SBI ने चुनाव आयोग को जमा किया इलेक्टोरल बॉन्ड डेटा, EC 15 मार्च तक करेगा पब्लिक

कोर्ट के आदेश के मुताबिक चुनाव आयोग डेटा 15 मार्च शाम 5 बजे तक अपनी वेबसाइट पर उसे पब्लिश करेगा.

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स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने मंगलवार शाम को चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड्स (Electoral Bonds) का डेटा जमा कर दिया है. बैंक के चेयरपर्सन और मैनेजिंग डायरेक्टर दिनेश कुमार खारा ने कोर्ट के आदेश के पालन का एफिडेविट भी पेश किया है.

कोर्ट के आदेश के मुताबिक चुनाव आयोग SBI से डेटा को इकट्ठा करेगा और 15 मार्च को शाम 5 बजे तक अपनी वेबसाइट पर उसे पब्लिश करेगा.

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने SBI की डेटा जारी करने की 6 मार्च की डेडलाइन को आगे बढ़ाने की याचिका खारिज कर दी थी. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने बैंक को आदेश का जानबूझकर उल्लंघन करने के लिए जमकर फटकार भी लगाई थी. कोर्ट ने उसे कहा था कि अगर SBI कल तक डिटेल्स नहीं देता है तो उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाएगी.

बता दें सुनवाई के दौरान कोर्ट ने SBI से बीते 26 दिनों में किए गए काम के ब्यौरे के बारे में भी जानकारी मांगी थी.

SBI ने डेडलाइन 30 जून तक बढ़ाने की मांग की थी

SBI के वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट ने सुनवाई को 30 जून तक बढ़ाने की मांग की थी. उन्होंने तर्क दिया था कि 'ये जानकारियां बैंक के डेटाबेस में नहीं हैं और इसके लिए हर खरीदार का नाम निकालकर पेमेंट डिटेल्स से मैच करना होगा, ये काम फिजिकली करना होगा.'

हरीश साल्वे ने दलील दी कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने की तारीख और खरीदने वाले का नाम एक साथ उपलब्ध नहीं है, उसे कोड किया गया है. उसे डिकोड करने में समय लगेगा.

क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम?

चुनावी बॉन्ड योजना 2018 में काले धन को राजनीतिक सिस्टम में आने से रोकने के मकसद के साथ शुरू की गई थी. इसके जरिए भारत में कंपनियां और व्यक्ति राजनीतिक दलों को गुमनाम होकर चंदा दे सकते हैं. उस समय के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तब कहा था कि भारत में राजनीतिक फंडिंग की पारंपरिक प्रथा कैश में चलती है.

जेटली ने उस समय कहा था कि वर्तमान प्रणाली में अज्ञात स्रोतों से पैसा आता है और ये पूरी तरह से गैर-पारदर्शी है. गोपनीयता को लेकर उन्होंने कहा था कि दानदाताओं की पहचान का खुलासा उन्हें कैश के विकल्प पर वापस ले जाएगा.

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