भारत (India) में वर्क-कल्चर यानी कार्यसंस्कृति (Work Culture) में एक बड़ा बदलाव आ रहा है और इस बदलाव की अगुवाई कर रही है Gen-Z. ये पीढ़ी (35 साल से कम उम्र के युवा) नौकरी, करियर और वर्कप्लेस के पारंपरिक नियमों को चुनौती दे रही है. टैग्ड की 'डिकोडिंग जॉब्स रिपोर्ट 2025 में ये जानकारी सामने आई है.
Gen-Z डिग्री की बजाय स्किल्स, सैलरी से ज्यादा मकसद और सुबह 9 से शाम 5 की बजाय लचीले काम के वर्किंग आवर्स को प्राथमिकता दे रही है. ये कुछ ऐसी मांगें हैं जिन्हें अब कंपनियों को समझना होगा.
रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 तक भारत की 27% वर्कफोर्स Gen-Z की होगी, जिसका मतलब है कि संगठनों को अपनी नीतियों में बड़े बदलाव करने होंगे.
Gen-Z क्या चाहता है?
डिजिटल भर्ती प्लेटफॉर्म टैग्ड के CEO देवाशीष शर्मा के मुताबिक, 'Gen-Z के लिए कंपनी का उद्देश्य और मूल्य सबसे ज्यादा मायने रखते हैं. वे उन संगठनों के लिए काम करना चाहते हैं जो सस्टेनेबिलिटी, डायवर्सिटी, इक्वलिटी और एथिक्स जैसे मुद्दों पर सक्रिय हैं. सैलरी और जॉब सिक्योरिटी से ज्यादा, उन्हें मेंटरशिप, सीखने के अवसर और करियर ग्रोथ चाहिए.
रिपोर्ट के मुताबिक, 80% Gen-Z प्रोफेशनल्स बड़ी सैलरी की बजाय ग्रोथ ऑपर्च्युनिटीज को प्राथमिकता देते हैं.
इसके अलावा, ये पीढ़ी रिजिड कॉर्पोरेट कल्चर को पसंद नहीं करती. उनके लिए फ्लेक्सिबिलिटी नॉन-निगोशिएबल है – वे चाहते हैं कि उन्हें अपने काम का समय और तरीका खुद तय करने की आजादी मिले. रिमोट वर्क, हाइब्रिड मॉडल और रिजल्ट-बेस्ड एप्रोच उनकी पहली पसंद हैं.
कंपनियां कैसे कर रहीं हैं एडजस्ट?
इन बदलावों के मद्देनजर, कंपनियां अपनी हायरिंग और वर्क पॉलिसीज में बदलाव ला रही हैं. टैग्ड की 'डिकोडिंग जॉब्स रिपोर्ट 2025' के अनुसार, स्किल-बेस्ड हायरिंग में 35% की ग्रोथ हुई है. अब कंपनियां डिग्री की बजाय प्रॉब्लम-सॉल्विंग स्किल्स, एडाप्टेबिलिटी और रोल-स्पेसिफिक कॉम्पिटेंसीज को ज्यादा महत्व दे रही हैं.
इसी तरह, IT और मैन्युफैक्चरिंग जैसे सेक्टर्स में भी नई भूमिकाएं बढ़ रही हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 में IT सेक्टर में 20% और मैन्युफैक्चरिंग में 25% जॉब्स बढ़ने का अनुमान है. साथ ही, कंपनियां अब टॉप-डाउन मैनेजमेंट की बजाय पार्टिसिपेटिव लीडरशिप को बढ़ावा दे रही हैं, जहां एम्प्लॉयी की आवाज सुनी जाती है और उन पर भरोसा किया जाता है.
भविष्य का वर्कप्लेस कैसा होगा?
देवाशीष शर्मा का कहना है कि '2025 का फोकस एक ऐसी वर्कफोर्स बनाने पर है जो फ्लेक्सिबल, फ्यूचर-फिट और इंसानियत से भरपूर हो. कंपनियों को ये समझना होगा कि अब काम सिर्फ एक जगह नहीं, बल्कि एक वादा है – जहां युवाओं को ग्रोथ, पर्पज और आजादी मिले.
इस रिपोर्ट से जो निष्कर्ष निकले हैं वो 200 से अधिक इंडस्ट्री लीडर्स और वर्कफोर्स ट्रेंड्स के विश्लेषण पर आधारित हैं. साफ है कि Gen-Z के आने से वर्कप्लेस का पूरा लैंडस्केप बदल रहा है, और कंपनियों को इसके लिए तैयार रहना होगा.