सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति लड्डू से जुड़े विवाद में आंध्र प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्ट्या लड्डू बनाने में मिलावटी घी के इस्तेमाल के कोई सबूत नहीं मिले हैं.
कोर्ट ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि 'SIT की रिपोर्ट आए बिना ही प्रशासन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी. प्रदेश सरकार को भगवान को राजनीति से दूर रखना चाहिए.'
जस्टिस BR गवई और जस्टिस KV विश्वनाथन की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की. अब मामले में 3 अक्टूबर को सुनवाई होगी.
बता दें पूरे विवाद की शुरुआत CALF (Centre of Analysis and Learning in Livestock and Food) की एक रिपोर्ट के आधार पर हुई थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि तिरुपति से लिए गए घी के सैंपल में मछली का तेल, गौ मांस की चर्बी और सुअर की चर्बी का लार्ड पाया गया है.
CM को सार्वजनिक बयान नहीं देना था: SC
मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस गवई ने कहा, 'अगर SIT को जांच का आदेश दे दिया गया था, तो मुख्यमंत्री को सार्वजनिक बयान नहीं देना था. चंद्रबाबू नायडू के बयान से सीधा-सीधा लोगों की धार्मिक आस्था पर असर पड़ा है.'
उन्होंने आगे कहा, 'SIT की जांच लंबित है, ऐसे में संवैधानिक पदाधिकारियों के बयानों का SIT क्या असर होगा? अगर शिकायतें थीं, तो आपको हर टैंकर से नमूने लेने थे.'
चर्बी के दावे पर उठाए सवाल
चंद्रबाबू नायडू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा कर कहा था कि मंदिर में इस्तेमाल होने वाले घी में चर्बी पाई गई है. सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने इस दावे के पुख्ता होने पर भी सवाल उठाए.
उन्होंने कहा, 'इसमें पाम ऑयल भी हो सकता है. आपने कौन से ऐसे खास मटेरियल के बारे में बताया था जिससे पता चले कि इसमें चर्बी का इस्तेमाल किया गया है. लैब एनालिसिस रिपोर्ट कहती है कि ये सोयाबीन भी हो सकता है. इसका मतलब ये है कि जरूरी नहीं कि ये मछली का तेल था.'