दो साल की सजा सुनाई थी और अगर सजा एक दिन भी कम होती, तो राहुल गांधी सांसद के रूप में अयोग्य नहीं होते. ट्रायल जज द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया गया है, अंतिम फैसला आने तक दोषसिद्धि पर रोक लगाने की जरूरत है.