Mission Chandrayaan-3: मिलिए उन रियल हीरोज से, जिनकी लगन और जतन से चांद पर लहराया तिरंगा

विक्रम लैंडर ने जैसे ही चंद्रमा के साउथ पोल पर सतह को स्‍पर्श किया, ये तारीख और समय दुनिया के इतिहास में दर्ज हो गया.

Source: Youtube@ISRO

23 अगस्‍त, शाम 6 बजकर 2 मिनट. चांद पर भारत के चंद्रयान की लैंडिंग और तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा देश. दुनियाभर के कई देशों ने हमारी इस उपलब्धि के लिए बधाइयां दी. विक्रम लैंडर ने जैसे ही चंद्रमा के साउथ पोल पर सतह को स्‍पर्श किया, ये तारीख और समय दुनिया के इतिहास में दर्ज हो गया.

40 दिन, धरती के 21 चक्‍कर, चंद्रमा के 120 चक्‍कर. 3.84 लाख किलोमीटर दूर चांद तक पहुंचने के लिए हमारे चंद्रयान ने कुल 55 लाख किलोमीटर की दूरी तय की. इस मिशन को इसलिए भी बेहद अहम कहा जा रहा है, क्‍योंकि इसके जरिये कई तरह की रिसर्च के साथ-साथ चांद पर इंसानों के बसने की संभावना तलाशी जाएगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कहा, 'ये पल भारत के शंखनाद का है, नए भारत के जयघोष का है और जीत के चंद्रपथ पर चलने का है.' उन्‍होंने ISRO और उन सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी, जिनकी वर्षों की अथक मेहनत से भारत चंद्रमा के उस दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा, जहां दुनिया का कोई देश नहीं पहुंच सका है.

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इस मिशन के एक नहीं, अनेक हीरो

क्या आप जानते हैं, इस मिशन के असली हीरोज कौन हैं, वे कौन लोग हैं, जिनकी वजह से ये मिशन सफल हुआ? इनमें ISRO चीफ डॉ S सोमनाथ के साथ मिशन डायरेक्‍टर S मोहना कुमार, रॉकेट डायरेक्‍टर बीजू C थॉमस, मिशन प्रभारी P वीरमुथुवेल, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के डायरेक्‍टर डॉ S उन्नीकृष्णन नायर समेत कई लोगों के नाम हैं.

नारी शक्ति ने भी इस मिशन में अहम भूमिका निभाई, जिसमें मिशन की डिप्‍टी डायरेक्‍टर कल्‍पना K का नाम प्रमुख है. इस मिशन में 50 से ज्‍यादा महिला वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की इसमें सीधी भूमिका रही है.

आइए रू-ब-रू होते हैं, इस मिशन के रियल लाइफ हीरोज से.

डॉ. एस सोमनाथ, ISRO चीफ

भारतीय स्‍पेस एजेंसी ISRO के चेयरमैन डॉ S सोमनाथ पर पूरे मिशन की जिम्‍मेदारी थी. सोमनाथ, स्‍पेस इंजीनियरिंग की दुनिया में प्रमुख विशेषज्ञों में गिने जाते हैं. उनके नाम का अर्थ भी संयोग से 'चंद्रमा का स्‍वामी' है. एक हिंदी शिक्षक के बेटे, सोमनाथ की रुचि शुरू से ही साइंस में थी. मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया, पर मन रॉकेट्री की ओर जाना था.

1985 में सोमनाथ को ISRO में नौकरी मिल गई और वे तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में शामिल हो गए. पूर्व चीफ K शिवन के रिटायर होने के बाद उन्‍हें ISRO का चेयरमैन बनाया गया.

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डॉ. एस उन्नीकृष्णन नायर, निदेशक, VSSC

विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) के प्रमुख डॉ नायर, स्‍पेस उड़ान प्रणालियों के एक्‍सपर्ट हैं. वो 1985 में VSSC से जुड़े थे. PSLV, GSLV और LVM-3 जैसे भारतीय रॉकेटों के लिए एयरोस्‍पेस सिस्‍टम के विकास में डॉ नायर की अहम भूमिका रही है.

डॉ नायर ने केरल यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में B.Tech के बाद IISC, बेंगलुरु से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में ME और IIT-मद्रास से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट किया है.

ISRO में सबसे युवा केंद्र, HSFC यानी मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र के फाउंडिंग डायरेक्‍टर के रूप में वो गगनयान प्रोजेक्‍ट का नेतृत्‍व कर चुके हैं. उन्‍होंने HSFC में अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की है. वैज्ञानिक होने के साथ-साथ वो एक मलयालम लघु कथाकार भी हैं.

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डॉ. पी वीरमुथुवेल, डायरेक्‍टर, मिशन चंद्रयान-3

इस मिशन में डॉ P वीरमुथुवेल की अहम भूमिका रही. वो इस मिशन के समग्र प्रभारी थे. 3.84 लाख किलाेमीटर की यात्रा के दौरान चंद्रयान-3 को इनके नेतृत्‍व वाली टीम ने कंट्रोल किया. एक रेलकर्मी के बेटे डॉ वीरमुथुवेल ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्‍लोमा और इंजीनियरिंग करने के बाद IIT-मद्रास से PhD की. वर्ष 2014 में वो इसरो से जुड़े.

कल्‍पना के, डिप्‍टी डायरेक्‍टर, मिशन चंद्रयान-3

प्रतिष्ठित वैज्ञानिक कल्‍पना K, मिशन चंद्रयान-3 की डिप्‍टी डायरेक्‍टर रहीं. इससे पहले वो चंद्रयान-2 मिशन और मिशन मंगल में भी अहम भूमिका निभा चुकी हैं. चंद्रयान-2 मिशन के दौरान विक्रम लैंडर की असफल लैंडिंग ने सबको थोड़ा निराश किया था, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान भी कल्‍पना ने मिशन चंद्रयान का सपना नहीं छोड़ा, वे बीते चार साल से दिन-रात इसी मिशन को जीती रहीं. वो फिलहाल यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) में डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर की अहम भूमिका निभा रही हैं.

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श्रीकांत सी वी, मिशन ऑपरेशन डायरेक्‍टर

देश के प्रमुख खगोलशास्त्रियों में श्रीकांत CV की गिनती होती है. मिशन चंद्रयान-3 के डायरेक्‍टर और इसरो के प्रोजेक्‍ट डिप्‍टी डायरेक्‍टर श्रीकांत की भूमिका बेहद अहम रही.

एम शंकरन, डायरेक्‍टर, यू आर राव सैटेलाइट सेंटर

वैज्ञानिक ए शंकरन ने जून, 2021 में URSC के निदेशक बने, जो कि ISRO के सभी सैटेलाइट्स के डिजाइन, डेवलपिंग और एग्‍जीक्‍यूशन के लिए देश का अग्रणी केंद्र है. इनके नेतृत्‍व में ही चंद्रयान बना था. वो वर्तमान में कम्‍यूनिकेशन, नेविगेशन, रिमोट सेंसिंग, मौसम विज्ञान और इंटर-प्‍लेनेटरी रिसर्च जैसे सेक्‍टर्स में सैटेलाइट्स के लिए अगुवाई कर रहे हैं.

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इन वैज्ञानिकों की भी बेहद अहम भूमिका

डॉ S सोमनाथ, डॉ नायर, डॉ वीरमुथुवेल, कल्‍पना, श्रीकांत और शंकरन के अलावा लिक्विड प्रोपल्‍शन सिस्‍टम सेंटर V नारायणन की भी इसमें अहम भूमिका रही, जिन्‍होंने चंद्रयान-3 का क्रायोजेनिक इंजन डिजाइन किया.

वहीं लॉन्च मिशन के डायरेक्‍टर S मोहना कुमार के निर्देशन में ही चंद्रयान ने सटीक सैटेलाइट लॉन्चिंग को पूरा किया.

सैटेलाइट नेविगेशन में एक्‍सपर्ट, इस्‍ट्रैक के डायरेक्‍टर BN रामकृष्‍ण ने चंद्रयान की ट्रैकिंग में अहम भूमिका निभाई. प्‍लान-B तैयार करने वाले नीलेश M देसाई भी इस मिशन का अहम हिस्‍सा रहे.

पूर्व ISRO चीफ को कैसे भूल सकता है देश!

मिशन चंद्रयान-2. तब ISRO के चीफ थे- K सिवन. तारीख थी, 7 सितंबर 2019. चांद से महज चंद कदम पहले चंद्रयान-2 का लैंडर खो गया था और उसकी असफल लैंडिंग से सिवन फूट-फूटकर रोने लगे थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्‍हें गले लगाकर ढांढस बंधाया. चंद्रयान-2 मिशन की कमियों से ही सीख लेते हुए भारत ने चंद्रयान-3 मिशन में सफलता का स्‍वाद चखा. के शिवन के आंसू, चांद पर फतह करने की जिद बन गए और इसरो के वैज्ञानिकों ने चांद फतह कर दिखाया.

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